बोले कटिहार : बसों की संख्या बढ़े, यातायात नियमों का कड़ाई से हो पालन
कटिहार जिले में इस साल अब तक 170 लोगों की सड़क हादसों में जान जा चुकी है। तेज रफ्तार, लापरवाही और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी इसके मुख्य कारण हैं। परिवहन विशेषज्ञों का कहना है कि बसों का परिचालन बढ़ाना...
कटिहार जिले में सड़क हादसों का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस साल अब तक 170 से अधिक लोगों की जान इन हादसों में जा चुकी है। हर हादसा एक परिवार को हमेशा के लिए दर्द दे जाता है। तेज रफ्तार, लापरवाही और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी इसके मुख्य कारण हैं। ऑटो-टोटो पर बढ़ती निर्भरता, बसों की कमी और खतरनाक ब्लैक स्पॉट्स भी जोखिम बढ़ा रहे हैं। परिवहन विशेषज्ञों का मानना है कि बसों का अधिक परिचालन, ब्लैक स्पॉट्स का सुधार और हर चौक-चौराहे पर बस पड़ाव से इन हादसों में कमी लाई जा सकती है। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान जिले के लोगों ने बढ़ते हादसे पर चिंता जताई। साथ ही इसे रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने और उचित कदम उठाने की अपील की।
02 सौ 34 सड़क हादसों में एक साल में 170 लोगों की हुई मौत
05 बसों का कम से कम जिले की सड़कों पर होना चाहिए परिचालन
15 ब्लैक स्पॉट को जिले में किया गया है चिह्नित, जागरूकता जरूरी
कटिहार जिले की सड़कों पर बढ़ते हादसों ने कई परिवारों को दर्द और आंसुओं में डुबो दिया है। इस साल अब तक 170 से अधिक लोग इन हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं। तेज रफ्तार, लापरवाही, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी और बुनियादी सुरक्षा उपायों की कमी इन घटनाओं के मुख्य कारण हैं। सड़क सुरक्षा की इस अनदेखी ने सैकड़ों परिवारों को हमेशा के लिए गमगीन कर दिया है। परिवहन विशेषज्ञों का मानना है कि इन हादसों पर विराम लगाने के लिए सबसे जरूरी है जिले में अधिक से अधिक बसों का परिचालन। हर प्रमुख चौक-चौराहे पर बस पड़ाव बनाने से न केवल ऑटो-टोटो पर निर्भरता कम होगी, बल्कि यात्रियों को सुरक्षित और सस्ता परिवहन भी मिलेगा। इसके अलावा, बसों की उपलब्धता से सड़कों पर छोटे वाहनों का दबाव भी कम होगा, जिससे दुर्घटनाएं घटेंगी।
ब्लैक स्पाट हो चिह्नित :
आम नागरिकों ने हिन्दुस्तान संवाद के दौरान बताया कि ब्लैक स्पॉट चिह्नित करना भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। जिले में कई ऐसे खतरनाक मोड़ और तंग रास्ते हैं जहां अक्सर हादसे होते हैं। इन जगहों पर सुरक्षा बलों की तैनाती, चेतावनी संकेत, स्पीड ब्रेकर और कैमरों की स्थापना से दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बस परिचालन बढ़ाने से न केवल दुर्घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदा होगा। स्थानीय निवासी सुमन कुमार कहते हैं कि अगर हर चौक-चौराहे पर बस पड़ाव बन जाए और नियमित अंतराल पर बसें चलने लगे, तो न केवल हादसे कम होंगे, बल्कि लोगों को सुरक्षित और सस्ता परिवहन भी मिलेगा।
ट्रैफिक नियम का सख्ती से हो पालन :
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ भी मानते हैं कि ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन, ड्राइवरों की ट्रेनिंग, हेलमेट और सीट बेल्ट की अनिवार्यता जैसे कदम इस दिशा में बेहद जरूरी हैं। इसके अलावा, सड़कों की मरम्मत, उचित संकेतक और रात में पर्याप्त रोशनी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी जरूरी हैं। समय रहते इन समस्याओं का समाधान न किया गया तो सड़क हादसों का आंकड़ा और बढ़ सकता है, जो न केवल परिवारों को उजाड़ेगा, बल्कि पूरे समाज को भी आर्थिक और मानसिक रूप से प्रभावित करेगा। परिवहन विभाग को चाहिए कि वह जनता की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे और सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि हर सफर सुरक्षित और खुशहाल हो सके।
