सरकारी दर पर 36 दिनों में महज 33.3 टन गेहूं की खरीद
सरकारी दर पर 36 दिनों में महज 33.3 टन गेहूं की खरीद सरकारी दर पर 36 दिनों में महज 33.3 टन गेहूं की खरीद

सरकारी दर पर 36 दिनों में महज 33.3 टन गेहूं की खरीद सरकारी से बाजार दर अधिक, व्यापारी और बिचौलियों की चांदी कई पैक्स व व्यापार मंडलों में अबतक खरीद की नहीं हुई है बोहनी समर्थन मूल्य 2425 तो बाजार में 2500 से 2600 रुपए क्विंटल फोटो : गेहूं बोरा : गेहूं के बोरे। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। नालंदा में गेहूं की खरीद बेपटरी हो गयी है। नौबत यह कि 36 दिन में 53 किसानों महज 33.3 टन पैक्स व व्यापार मंडलों में सरकारी दर पर किसानों से गेहूं खरीद की गयी है। जबकि, 5815 टन खरीद का लक्ष्य रखा गया है।
हद तो यह कि करीब 35 पैक्सों में अबतक खरीद की बोहनी तक नहीं हो सकी है। इतना ही नहीं छह व्यापार मंडलों में ही खरीद शुरू हो पायी है। समितियां किसानों की राह देख रही हैं। जबकि, व्यापारी और बिचौलियों की चांदी कट रही है। गेहूं के सरकारी दर और बाजार दर में अंतर को सहकारिता विभाग वजह मान रहा है। जबकि, किसानों का कहना है कि मेहनत और पूंजी लगाकर खेती की है। खुले बाजार में अधिक दाम मिल रहा है तो सरकारी समितियों में कम दाम पर उपज बेचना घाटे का सौदा है। सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 2425 रुपए निर्धारित है। जबकि, व्यापारी और बिचौलिये 2500 से 2600 रुपए क्विंटल घर आकर किसानों को दे रहे हैं। अबतक खरीद की जो रफ्तार है, उससे लक्ष्य का पाना मुश्किल दिख रहा है। जिले में एक अप्रैल से सरकारी दर पर गेहूं की खरीद शुरू हुई है। 15 जून आखिरी डेडलाइन है। सहकारिता विभाग द्वारा 65 पैक्स और 15 व्यापार मंडलों को गेहूं खरीद की जवाबदेही दी गयी है। समितियों को कैश क्रेडिड (सीसी) दे दिया गया है। समस्या यह कि किसान सरकारी समितियों में उपज बेचने को तैयार नहीं हैं। बाजार और सरकारी दर में अंतर के कारण पैक्स अध्यक्ष भी गेहूं की खरीद में रुचि नहीं ले रहे हैं। पिछले साल से दाम अधिक फिर भी बाजार से कम: सहकारिता विभाग द्वारा पिछले साल की अपेक्षा इसबार गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा किया गया है। लेकिन, अब भी बाजार से कम है। पिछले साल न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति क्विंटल था। जबकि, इसबार बढ़ाकर 2425 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। यानी 150 रुपए की वृद्धि के बाद भी व्यापारी और बिचौलिया गेहूं बेचने के लिए किसानों की पहली पसंद बने हैं। किसानों से खरीदकर दूसरे प्रदेशों में बेचते हैं गेहूं: गल्ला कारोबारी और बिचौलियों ने नाम छापने की शत पर बताया कि जिले के किसानों से गेहूं की खरीद कर पटना, फतुहा के अलावा पड़ोस के दूसरे प्रदेशों में बेचते हैं। फ्लार्वर मिलों में भी बड़ी मात्रा में गेहूं की डिमांड रहती हैं। कीमत भी प्रति क्विंटल 28 से 29 सौ रुपए मिल जाती है। इधर, किसानों का कहना है कि व्यापारियों के यहां उपज बेचने में कई सहूलियत है। कारोबारी घर व खलिहान तक आकर गेहूं खरीदकर ले जाते हैं। जबकि, पैक्सों में गेहूं बचने के लिए खुद ट्रैक्टर से लेकर जाना पड़ता है। दाम कम मिलता है। जबकि, मजदूर व भाड़ा पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है। लक्ष्य प्राप्त करने का हर संभव प्रयास : जिला सहकारिता पदाधिकारी धर्मनाथ प्रसाद कहते हैं कि खरीद के लक्ष्य को प्राप्त करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। पैक्स व व्यापार मंडलों को किसानों से मिलकर खरीद में तेजी लाने को कहा गया है। सरकारी दर और बाजार दर में अंतर रहने के कारण किसान समितियों को गेहूं बेचने से कतरा रहे हैं।
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