शादी के बाद चले गए जेल, अब चाहते हैं बच्चा; सैकड़ों कैदियों ने दिया आवेदन, क्या कहता है कानून
- बेऊर जेल में बंद एक बंदी ने सात जेल अधीक्षकों को वंशवृद्धि के लिए आवेदन दिया है। इसको लेकर अधिकारियों द्वारा कोई संजीदगी नहीं दिखाने का नतीजा है कि कई बंदी पितृ और मातृत्व सुख से वंचित हैं।
साल 2024 में सूबे की जेलों में बंद 461 बंदियों ने वंशवृद्धि के लिए आवेदन दिए हैं। ये पिछले 10 सालों में सर्वाधिक हैं। हालांकि विभाग इस पर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दे रहा है, इस कारण वंदियों की गुहार पर कोई अमल नहीं हो रहा है। कई ऐसे बंदी भी हैं जो पिछले कई सालों से प्रतिवर्ष वंशवृद्धि के लिए आवेदन दे रहे हैं। कई जेलों में पति-पत्नी दोनों बंद हैं और दोनों के द्वारा अलग-अलग आवेदन दिए गए हैं।
बेऊर जेल में बंद एक बंदी ने सात जेल अधीक्षकों को वंशवृद्धि के लिए आवेदन दिया है। इसको लेकर अधिकारियों द्वारा कोई संजीदगी नहीं दिखाने का नतीजा है कि कई बंदी पितृ और मातृत्व सुख से वंचित हैं। ये बंदी अब संतान सुख चाहते हैं लेकिन सरकार से गुहार लगाने के बावजूद उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिल रही है।
विशेष केंद्रीय कारा भागलपुर में तीन माह के दौरान पांच से अधिक बंदियों ने वंशवृद्धि के लिए कारा अधीक्षक को आवेदन दिया है। इस तरह के आवेदन बक्सर, पूर्णिया, भागलपुर, मुज्जफरपुर और बेउर जेल में लंबित हैं। पिछले पांच महीनों में सिर्फ पूर्णिया जेल से 17 बंदियों ने वंशवृद्धि के लिए आवेदन दिए हैं।
शादी के बाद आ गया अपराध की दुनिया में और हो गई सजा
कई ऐसे बंदी हैं जिनकी शादी हुई और वह अपराध की दुनिया आ गया। जेल में रहने के दौरान सजा भी हो गई। विशेष केंद्रीय कारा में सैकड़ों बंदी है, जिन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली है। ऐसे बंदी वंशवृद्धि के लिए आवेदन दे रहे हैं। केंद्रीय कारा में बंद अररिया जिले के तीन बंदियों ने वंशवृद्धि के लिए आवेदन यह कहकर दिया है कि तीन वे तीन भाई हैं और तीनों जेल में ही हैं। इस वजह से वंशवृद्धि के लिए समय मिलना जरूरी है।
क्या है प्रावधान
केंद्रीय कारा पूर्णिया में पदस्थापित प्रोबेशनर ऑफिसर स्नेहा कहती हैं कि बंदी द्वारा यदि वंशवृद्धि के लिए आवेदन दिया जाता है तो कागजी प्रक्रिया पूरी की जाती है। आवेदन पहले संबंधित जिले के जेल अधीक्षक को दिया जाता है। इसके बाद अधीक्षक जेल आईजी, एआईजी को भेजते हैं। फिर आवेदन राज्य स्तरीय प्रोबेशनर ऑफिसर के पास जाता है। वहां से अनुमति मिलने के बाद संबंधित जिले के डीएम, एसपी को भेजा जाता है। आवेदन की सत्यता की जांच करने के बाद ऐसे बंदी के बाहर निकलने पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, उसका सोशल ऑडिट किया जाता है। सही में वंशवृद्धि की जरूरत उक्त बंदी को है, इसका भी क्रॉसचेक परिजन, पत्नी और रिश्तेदार से किया जाता है। इसके बाद ही ही अनुमति मिलती है।
क्या कहते हैं पदाधिकारी?
कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद वंशवृद्धि के लिए दिए गए आवेदन पर विचार किया जाता है। हाल के दिनों में वंशवृद्धि के नियमों में सरलता की गई है। असफर इमाम मल्लिक, प्रोबेशनर ऑफिसर, पटना