शिकायत:
1. जिले में ऑटो-टोटो पर अत्यधिक निर्भरता के कारण यात्रियों को सुरक्षित यात्रा करने में कठिनाई हो रही है।
2. जिले में बसों की पर्याप्त संख्या नहीं होने से यात्रियों को मजबूरी में छोटे वाहनों का इस्तेमाल करना पड़ता है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है।
3. जिले में कई ब्लैक स्पॉट्स हैं, जहां दुर्घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन इनकी पहचान और सुधार के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
4. सड़क पर तेज रफ्तार और ट्रैफिक नियमों का पालन न करने से आए दिन हादसे हो रहे हैं।
5. जिले के चौक-चौराहों पर बस पड़ाव की व्यवस्था न होने से यात्री परेशान हो रहे हैं और हादसों का खतरा बढ़ रहा है।
सुझाव:
1. जिले में अधिक बसों का परिचालन सुनिश्चित किया जाए ताकि ऑटो-टोटो पर निर्भरता कम हो और यात्री सुरक्षित यात्रा कर सकें।
2. जिले के सभी ब्लैक स्पॉट्स की पहचान कर वहां पर सुरक्षा उपायों को लागू किया जाए, जैसे स्पीड ब्रेकर, चेतावनी संकेत और सुरक्षा बलों की तैनाती।
3. हर चौक-चौराहे पर बस पड़ाव बनाएं ताकि यात्रियों को सुरक्षित और सस्ता परिवहन मिल सके।
4. ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए और यातायात पुलिस की नियमित जांच की व्यवस्था की जाए।
5. सड़कों की मरम्मत की जाए और उचित संकेतक लगाए जाएं ताकि ड्राइवरों को मार्ग और सुरक्षा की स्पष्ट जानकारी मिल सके।
इनकी भी सुनें
सड़क हादसों पर विराम आवश्यक है। तेज गति, लापरवाही और नियमों की अनदेखी हादसों का प्रमुख कारण हैं। सुरक्षित सड़क और जागरूकता से ही इन पर रोक लगाई जा सकती है। हमें सड़क पर अनुशासन का पालन करना चाहिए ताकि हादसों को रोका जा सके।
-संजय कुमार
सड़क हादसों पर नियंत्रण से कई जिंदगियां बच सकती हैं। नियमों का पालन और सावधानी से वाहन चलाना सभी की जिम्मेदारी है। हर नागरिक को सुरक्षित यात्रा के लिए जिम्मेदारी समझनी होगी। जागरूकता और नियमों का पालन जरूरी है।
-सूरज कुमार
हर साल सड़कों पर हो रही मौतें हमें सोचने पर मजबूर करती हैं। सख्त कानून और यातायात नियमों का पालन जरूरी है। हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और सड़क पर सतर्कता बरतनी होगी ताकि हादसे न हों।
-अजय कुमार
सड़क सुरक्षा सिर्फ कानून से नहीं, बल्कि मानसिकता में बदलाव से आएगी। हमें खुद से शुरुआत करनी होगी। हर व्यक्ति की छोटी-छोटी सावधानियां बड़ी दुर्घटनाओं को रोक सकती हैं। सड़क पर अनुशासन ही सुरक्षा की कुंजी है।
-साजन कुमार
सड़क हादसे कम करने के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रैफिक व्यवस्था जरूरी है। साथ ही लोगों को जागरूक होना होगा। यातायात नियमों का पालन और सतर्कता से वाहन चलाना सुरक्षित यात्रा की गारंटी है।
-चंदन कुमार
तेज गति से वाहन चलाना केवल खतरे को बढ़ाता है। सड़क सुरक्षा हमारे हाथ में है, इसे समझना जरूरी है। नियमों का पालन और जिम्मेदारी से वाहन चलाना हमें सुरक्षित रख सकता है।
-बैद्यनाथ प्रसाद
सड़क हादसों को रोकने के लिए सख्त नियम और यातायात शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए। सड़कों पर अनुशासन से ही हादसों पर रोक लगाई जा सकती है।
-सुदर्शन सिंह
सड़क सुरक्षा का पालन करके हम न केवल अपनी बल्कि दूसरों की भी जान बचा सकते हैं। यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है। छोटी-छोटी सतर्कताएं बड़ी दुर्घटनाओं को रोक सकती हैं।
-देवानंद पासवान
सड़क हादसे कम करने के लिए ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन और बेहतर सड़कों की आवश्यकता है। सुरक्षित सड़कें और जागरूक चालक ही हादसों से बचा सकते हैं।
-बिक्रम कुमार
सड़क सुरक्षा को नजरअंदाज करना जानलेवा हो सकता है। सावधानी और नियमों का पालन ही सुरक्षा की गारंटी है। हमें हर कदम पर सतर्क रहना चाहिए ताकि हादसे न हों।
