Navratri 2024: इस बार डोली पर सवार आईं और मुर्गे पर होगी विदाई, नवरात्र में मां दुर्गा की भक्ति में डूबे भक्त
Navratri 2024: इस वर्ष शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर गुरुवार से शुरू होकर 11 अक्टूबर को समाप्त होगा। 12 अक्टूबर को विजयादशमी होगी। इस वर्ष मां की विदाई मुर्गे पर हो रही है। मां का आगमन और प्रस्थान दोनों ही अशुभ है।
Navratri 2024: कलश स्थापना के साथ गुरुवार से शारदीय नवरात्रि का अनुष्ठान शुरू हो गया । देवी मंत्रों के आह्वान के बीच श्रद्धालु गुरुवार सुबह से आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना में लीन हो गए। अगले नौ तिथियों तक मां की स्तुति से राजधानी पटना के घर, मंदिर और पूजा पंडाल गुंजायमान होंगे। गुरुवार के दिन प्रतिपदा होने के कारण मां दुर्गा पालकी या डोली पर सवार होकर आएगी। कलश स्थापना का मुहूर्त सुबह 6.15 मिनट से 7.22 बजे तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.46 बजे से दोपहर 12.33 मिनट तक रहेगा। वैसे दोपहर 3.17 बजे तक कलश की स्थापना की जा सकेगी।
ज्योतिषाचार्य पीके युग बताते हैं कि गुरुवार को हस्त नक्षत्र दिन में 3.17 मिनट तक रहेगा। इसके बाद चित्रा नक्षत्र शुरू हो जाएगा। शास्त्रत्तें में चित्रा नक्षत्र में कलश स्थापना नहीं करने की हिदायत है। इसलिए श्रद्धालु सुबह से दोपहर 3.17 तक कलश स्थापना कर मां भगवती के नौ दिवसीय पूजन की शुरुआत करेंगे। इस वर्ष शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर गुरुवार से शुरू होकर 11 अक्टूबर को समाप्त होगा। 12 अक्टूबर को विजयादशमी होगी। इस वर्ष मां की विदाई मुर्गे पर हो रही है। मां का आगमन और प्रस्थान दोनों ही अशुभ है।
गुरुवार को सुबह में कलश स्थापना के पहले श्रद्धालु मिट्टी की वेदी बनाकर उसमें जौ और गेहूं मिलाकर बोएंगे। पं. प्रेमसागर पांडेय बताते हैं कि जिनके घरों में कलश स्थापना नहीं हो रही है वे लोग भी दुर्गा सप्तशती का पाठ, सिद्ध कुंजिका स्रोत और दुर्गा चालीसा का पाठ कर मां के आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है।11 सुबह से शाम तक हवन इस वर्ष 11 अक्टूबर को सुबह 6.28 बजे से 12 अक्टूबर सूर्योदय के पहले तक हवन का मुहूर्त बन रहा है।
इन रूपों की होगी आराधना
3 अक्टूबर प्रथम-मां शैलपुत्री की पूजा
4 अक्टूबर द्वितीय-मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
5 अक्टूबर तृतीय-मां चंद्रघंटा की पूजा
6 अक्टूबर चतुर्थ-मां कुष्मांडा की पूजा
7 अक्टूबर पंचम-मां स्कंदमाता की पूजा
8 अक्टूब षष्ठी-मां कात्यायनी की पूजा
9 अक्टूबर सप्तमी-मां कालरात्रि की पूजा
10 अक्टूबर अष्टमी-मां महागौरी
11 अक्टूबर नवमी-मां सिद्धिदात्री