गर्भवती एवं धात्री मां को खान-पान का ख्याल रखना जरूरी
गर्भवती एवं धात्री मां को खान-पान का ख्याल रखना जरूरी

लखीसराय, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जिले भर में बच्चों के नाटापन में कमी आई है। जो एक अच्छा बदलाव है। क्योंकि बच्चो के कुपोषण से मुक्त कराने के लिए राज्य सरकार भी काफी गंभीर है। हालांकि कुपोषण से पूरी तरह से मुक्त होने के लिए धात्री माताओं के साथ समाज के हर परिवार के हर सदस्य को जागरूक होने की आवश्कता है। ताकि समाज कुपोषण मुक्त बन सके। इसके लिए जरूरी है गर्भवती माता के साथ धात्री माता को भी अपने खान-पान का विशेष ख्याल रखने की। सीएस डॉ बीपी सिन्हा ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों के प्रयास से जिले में बच्चों के नाटापन में अपेक्षाकृत कमी आया है।
एनएफएचएस 4 (2015- 16) के आंकड़ों के अनुसार जिले में 50.6 प्रतिशत बच्चे नाटापन के शिकार थे। जो अब एनएफएचएस 5 (2019-20) के आंकड़ों के अनुसार घटकर मात्र 42.7 प्रतिशत रह गया है। इस दिशा में अभी और काम करने की जरूरत है जिससे जिले कुपोषण मुक्त हो सके। एक स्वस्थ्य मां ही स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दे सकती है, या हम सभी को मालूम होना चाहिए इसके लिए जरूरी है कि हर गर्भवती महिला अपने खाने में सभी तरह के पौष्टिक आहार को नियमित रूप से शामिल करें। समय-समय पर अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र पर होने वाले प्रसव-पूर्व जांच कराएं। ये जांच प्रसव से पहले पांच बार होती है। गर्भस्थ बच्चे के लिए महिला की थाली में सभी तरह के विटामिन युक्त भोजन शामिल होने चाहिए। उस थाली में कार्बोहाइड्रेट वाली पदार्थ जैसे रोटी व चावल , प्रोटीन और खनिज वाली चीजें जैसे दाल एवं हरी पत्तेदार सब्जी के साथ पीले फल अगर महिला मांसाहारी है तो अंडे एवं मछली को खाने में शामिल करें। पूरे गर्भकाल में गर्भवती महिला के वजन में 10 से 12 किलो की वृद्धि होनी चाहिए। यदि इससे कम वृद्धि हो रही है तो जन्म के समय बच्चे का वजन काम होगा जो जन्म से ही कुपोषित हो जाएगा।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।