Hindi Newsबिहार न्यूज़Hydroelectricity will generate from gandak mahananda and budi gandak river in bihar

बिहार की इन तीन नदियों से 160 मेगावाट पनबिजली का होगा उत्पादन, सबसे बड़ी जलविद्युत यूनिट का सर्वे पूरा

  • राज्य में अभी अरवल, औरंगाबाद, रोहतास, सुपौल और पश्चिम चंपारण में 11 पनबिजली की छोटी इकाईयों पर काम चल रहा है। निकट भविष्य में इन इकाईयों से 9.3 मेगावाट पनबिजली उत्पादित होगी, जबकि सूबे के 13 विभिन्न स्थानों पर अभी 54.3 मेगावाट पनबिजली उत्पादित हो रही है।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, संजय, पटनाMon, 3 March 2025 06:12 AM
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बिहार की इन तीन नदियों से 160 मेगावाट पनबिजली का होगा उत्पादन, सबसे बड़ी जलविद्युत यूनिट का सर्वे पूरा

बिहार की नदियों के बेसिन से पनबिजली उत्पादन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बिहार राज्य जलविद्युत निगम (बीएचपीसी) ने राज्य की तीन नदियों से पनबिजली उत्पादन के लिए सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया है। सर्वे में गंडक, महानंदा और बूढ़ी गंडक बेसिन में 160 मेगावाट पनबिजली उत्पादन की संभावना जताई गई है। निगम अब पनबिजली घर बनाने की दिशा में आगे की कार्रवाई शुरू कर चुका है। आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महानंदा, बूढ़ी गंडक और गंडक बेसिन में जलविद्युत संयंत्र निर्माण की संभावना का मूल्यांकन करने के लिए इन क्षेत्रों में बीते दिनों सर्वेक्षण का कार्य शुरू हुआ था जो अब पूरा हो चुका है।

रिपोर्ट के अनुसार परियोजनाओं के स्थानों और क्षमता की पहचान कर ली गई है। इसकी संयुक्त क्षमता 160.अ1 मेगावाट आंकी गई है। सबसे बड़ी पनबिजली इकाई गंडक बेसिन में लगाई जा सकती है। पश्चिम चंपारण के बेतिया में 80 मेगावाट और बगहा में 50 मेगावाट की पनबिजली इकाई लग सकती है। राज्य की अब तक की यह सबसे बड़ी पनबिजली इकाईयां होंगी। दो अन्य नदियों में पनबिजली की छोटी इकाईयां बन सकती हैं।

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महानंदा बेसिन में अररिया के बसंतपुर में 2.10 मेगावाट पनबिजली उत्पादित हो सकती है। वहीं पूर्णिया के सोनापुर में 11.40 मेगावाट पनबिजली उत्पादित हो सकती है, जबकि किशनगंज के दालखोला में 7.70 मेगावाट और रूपाधार में 2.50 मेगावाट की पनबिजली इकाई लग सकती है, जबकि बूढ़ी गंडक बेसिन में पूर्वी चंपारण के रघुनाथपुर में दो मेगावाट की पनबिजली इकाई लग सकती है। पूर्वी चंपारण के बड़ी गोविन्दपुर में 4.4 मेगावाट की पनबिजली इकाई लगाई जा सकती है।

राज्य में अभी अरवल, औरंगाबाद, रोहतास, सुपौल और पश्चिम चंपारण में 11 पनबिजली की छोटी इकाईयों पर काम चल रहा है। निकट भविष्य में इन इकाईयों से 9.3 मेगावाट पनबिजली उत्पादित होगी, जबकि सूबे के 13 विभिन्न स्थानों पर अभी 54.3 मेगावाट पनबिजली उत्पादित हो रही है

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पनबिजली इकाइयों की खाली जमीन में सौर ऊर्जा का होगा उत्पादन

राज्य की चालू पनबिजली इकाइयों में खाली जमीन है। इसका उपयोग सोलर बिजली के उत्पादन के लिए करने की योजना पर काम चल रहा है। प्रारंभिक आकलन में पाया गया कि पनबिजली इकाईयों की खाली जमीन पर 10 मेगावाट सोलर बिजली का उत्पादन हो सकता है। इसके लिए विद्युत संयंत्रों की छतों, पनबिजली इकाई की खाली जमीन, विद्युत वितरण चैनल और टेलरेस चैनल पर सौर संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। बिहार के ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री, बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि पनबिजली इकाई लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सरकार थर्मल और सोलर बिजली के साथ ही पनबिजली के उत्पादन पर भी काम कर रही है।

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