वाणिज्य के क्षेत्र में उपलब्ध हैं अपार संभावनाएं : प्रो. एचके सिंह
दरभंगा में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें वाणिज्य शिक्षा में नई नीतियों और प्रौद्योगिकी के समावेश पर जोर दिया गया। मुख्य अतिथि प्रो. एचके सिंह ने वाणिज्य संकाय के अंतर्गत विभाजन और...

दरभंगा, नगर संवाददाता। वाणिज्य के क्षेत्र में अपार संभावनाएं उपलब्ध हैं। केवल जरूरत है संभावनाओं की पहचान कर उन्हें अवसर के रूप में परिणत करने की। परंपरागत वाणिज्य शिक्षण में नई शिक्षा नीति 2020 के लक्षित उद्देश्यों के साथ-साथ नवीन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों का समावेश भी जरूरी है। ये बातें शुक्रवार को लनामिवि के पीजी वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन विभाग के तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो. एचके सिंह ने कही। पीजी वाणिज्य व व्यवसाय प्रशासन विभाग में ‘नई सदी में वाणिज्य संकाय : चुनौतियां एवं अवसर विषयक दो दिवसीय सम्मेलन शुरू हुआ।
सम्मेलन के पहले दिन उद्घाटन सत्र की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई। आयोजन सचिव वाणिज्य व व्यवसाय प्रशासन विभागाध्यक्ष सह निदेशक प्रो. डीपी गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। विभागीय शिक्षण एवं सम्मेलन के संयोजक डॉ. दिवाकर झा ने सम्मेलन की आवश्यकता एवं उपादेयता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि नित बदल रही नीतियों का आकलन जरूरी है। तदनुरूप वाणिज्य शिक्षण प्रणाली में परिवर्तन एवं समायोजन किया जाना चाहिए। पटना विवि के अनुप्रयुक्त अर्थशास्त्र एवं वाणिज्य विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं निदेशक तथा वर्तमान में पाटलिपुत्र विवि के कुलसचिव प्रो. एनके झा ने बतौर मुख्य वक्ता वाणिज्य संकाय के अंतर्गत वित्त, विपणन एवं मानव संसाधन प्रबंधन के साथ अन्यानय विभागों में विभक्तिकरण पर बल दिया। उन्होंने लेखा, अंकेक्षण, बीमा, बैंकिंग, करा रोपण, स्कंन्ध बाजार संक्रियाए जैसे विभागों की जरूरत जताई। उन्होंने वाणिज्य संकाय के छात्रों को सूचना प्रौद्योगिकी के कार्यकारी ज्ञान कौशल की अनिवार्यता पर जोर दिया। उद्घाटन समारोह के अध्यक्ष पूर्व वाणिज्य विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो. हरे कृष्ण सिंह ने भारतीय परिवेश में वाणिज्य शिक्षा के अतीत, वर्तमान एवं भविष्य पर विचार रखे। भविष्य के निर्माण के लिए उन्होंने अतीत पर दृष्टिपात करने का सुझाव दिया। अतीत से वर्तमान की तुलना करने पर भविष्य का निर्माण करना ज्यादा सहज होगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप लक्ष्य प्राप्ति के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा के अवलोकन की आवश्यकता है। सत्र का समापन विभागीय शिक्षण डॉ. एसके ठाकुर के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। मंच संचालन विभागीय शिक्षिका डॉ. निर्मला कुशवाहा ने किया। सम्मेलन के दूसरे सत्र में ‘लेखा शिक्षण के परिदृश विषयक तकनीकी सत्र में कुल 33 पत्रों का वाचन हुआ। सत्र की अध्यक्षता डॉ. दिवाकर झा ने की। सत्र के समन्वयक की भूमिका में डॉ. एसके ठाकुर एवं प्रतिवेदक डॉ. अभिन्न श्रीवास्तव थे। शनिवार को इस सम्मेलन के दो सत्र आयोजित किए जाएंगे। पहला तकनीकी सत्र होगा एवं दूसरा समापन सत्र होगा।
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