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बिहार के उपचुनाव में हर सीट पर वंशवाद; महागठबंधन और एनडीए की लिस्ट में बेटा, बहू, पत्नी गिन लीजिए

बिहार उपचुनाव की चारों सीटों पर वंशवाद हावी है। फिर चाहे वो महागठबंधन के प्रत्याशी हों, या फिर एनडीए के हों। किसी के बेटे, किसी की बहू, किसी की पत्नी चुनावी मैदान में कूदे है। हालांकि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने परिवारवाद से दूरी बनाए रखी है।

sandeep हिन्दुस्तान, पटना, अरुण कुमारMon, 21 Oct 2024 06:53 PM
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बिहार में चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में वंशवाद पूरी तरह हावी है। इमामगंज, बेलागंज और रामगढ़ की सीट पर बेटे, बहू और पत्नी को प्रत्याशी बनाया गया है। परिवारवाद की राजनीति में महागठबंधन और एनडीए दोनों ही शामिल हैं। तरारी सीट से बीजेपी ने पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार उर्फ सुनील पांडे के बेटे विशाल प्रशांत को मैदान में उतारा है। वहीं महागठबंधन ने माकपा माले के राजू यादव को प्रत्याशी बनाया है। रामगढ़ सीट से महागठबंधन की ओर से आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद के बेटे अजीत सिंह को उतारा है। बीजेपी ने इस सीट पर अशोक कुमार सिंह पर दांव लगाया है।

इसी तरह इमामगंज सीट से केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी बहू और राज्य सरकार में मंत्री संतोष कुमार सुमन की पत्नी दीपा मांझी को उम्मीदवार बनाया है। बेलागंज से विधायक रहे सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ सिंह को आरजेडी ने चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं जेडीयू ने इस सीट से पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी को कैंडिडेट घोषित किया है। जो ताकतवर दिवंगत नेता बिंदू यादव की पत्नी और रॉकी यादव की मां हैं। जिन्हें रोडरेज की घटना के बाद गिरफ्तार किया गया था। हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उनके आवास पर छापेमारी भी की थी।

विस क्षेत्र एनडीए महागठबंधन

तरारी विशाल प्रशांत राजू यादव

रामगढ़ अशोक कुमार सिंह अजीत कुमार सिंह

बेलागंज मनोरमा देवी विश्वनाथ सिंह

इमामगंज(सु) दीपा मांझी रौशन कुमार मांझी

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आपको बता दें एनडीए की ओर से बीजेपी 2, जेडीयू 1 और हम 1 सीट पर लड़ रही है। वहीं महागठबंधन की ओर से आरजेडी 3 और भाकपा माले एक सीट पर चुनावी मैदान में है। तरारी को छोड़ अन्य तीनों सीटों पर एक ही जाति के उम्मीदवार आमने-सामने हैं। ऐसे में प्रभावी जातियों के वोटों का बिखराव रोकना दोनों गठबंधनों के लिए चुनौती है। सभी सीटों पर अन्य जातियां निर्णायक साबित हो सकती हैं। इन दोनों गठबंधनों के अलावा प्रशांत किशोर भी तीसरा कोण बनाने की जुगत में हैं।

प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी अब तक तीन सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। जिसमें तरारी से लेफ्टिनेंट एसके सिंह, बेलागंज से प्रोफेसर खिलाफत हुसैन, इमामगंज से डॉक्टर जितेंद्र पासवान कैंडिडेट हैं। वहीं रामगढ़ की सीट पर 5 संभावित प्रत्याशियों के नाम सामने आए हैं। कल प्रशांत किशोर उन पांच नामों में एक को फाइनल करेंगे।

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सामाजिक विश्लेषक प्रोफेसर एनके चौधरी ने कहा कि वंशवादी राजनीति महज एक शब्द है, जिसका इस्तेमाल सभी मुख्यधारा के राजनीतिक दल समय, जगह और सुविधा के मुताबिक करते हैं। लेकिन कार्रवाई करने का साहस नहीं रखते। बिहार में सत्ता की राजनीति साध्य और साधन है। जो एक बार फिर स्पष्ट है। वंशवाद की राजनीति सर्वव्यापी है, और जो लोग इसके खिलाफ बोलते हैं, वो भी इसमें फंस जाते हैं। इस मामले में जन सुराज को थोड़ा सा फायदा मिल सकता है, लेकिन परिणाम पर ज्यादा असर पड़ता नहीं दिख रहा है।

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