Bihar Land Survey 2024 : राजस्व विभाग का पोर्टल नहीं खुल रहा, डिजिटल जमाबंदी में भी गड़बड़ी; भू मालिक क्यों हैं परेशान
सबसे ज्यादा परेशानी डिजिटल जमाबंदी में गड़बड़ी से है। अंचल पहुंचे विनय मिश्रा ने बताया कि ऑनलाइन जमाबंदी से लगान रसीद कटाने पर खेसरा शून्य दिखा रहा है। अशोक सिंह, दिलीप सिंह आदि ने बताया कि मार्च में परिमार्जन के तहत आवेदन दिया था।
बिहार में विशेष भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू होते ही विभिन्न प्रखंड सह अंचल कार्यालय में जमाबंदी सुधार, छूटी हुई जमाबंदी जोड़ने, दाखिल-खारिज करने व रोकने, रसीद नही कटने की परेशानी को लेकर आवेदकों की भीड़ उमड़ रही है। सासाराम में डेहरी अंचल में समय पर कर्मियों के उपस्थित नहीं होने तथा सीओ के दो जगह प्रभार में रहने के कारण डेहरी प्रखंड कार्यालय पर आने वाले ग्रामीणों को बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है। अधिकारियों व राजस्व कर्मचारियों ने आवेदकों की शिकायतें सुनने के बजाय यह कहकर लौटा दिया जा रहा है कि आज राजस्व विभाग का संबंधित पोर्टल नहीं खुल रहा है।
लोग जमीन के कागजात जुटाने व अधूरे कागजात दुरुस्त कराने के लिए राजस्व कर्मचारी, अंचल कार्यालय से लेकर भू-अभिलेखागार तक चक्कर लगाते मिले। सबसे ज्यादा परेशानी डिजिटल जमाबंदी में गड़बड़ी से है। अंचल पहुंचे विनय मिश्रा ने बताया कि ऑनलाइन जमाबंदी से लगान रसीद कटाने पर खेसरा शून्य दिखा रहा है। अशोक सिंह, दिलीप सिंह आदि ने बताया कि मार्च में परिमार्जन के तहत आवेदन दिया था।
आज तक ऑनलाइन जमाबंदी में सुधार नहीं हुआ है। अविनाश कुमार ने बताया कि पोर्टल धीमा रहने से आवेदन में समय लगता है। परिमार्जन आवेदन के निष्पादन में भी शिथिलता बरती जा रही है। अधिकतर पंचायतों में जानकारी दी जा चुकी है, लेकिन वंशावली समेत अन्य प्रक्रियाओं को लेकर अब भी असमंजस की स्थिति है। कई जमीन का खाता-खेसरा नहीं चढ़ा हुआ है। लगातार अंचल का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।
गोपालगंज में क्या है समस्या
भूमि सर्वे के लिए स्व घोषणा और वंशावली जमा करने का कार्य शुरू हो गया है। लेकिन, जिला निबंधन कार्यालय से पुराने दस्तावेजों की सत्यापित प्रति नहीं मिल पा रही है। इससे जरूरतमंदों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि 1922 से 1982 के बीच निबंधित हुए दस्तावेजों के अभिलेख पहले छपरा सिविल कोर्ट परिसर में स्थित अभिलेखागार में रखे गए थे। वहीं से गोपालगंज जिले के लोग भी अपने दस्तावेजों की सत्यापित प्रति निकाल कर लाते थे।
लोगों की परेशानी को देखते हुए वर्ष 2018 में गोपालगंज जिले से संबंधित सभी अभिलेखों को स्थानीय रजिस्ट्री कार्यालय के अभिलेखागार में लाकर जमा कर दिया गया। सभी अभिलेखों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बाद में इन अभिलेखों के डिजिटाइजेशन का कार्य एचपी कम्पनी को दिया गया। लेकिन, कुछ दिन बाद ही कंपनी काम छोड़ कर भाग गई। जिससे अभिलेखों के डिजिटाइजेशन का कार्य पूरा नहीं हो सका।
बाद में लोगों की परेशानी को देखते हुए मैन्युअली ही अभिलेख खोज कर उसकी सत्यापित प्रति देने का कार्य शुरू कर दिया गया। बताया जाता है कि छपरा में ही अधिकांश अभिलेख पानी से भींग कर बर्बाद हो गए थे। जब अभिलेख का इंडेक्स बनाने का कार्य शुरू हुआ तो पता चला कि कई गायब हैं। अभिलेख भी इतने जीर्णशीर्ण अवस्था में है कि पन्ना पलटते ही फटने लगते हैं। ऐसे में रजिस्टर के पन्नों को पलट कर किसी अभिलेख को खोजना काफी मुश्किल काम हो गया है।
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