10 साल में 49 हजार कंपनियों पर लगा ताला, इतने लाख लोग हो गए बेरोजगार, सरकार ने लोकसभा में दी जानकारी
- सरकार ने कहा कि पिछले 10 सालों में लगभग 50,000 छोटे कारोबार के बंद होने के कारण 300,000 से अधिक लोग बेरोजगार हो गए हैं।
सरकार ने कहा कि पिछले 10 सालों में लगभग 50,000 छोटे कारोबार के बंद होने के कारण 300,000 से अधिक लोग बेरोजगार हो गए हैं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्री जीतन राम मांझी ने गुरुवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि रजिस्टर्ड एमएसएमई में से 49,342 बंद हो गए हैं, इसके चलते 317,641 नौकरियों का नुकसान हुआ है।
जिन लोगों की नौकरी गई है, वे 1 जुलाई 2020 को उदयम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर रजिस्टर्ड कुल 181.6 मिलियन एमएसएमई वर्कफोर्स में से थे। इनमें से 0.17 प्रतिशत या 49,342 कंपनी जिनमें 3,17,641 रोजगार के साथ पिछले दस सालों के दौरान पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन रद्द या बंद हो गए। श्रम और रोजगार मंत्रालय ने कहा कि नई उपलब्ध साला पीएलएफएस रिपोर्ट के अनुसार, 15 साल और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए अनुमानित बेरोजगारी दर 2020-21 में 4.2%, 2021-22 में 4.1% और 2022-23 में 3.2% थी।
महाराष्ट्र में सबसे अधिक कंपनियां बंद
मांझी द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में सबसे अधिक बंदी देखी गई, जिसमें 12,233 एमएसएमई बंद हुए, जिसके परिणामस्वरूप 54,053 नौकरियों का नुकसान हुआ। इसके बाद तमिलनाडु (6,298 बंद, 43,324 नौकरी खोना), उत्तर प्रदेश (3,425 और 33,230), गुजरात (4,861 और 22,345) और बिहार (2,414 और 15,317) का स्थान है। मध्य प्रदेश में 19 वर्षों से अधिक समय से भाजपा शासन है, जहां 1,653 एमएसएमई इकाइयां बंद हो गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप 11,727 नौकरियां चली गई हैं।
मंत्री ने सदन को बताया, "कंपनी के स्वामित्व में बदलाव, अनावश्यक प्रमाण पत्र और डुप्लिकेट पंजीकरण सहित विभिन्न कारणों से बंद किया गया है। दिल्ली में 947 बंदी के साथ 8,210 नौकरियां चली गईं, पश्चिम बंगाल में 1,548 बंद होने से 8,856 नौकरियां प्रभावित हुईं और केरल में 1,336 बंद होने के परिणामस्वरूप 12,672 नौकरियां चली गईं।
बजट में MSME के लिए अहम ऐलान
मंगलवार को अपने सातवें बजट भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों की घोषणा की। बजट में एमएसएमई के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता पर जोर दिया गया है, जिसमें संपार्श्विक के बिना मशीनरी ऋण के लिए एक क्रेडिट गारंटी योजना, प्रति उधारकर्ता 100 करोड़ रुपये तक की पेशकश करने वाला एक स्व-वित्तपोषण गारंटी फंड और डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा एमएसएमई ऋण के लिए एक नया मूल्यांकन मॉडल शामिल है। इसके अलावा, बजट में एमएसएमई को एनपीए बनने से रोकने के लिए तनाव अवधि के दौरान क्रेडिट समर्थन बढ़ाने, मुद्रा ऋण सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने और तीन साल के भीतर एमएसएमई समूहों में 24 नई सिडबी शाखाएं खोलने की योजना है।
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