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जब कोर्ट ने कानून कानून रद्द कर दिया तो नौवीं सूची की बात बेमानी; तेजस्वी यादव को जेडीयू का जवाब

बिहार में बढ़े हुए आरक्षण को नौवीं सूची में डालने की तेजस्वी की मांग पर जेडीयू ने जवाब दिया है। जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि जब कानून ही रद्द हो गया है। तो फिर नौवीं सूची में डालने की बात कैसे कर सकते हैं।

sandeep हिन्दुस्तान, पटनाTue, 3 Sep 2024 09:50 AM
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बिहार में आरक्षण की सीमा 65 फीसदी किए जाने वाले कानून को संविधान की नौवीं सूची में डालने की विपक्षी दलों समेत नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मांग को लेकर जेडीयू की तरफ से जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जवाब देते हुए कहा, कि आज की तारीख में जब यह कानून ही नहीं है तो 9वीं अनुसूची मे शामिल करने की बात कैसे की जा सकती है?

विजय चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जब बढ़े हुआ आरक्षण का कानून को पास किया गया था, तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध भी कर दिया था। सरकार इस मामले में कदम भी उठा चुकी है। लेकिन हैरानी तब होती है, जब लोग कहते हैं, कि इस कानून को संविधान की 9वीं अनुसूची में डाला जाए। जब वो कानून ही रद्द हो चुका है। यह समझने की बात है।

उन्होने कहा सरकार ने ईमानदारी से बढ़े हुए आरक्षण को लागू किया था। इसलिए तत्काल उसी वक्त जो कानूनी विकल्प थे, उसके हिसाब से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। हम लोगों का मानना है, कि ये जो बढ़ा हुआ आरक्षण है। उसके मुताबिक लोगों को लाभ मिलना चाहिए। बिहार सरकार इस उम्मीद में है, कि सुप्रीम कोर्ट न्याय करेगा। जब यह कानून फिर से बहाल हो जाएगा तो हम लोग नौवीं अनुसूची में शामिल करने की बात करेंगे।

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जल संसाधन मंत्री ने कहा कि जो जातीय गणना हुई उसमें जो आंकड़े आए, उसके आधार पर पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित समाज के लोगों के लिए बिहार सरकार ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में आरक्षण की सीमा बढ़ाई। सरकार ने लागू भी कर दिया, लोगों को लाभ भी मिलने लगा। लेकिन जिन लोगों को यह पसंद नहीं आया उन लोगों ने कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका लगाई। कोर्ट ने उस कानून को निरस्त कर दिया। इसका मतलब है कि वो कानून ही रद्द हो गया। आज के समय में वो कानून रद्द किया जा चुका है।

चौधरी ने कहा कि ये बात तो पूरी दुनिया, पूरा देश और पूरा बिहार जानता है कि जातीय गणना किसके नेतृत्व में हुई। सभी दलों की सहमति थी, लेकिन पहल और निर्णय सिर्फ नीतीश कुमार ने की। जातीय गणना की सोच उन्ही की थी। जिसे सभी लोगों ने स्वीकार किया। जातीय गणना का राजद जबरदस्ती श्रेय लेना चाहता है। जदयू प्रदेश कार्यालय में मंगलवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि हम लोगों को पूरी उम्मीद है। कि उच्चतम न्यायालय से राहत मिलेगी और आरक्षण की बढ़ी हुई सीमा फिर से बिहार में लागू होगी। इस मौके पर कई युवा जदयू में शामिल हुए।

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