18 से पितृपक्ष, दो अक्टूबर तक पितरों का कर सकेंगे तर्पण
पितृपक्ष महालया 18 सितंबर से शुरू होगा और 2 अक्टूबर को समाप्त होगा। ज्योतिषाचार्य पंडित प्रभात मिश्र के अनुसार, श्राद्ध करना आवश्यक है क्योंकि इससे कुल में वीर और निरोगी संतानें उत्पन्न होती हैं। इस...
मुजफ्फरपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। पितृपक्ष महालया 18 सितम्बर को आरम्भ होगा, जो दो अक्टूबर को समाप्त हो जयेगा। प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध एवं तर्पण 18 सितम्बर को ही किया जायेगा। शहर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित प्रभात मिश्र ने बताया कि शास्त्रों में मनुष्यों के लिए तीन ऋण बताए गए हैं, देव-ऋण, ऋषि-ऋण और पितृ ऋण।
उन्होंने कहा कि श्राद्ध करने से कुल में वीर, निरोगी, शतायु एवं श्रेय प्राप्त करने वाली संतानें उत्पन्न होती हैं। इसलिए सभी के लिए श्राद्ध करना आवश्यक माना गया है। पंडित प्रभात मिश्र ने बताया कि किसी कारण से पितृपक्ष की अन्य तिथियों पर पितरों का श्राद्ध करने से चूक गए हैं या पितरों की तिथि याद नहीं है, तो इस तिथि पर सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। शास्त्र अनुसार, इस दिन श्राद्ध करने से कुल के सभी पितरों का श्राद्ध हो जाता है। यही नहीं, जिनका मरने पर संस्कार नहीं हुआ हो, उनका भी अमावस्या तिथि को ही श्राद्ध करना चाहिए। पिंडदान करने के लिए सफेद या पीले वस्त्र ही धारण करें। श्राद्ध सदैव दोपहर के समय ही करें। प्रातः एवं सायंकाल के समय श्राद्ध निषेध कहा गया है। उन्होंने कहा कि इस अवधि में लोग कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं।
अगस्त ऋषि तर्पण एवं प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर बुधवार से शुरू होगा। वहीं, उस दिन से लगातार 15 दिनों तक पितर को लोग तर्पण करेंगे और दो अक्टूबर तक तर्पण कार्य चलेगा। दो अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के तर्पण के बाद पितृपक्ष का समापन हो जाएगा।
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