Hindi Newsबिहार न्यूज़Will Kushwaha card work for Prashant Kishor Jan Suraaj in Ramgarh Koeri changed Shahabad region Lok Sabha Results

शाहाबाद और मगध में दिखा था जोर लेकिन रामगढ़ में प्रशांत किशोर का कुशवाहा कार्ड कितना कारगर?

  • बिहार की राजनीति में कोइरी जाति के वोटर और नेताओं के बढ़ते महत्व के बीच प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने कैमूर जिले की रामगढ़ सीट से सुशील सिंह कुशवाहा को कैंडिडेट बनाया है। कुशवाहा वोटरों ने लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के पक्ष में पूरे शाहाबाद की राजनीतिक तस्वीर बदल दी थी।

Ritesh Verma लाइव हिन्दुस्तान, पटनाWed, 23 Oct 2024 10:14 AM
share Share

शाहाबाद और मगध के बीच बसे काराकाट लोकसभा सीट पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़े रहे भोजपुरी स्टार और राजपूत पवन सिंह के निर्दलीय लड़ने की कुशवाहा वोटर्स के बीच ऐसी प्रतिक्रिया हुई कि शाहाबाद और मगध इलाके की राजनीतिक तस्वीर महागठबंधन के पक्ष में बदल गई। कुशवाहा राजनीति को भुनाने के मकसद से प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने कैमूर जिले की रामगढ़ विधानसभा के उपचुनाव में सुशील सिंह कुशवाहा को कैंडिडेट बनाया है। पीके ने चार सीटों के उपचुनाव में एक कुशवाहा के अलावा एक पासवान दलित, एक मुसलमान और एक राजपूत को टिकट दिया है। तीन पुरुष और एक महिला।

हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी की गया और बीजेपी के विवेक ठाकुर की नवादा को छोड़ दें तो बक्सर से पाटलिपुत्र और सासाराम से जहानाबाद तक महागठबंधन के दलों ने बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के छक्के छुड़ा दिए। काराकाट में उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ पवन सिंह के लड़ने का गुस्सा कुशवाहा वोटरों ने एनडीए पर निकाला। शाहाबाद की बक्सर सीट राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), सासाराम कांग्रेस और आरा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीआई- माले) ने जीती। मगध में औरंगाबाद और जहानाबाद आरजेडी ने जीती। दोनों इलाकों की सीमा पर बसी काराकाट भी भाकपा-माले ने झटक ली।

रामगढ़ से सुशील कुशवाहा को जन सुराज का टिकट, बसपा से लोकसभा हारे थे प्रशांत किशोर के कैंडिडेट

जन सुराज पार्टी ने रामगढ़ से सुशील सिंह कुशवाहा का नाम घोषित करने से पहले पांच संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट एक दिन पहले जारी की थी। सुशील सिंह कुशवाहा बक्सर सीट से 2019 का लोकसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के टिकट पर लड़े थे और 80 हजार वोट लाकर तीसरे नंबर पर रहे थे। इस बार बसपा ने लोकसभा में अनिल कुमार को टिकट दिया और वो थर्ड आए लेकिन वोट 1.14 लाख तक पहुंचा दिया।

अनुमान है कि रामगढ़ में कोइरी वोटर 15 हजार से ज्यादा नहीं हैं। सबसे ज्यादा राजपूत हैं, फिर दलित और उनके बाद मुसलमान-यादव का नंबर आता है। आरजेडी ने बक्सर के सांसद सुधाकर सिंह की खाली सीट पर उनके ही भाई अजीत सिंह को लड़ाया है। ये दोनों राजद के प्रदेश अध्यक्ष और इलाके के बड़े राजपूत नेता जगदानंद सिंह के बेटे हैं। बीजेपी ने अशोक कुमार सिंह को फिर से लड़ाया है जो 2015 में यहां से एक बार जीत चुके हैं। अशोक भी राजपूत हैं।

फेल हो गया प्रशांत किशोर का चुनाव प्रबंधन, तरारी में कैंडिडेट बदलेगी जन सुराज, एसके सिंह कहां फंसे?

दो राजपूतों की लड़ाई में दलित, यादव और पिछड़ा वोट एकजुट करने की नीयत से मायावती की बीएसपी ने रामगढ़ के दो बार विधायक रहे चंद्रिका यादव के भतीजे सतीश यादव उर्फ पिंटू यादव को टिकट दिया है। चंद्रिका यादव 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी छोड़कर बीएसपी चले गए थे और सुधाकर सिंह के खिलाफ लड़ गए थे। हारे लेकिन मात्र 189 वोट से। बीजेपी के अशोक सिंह भी सुधाकर से 1999 वोट ही पीछे थे। कुल मिलाकर तीनों यहां मजबूत कैंडिडेट रहे।

उपचुनाव में बीजेपी कैंडिडेट रिपीट हुआ है। आरजेडी ने उसी परिवार को टिकट दिया है जिसके पास ये सीट थी। बसपा ने भी उसी कैंडिडेट के परिवार में टिकट दिया जो पिछली बार 189 वोट से हार गया था। त्रिकोणीय और तगड़ा मुकाबला तय है। प्रशांत किशोर की तरफ से सुशील कुशवाहा को लड़ाना पिछड़ा और अति पिछड़ा वोटों की गोलबंदी की एक कोशिश है।

मायावती का बिहार में खेल, रामगढ़ में राजद और भाजपा के राजपूत के मुकाबले बसपा का यादव

अजीत सिंह और अशोक सिंह की लड़ाई में राजपूत वोटों का बंटवारा तय है। राजद के यादव वोट को बसपा तोड़ेगी। ऐसे में दलित, अति पिछड़ा और कुशवाहा वोट मिल जाएं तो तीसरा समीकरण बन सकता है। लेकिन देखना होगा कि प्रशांत किशोर का कुशवाहा कार्ड रामगढ़ में कारगर होता है या नहीं। और इसका असर उसे तरारी, इमामगंज और बेलागंज में मिलता है या नहीं।

अगला लेखऐप पर पढ़ें