-रौशन भारद्वाज
हर साल हजारों लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं। यह स्थिति सुधारने के लिए सभी को सतर्क रहना होगा। हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए।
-मुरारीलाल
सड़क सुरक्षा की जागरूकता से ही हादसे कम हो सकते हैं। हमें इसे गंभीरता से लेना होगा। सड़क पर अनुशासन और सतर्कता से ही सुरक्षित यात्रा संभव है।
-मनोज पोद्दार
सड़क हादसों से बचाव के लिए ट्रैफिक नियमों का पालन और हेलमेट का उपयोग जरूरी है। सड़क पर सुरक्षित यात्रा के लिए हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
-विनोद अग्रवाल
सड़क पर सुरक्षित यात्रा के लिए सभी को यातायात नियमों का पालन करना चाहिए। यह हम सबकी जिम्मेदारी है। छोटी-छोटी सावधानियां बड़ी दुर्घटनाओं को रोक सकती हैं।
-मोहम्मद सज्जाद
सड़क हादसों को रोकने के लिए हमें खुद से शुरुआत करनी होगी। यातायात नियमों का पालन करें और दूसरों को भी प्रेरित करें। जागरूकता से ही हादसों पर नियंत्रण संभव है।
-कुणाल कुमार सिंह
सड़क सुरक्षा हर किसी की जिम्मेदारी है। छोटे-छोटे कदम भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं। नियमों का पालन और सतर्कता से वाहन चलाना ही हादसों से बचा सकता है।
-चंदन कुमार जायसवाल
बोले जिम्मेदार
सड़क हादसों पर नियंत्रण और यातायात नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है। जिला प्रशासन सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए निरंतर अभियान चला रहा है। वाहन चालकों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी देने और हेलमेट, सीट बेल्ट के उपयोग को अनिवार्य करने पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही, ओवरस्पीडिंग, नशे में ड्राइविंग और लापरवाही से वाहन चलाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हम सभी से अपील करते हैं कि यातायात नियमों का पालन करें और सड़क पर सुरक्षित यात्रा सुनिश्चि करें।
-बालमुकुंद प्रसाद, डीटीओ, कटिहार
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कटिहार में मधुमक्खी पालन से जुड़ रहे नये किसान
कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जिले में मधुमक्खी पालन तेजी से एक उभरता हुआ व्यवसाय बन रहा है। परंपरागत खेती के अलावा, किसानों के लिए यह अतिरिक्त आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत साबित हो सकता है। विगत 25 अप्रैल को दैनिक हिन्दुस्तान में प्रकाशित रिपोर्ट के बाद कई किसानों ने इस क्षेत्र में दिलचस्पी दिखाई है। डंडखोरा, मनिहारी, अमदाबाद, बरारी, कुरसेला और आजमनगर जैसे प्रखंडों में मधुमक्खी पालन की पहल हो चुकी है। इन क्षेत्रों के कई किसान छोटे पैमाने पर शहद उत्पादन कर रहे हैं। उनका कहना है कि मधुमक्खी पालन से न केवल आमदनी बढ़ी है, बल्कि उनकी फसल उत्पादन में भी सुधार हुआ है, क्योंकि मधुमक्खियां प्राकृतिक परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस व्यवसाय के सामने कई चुनौतियां भी हैं। सबसे बड़ी समस्या है प्रशिक्षण की कमी और आधुनिक उपकरणों का अभाव। किसानों का कहना है कि बी-बॉक्स की उच्च लागत और तकनीकी जानकारी की कमी उन्हें बड़े पैमाने पर इस व्यवसाय में उतरने से रोक रही है। इसके अलावा, शहद का उचित मूल्य न मिलना और बाजार तक पहुंच की कमी भी बड़ी बाधाएं हैं। कृषि विभाग के अधिकारी मानते हैं कि मधुमक्खी पालन के विस्तार के लिए विशेष योजनाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम जरूरी हैं। विभाग का कहना है कि जल्द ही किसानों को तकनीकी सहायता, बी-बॉक्स और विपणन सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। यदि यह कदम प्रभावी साबित होते हैं, तो कटिहार मधुमक्खी पालन के लिए एक मॉडल जिला बन सकता है।
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