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अंधेरा कायम है! फोन चार्ज करने भारत से नेपाल जाते हैं, यहां सैकड़ों लोगों को रोशनी का अब भी इंतजार

  • ग्रामीणों के अनुसार जब भी प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो कोई भी सुनवाई नहीं होती। टीवी, फ्रिज समेत दैनिक उपयोग की वस्तुएं यहां के लोगों के लिए सपना बना हुआ है।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, चंद्रभूषण शांडिल्य, बगहा, पश्चिम चंपारणWed, 19 Feb 2025 09:43 AM
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अंधेरा कायम है! फोन चार्ज करने भारत से नेपाल जाते हैं, यहां सैकड़ों लोगों को रोशनी का अब भी इंतजार

वाल्मीकिनगर से सटी लक्ष्मीपुर रामपुरवा पंचायत का झंडू टोला गांव। गांव में अभी तक बिजली की सुविधा नहीं है। हालत यह है कि लोगों को फोन चार्ज करने के लिए भी नेपाल जाना पड़ता है। गांव में रोशनी के लिए सोलर पैनल लगाया गया था परंतु तीन साल पूर्व वह खराब हो गया। तब से गांव के पांच सौ लोग अंधेरे में रह रहे हैं।

झंडू टोला के मखना कुंवर, ज्योति देवी, गोदावरी आदि ने बताया कि चारों तरफ से प्राकृतिक रूप से खतरों के बीच में उनका गांव स्थित है। एक तरफ गंडक का किनारा है तो दूसरी तरफ वीटीआर का जंगल। वे लोग बीते तीन साल से अंधेरे में हैं। गांव में सोलर प्लांट लगा, लेकिन वह काम नहीं कर रहा है। ग्रामीण मानिक कुमार, रौशन प्रसाद आदि ने बताया कि गांव से बाहर निकलने पर हर हाथ में स्मार्ट फोन दिखता है, लेकिन उनके गांव में आज भी कीपैड वाला फोन ही इस्तेमाल होता है।

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कारण इसकी चार्जिंग लंबे समय तक टिकती है। मोबाइल को चार्ज करने के लिए एक किमी दूर नेपाल जाना पड़ता है। लोगों ने बताया कि नेपाल का गांव सुस्ता महज एक किमी की दूरी है, जहां बिजली जगमग करती है या फिर ढाई से तीन किमी दूर भेड़िहारी चौक (भारतीय क्षेत्र) जाना पड़ता है।

गौरतलब है कि गांव के आसपास जंगल और नदी के कारण यहां के लोगों को जंगली जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता है। बाघ, तेंदुआ, जंगली सूअर और सांप गांव में घुसने के कारण लोग दिन रात डर के साए में जीने को विवश है। ग्रामीणों के अनुसार जब भी प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो कोई भी सुनवाई नहीं होती। टीवी, फ्रिज समेत दैनिक उपयोग की वस्तुएं यहां के लोगों के लिए सपना बना हुआ है।

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प्रशासनिक उपेक्षा का दंश और नई परियोजनाएं

ग्रामीणों ने प्रशासन और जिला प्रशासन को कई बार समस्याओं से अवगत कराया है। उसी गांव में एसएसबी का एक बीओपी (बॉर्डर आउट पोस्ट) भी है, इसलिए एसएसबी ने भी बिजली पहुंचाने को लेकर प्रशासन को बताया। 2018 में सोलर प्लांट स्थापित किया गया था लेकिन कुछ वर्षों बाद वह खराब हो गया। इसके बाद से पूरा क्षेत्र अंधेरे में है। प्रगति यात्रा के दौरान 139 करोड़ की लागत से ऑन ग्रिड और ऑफ ग्रिड विद्युत पावर स्टेशन बनाने की योजना बनाई है ताकि इलाके में अनवरत बिजली आपूर्ति होती रहे। हालांकि, इसके लिए लोगों को दो वर्ष का इंतजार करना होगा।

बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता आलोक अमृतांशु ने बताया कि जिन इलाकों में ऑन ग्रिड बिजली नहीं पहुंची है वहां ऑफ ग्रिड बिजली पहुंचाई गई है। इसी क्रम में सीमाई इलाका झंडू टोला, चकदहवा और बिन टोली में एमजीपी प्लांट स्थापित किया गया था। सोलर पैनल की बैटरी खराब होने से झंडू टोला में बिजली नहीं मिल पा रही है। वंचित गांवों में शीघ्र बिजली पहुंचायी जाएगी।

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