Hindi Newsबिहार न्यूज़Will Pawan Singh be able to break the record of Manoj Tiwari Ravi Kishan Dinesh Lal Yadav Nirahua

क्या मनोज तिवारी, रवि किशन, दिनेश लाल यादव निरहुआ का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे पवन सिंह?

भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह अपना पहला चुनाव काराकाट लोकसभा सीट से लड़ रहे हैं। लेकिन इस इंडस्ट्री के एक्टर्स का सियासत में पहले चुनाव में हार का रिकॉर्ड रहा है। फिर चाहे वो मनोज तिवारी हो, रवि किशन हो

Sandeep लाइव हिन्दुस्तान, पटनाMon, 27 May 2024 01:05 PM
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लोकसभा चुनाव 2024 अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। सातवें और आखिरी चरण में बिहार की 8 सीटों पर मतदान है। इन सीटों में काराकाट लोकसभी सीट की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। बिहार की ज्यादातर सीटों पर आमने-सामने की लड़ाई रही। लेकिन काराकाट में लड़ाई त्रिकोणीय है। और ऐसा संभव हुआ है भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार पवन सिंह एंट्री से, जो अपने जीवन का पहला चुनाव लड़े रहे हैं। और धुंआधार चुनाव प्रचार कर रहे हैं। पवन सिंह के काराकाट से चुनाव लड़ने से एनडीए प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा और महागठबंधन के प्रत्याशी राजाराम सिंह (माले) की टेंशन बढ़ गई है। लेकिन भोजपुरी फिल्मों के सभी हीरो के साथ एक ऐसा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है जो एनडीए और महागठबंधन के प्रत्याशियों की चिंता को थोड़ा कम कर सकता है। 

दरअसल सांसद बने सभी भोजपुरी एक्टर पहली बार में कभी एमपी नहीं बन पाए हैं। फिर चाहे वो मनोज तिवारी हों, रवि किशन हो या फिर दिनेश लाल निरहुआ। हालांकि आज की तारीख में ये तीनों भोजपुरी इंडस्ट्री के हीरो सांसद हैं। लेकिन जब इन्होने अपना पहला चुनाव लड़ा था, तो हार का मुंह देखना पड़ा था। तो क्या सुपरस्टार पवन सिंह के साथ इस मिथक को तोडेंगे या फिर इस ट्रैक रिकॉर्ड उनका भी नाम जुड़े जाएगा।  हालांकि इसका पता 4 जून को चलेगा। जब चुनाव के नतीजे आएंगे।

लेकिन बात अगर भोजपुरी एक्टर मनोज तिवारी, रवि किशन और दिनेश लाल निरहुआ की करें। 2009 के लोकसभा चुनाव में पहली बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर गोरखपुर से यूपी के मौजूदा सीएम योगी आदित्यानाथ के खिलाफ चुनाव लड़ा था। और हार का सामना करना पड़ा। 83 हजार वोटों के साथ वो तीसरे नंबर पर रहे थे।

हालांकि फिर आगामी 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। मनोज तिवारी ने 2014 में उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से भाजपा के टिकट पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी प्रो आनंद कुमार को करीब डेढ़ लाख वोटों से हराया था। और संसद पहुंचे थे। इसके बाद 2019 के चुनाव में में कांग्रेस की दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा के वोटों के अंतर से हराने में कामयाब रहे थे। 

वहीं अगर बात रवि किशन की करें तो उन्होने अपना पहला चुनाव 2014 में कांग्रेस के टिकट पर जौनपुर से लड़ा था। और बेहद खराब प्रदर्शन के साथ 42 हजार वोटों से छठे नंबर पर रहे थे। रवि किशन को पहली जीत गोरखपुर सीट से 2019 के चुनाव में मिली जब उन्होंने सपा के रामभुआल निषाद को 3 लाख वोट के अंतर से हराया।

कुछ ऐसा ही हाल भोजपुरी एक्टर दिनेश लाल निरहुआ का भी था। निरहुआ ने पहली बार 2019 में आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ा और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से ढाई लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हारे थे। जब में 2022 में जब अखिलेश ने करहल से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लोकसभा से इस्तीफा दिया तो उप-चुनाव में निरहुआ ने सपा के धर्मेंद्र यादव को 8679 वोट के अंतर से हरा कर पहली सांसदी का चुनाव जीता था। लेकिन पहले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। 

और अब बिहार की काराकाट लोकसभा सीट से मैदान में भोजपुरी एक्टर पवन सिंह कूदे हैं। हालांकि पहले बीजेपी के टिकट पर उनके चुनाव लड़ने की चर्चा थी। बीजेपी ने आसनसोल से पवन सिंह को प्रत्याशी भी बनाया था। लेकिन पवन सिंह वहां से लड़ने से इंकार कर दिया था। वो बिहार की सीट से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन उनकी बात नहीं बनी। जिसके बाद निर्दलीय काराकाट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया। 

हालांकि इस चुनाव में पवन सिंह की राह भी आसान नहीं है। एक तरफ आरएलएम के अध्यक्ष और एनडीए प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा हैं, तो वहीं महागठबंधन के राजाराम मैदान में है। उपेंद्र कुशवाहा के लिए बीजेपी के नेताओं ने जमकर चुनाव प्रचार किया । फिर चाहे वो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो, या फिर गृहमंत्री अमित शाह। हालांकि पवन सिंह को भोजपुरी एक्टर खेसारी लाल यादव का साथ जरूर मिला। जिन्होने उनके लिए चुनाव प्रचार किया। लेकिन भोजपुरी एक्टर्स के साथ पहला चुनाव हारने का जो ग्रहण लगा है। या जो ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। क्या उसे पवन सिंह तोड़ पाएंगे ये देखने वाली बात होगी। 

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