पटना में आठ सौ साल से भी ज्यादा पुरानी इस दरगाह पर आज भी होते हैं चमत्कार, भक्तों का लगता है तांता
बिहार की राजधानी पटना के पास 800 साल पुराना एक एतिहासिक दरगाह है जिसे छोटी दरगाह के नाम से भी जाना जाता है। ये वही जगहा है जहां प्रसिद्ध मुस्लिम संत मखदूम शाह दौलत को दफनाया गया था।
बिहार की राजधानी पटना से करीब तीस किलोमीटर दूर मुस्लिम संत की एक बड़ा प्रसिद्ध दरगाह है जिसे छोटी दरगाह के नाम से जाना जाता है। तीन मंजिला ये दरगाह प्रसिद्ध मुस्लिम संत मखदूम शाह दौलत का मकबरा है जिन्हें 1616 में यहां दफनाया गया था। वास्तुकला की दृष्टि से यह शानदार मकबरा 1619 में इब्राहिम खान द्वारा बनवाया गया था। दरगाह के शीर्ष पर एक विशाल गुंबद है, जिसकी छत पर कुरान की आयतें लिखी हुई है। छोटी दरगाह के सामने एक विशाल तालाब भी है। वर्तमान में दरगाह के पास कपड़े से ढके कई मकबरे हैं। इस दरगाह को मनेर शरीफ के नाम से भी जाना जाता था।
छोटी दरगाह का इतिहास
कहा जाता है मखदूम शाह दौलत के पूर्वज हजरत मखदूम याहया मनेरी भी यहां आए थे। वह स्थान है जहां 1608 में मखदूम दौलत ने अंतिम सांस ली थी। इसके बाद 1616 में बिहार के राज्यपाल इब्राहिम खान जो उनके शिष्य भी थे, उन्होंने इस मकबरे का निर्माण करवाया। भवन की दीवारों को इस्लामी वास्तुकला के हिसाब से सजाया गया है। दरगाह के शीर्ष पर एक बड़ा गुंबद है और छत कुरान से चित्रित शिलालेखों से भरी हुई है। मनेर शरीफ के परिसर में आपको एक मस्जिद मिलेगी जिसका निर्माण भी इब्राहिम खान ने 1619 में करवाया था।
प्राचीन समय में मनेर शरीफ सीखने और ज्ञान का प्रमुख स्थल हुआ करता था। प्रसिद्ध वैयाकरण पाणिनि और बारारूची मनेर शरीफ के निवासी थे, जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई भी पूरी की है। मनेर शुद्ध घी से बने मीठे स्वादिष्ट लड्डू के लिए भी प्रसिद्ध है। मनेर स्वीट्स मनेर का लड्डू कहे जाने वाले प्रसिद्ध ब्रांड के लड्डू बनाती है।
छोटी दरगाह कैसे पहुंचे?
बस द्वारा: - दरगाह बिहारशरीफ बस स्टैंड से 3.5 किमी दूर है, यहां से बसें उपलब्ध हैं।
रेल द्वारा:- दरगाह बिहारशरीफ रेलवे स्टेशन से 2.4 किमी दूर है, यहां से रिक्शा लेकर दरगाह तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
हवाई मार् द्वारा: - दरगाह जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से 85.6 किमी दूर है। यहां से कैब बुक करके दरगाह आसानी से पहुंचा जा सकता है।