2 लाख का इनामी, 27 केस में आरोपी; बिहार का मोस्ट वॉन्टेड रंजीत चौधरी गिरफ्तार
बिहार के खतरनाक अपराधियों की लिस्ट में शामिल रंजीत चौधरी को एसटीएफ ने ऋषिकेश से गिरफ्तार किया है। रंजीत पर 2 लाख का इनाम है। औ 27 आपराधिक मामले दर्ज हैं। जिसमें हत्या, लूट, रंगदारी, आर्म्स एक्ट जैसे अपराध शामिल हैं। झारखंड में भी रंजीत पर कई केस दर्ज हैं।
बालू घाटों पर वर्चस्व कायम कर इसके ठेकेदारों से उगाही करने वाले कुख्यात अपराधी रंजीत चौधरी को उत्तराखंड के ऋषिकेश से गिरफ्तार कर लिया गया। 2 लाख रुपये के इस इनामी बालू माफिया को बिहार और उत्तराखंड एसटीएफ ने बड़ी मशक्कत के बाद दबोचने में कामयाबी हासिल की। इसके खिलाफ पटना, भोजपुर के अलावा झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के विभिन्न थानों में संगीन अपराध से जुड़े 27 मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या, लूट, रंगदारी, आर्म्स एक्ट, पुलिस पर हमला करने समेत अन्य जघन्य आपराधिक मामले शामिल हैं।
करीब दो दर्जन गंभीर आपराधिक मामलों में उसकी सीधे तौर पर संलिप्तता पाई गई है। इस पर बिहार और झारखंड में सिर्फ हत्या के 11 मामले दर्ज हैं। पटना और भोजपुर जिले के बालू ठेकेदारों से रंगदारी वसूलने में इसका नाम प्रमुखता से सामने आता रहा है। पटना के आसपास के इलाकों में बालू घाटों पर वर्चस्व को लेकर उसकी कई दूसरे अपराधियों और पुलिस से भी मुठभेड़ हो चुकी है। बालू घाट वाले इलाकों में दहशत बरकरार रखने के लिए वह अक्सर गोलीबारी की घटनाओं को अंजाम देता रहता था। जिला पुलिस को काफी समय से उसकी तलाश थी, लेकिन वह फरार चल रहा था। रंजीत चौधरी मूल रूप से भोजपुर जिले के उदवंतनगर थाने के बेलाउर का रहने वाला है।
रंजीत चौधरी ने अपने साथियों के साथ मिलकर 6 नवंबर 2023 को पटना जिले के रानीतालाब थाना क्षेत्र के निसरपुरा गांव के रहने वाले बालू ठेकेदार देवराज की हत्या कर दी थी। यह हत्या उसने रंगदारी नहीं देने के कारण की थी। ताकि, अन्य बालू कारोबारियों में उसका खौफ पनप सके। इसके अलावा 21 अक्टूबर 2023 को भोजपुर जिले में बालू घाट के वर्चस्व को लेकर बक्सर जिला औद्योगिक थाना के अर्जुनपुर गांव के रहने वाले राकेश कुमार की हत्या गोली मारकर कर दी थी। ऐसे अन्य हत्याकांडों को भी वह अंजाम देता रहा, ताकि वह दहशत बनाकर बालू ठेकेदारों से वसूली कर सके। 29 फरवरी 2024 को आरा कोर्ट के गेट पर अपने गांव के गोपाल चौधरी को गोली मारकर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था। एक मामले में गोपाल चौधरी गवाह था।
पुलिस के बाद जब एसटीएफ की दबिश उसे पकड़ने के लिए बढ़ी, तो वह भागकर ऋषिकेश चला गया और वहां वेश बदलकर रहने लगा। वहां भी वह लगातार अपना ठिकाना बदलता रहता था। वह मोबाइल भी बदल-बदल कर रखता था। उसके बारे में एसटीएफ को गुप्त सूचना मिली। इसके बाद एसटीएफ की एक टीम वहां के लिए रवाना हो गई।
सादे लिबास में एसटीएफ की टीम ने पहले उसकी पूरी रेकी की। इसके बाद बड़ी मशक्कत से उसे ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला इलाके के एक होटल से दबोचा गया। उसे जब पकड़ा गया, तो उसकी पत्नी और बच्चे भी साथ थे। यह समझा जा रहा है कि वह बीच में बिहार आया था और इस बार परिवार को साथ लेकर गया था।
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