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स्क्रीन टाइम नियंत्रित करने को आत्म नियंत्रण जरूरी

-मनोविज्ञान के दोदिवसीय सेमिनार के पहले दिन जुटे देश के कोने-कोने से मनोवैज्ञानिक, डिजिटल युग में खुशहाली का मार्ग

Newswrap हिन्दुस्तान, आराFri, 16 May 2025 08:41 PM
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स्क्रीन टाइम नियंत्रित करने को आत्म नियंत्रण जरूरी

-मनोविज्ञान के दोदिवसीय सेमिनार के पहले दिन जुटे देश के कोने-कोने से मनोवैज्ञानिक -डिजिटल युग में खुशहाली का मार्ग प्रशस्त करना एवं मानव विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका की खोज पर सेमिनार -महान मनोवैज्ञानिक पूर्व कुलपति प्रो गिरीश्वर मिश्रा ने कहा-स्मृति में क्या रहेगा, यह तय करता है मोबाइल -अपनी मातृभाषा में ही सोचने-समझने और सपनों को साकार करने की जरूरत : कुलपति आरा, निज प्रतिनिधि। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के नूतन परिसर स्थित सभागार में पीजी मनोविज्ञान विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में मनोवैज्ञानिकों का जुटान हुआ। इसमें देश के विभिन्न राज्यों के मनोविज्ञान के प्रोफेसर शामिल हुए।

कुलपति प्रो शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने सेमिनार का उद्घाटन किया। डिजिटल युग में खुशहाली का मार्ग प्रशस्त करना एवं मानव विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका की खोज विषय पर वक्ताओं ने अपनी बातों को रखा। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने मनोविज्ञान को सभी विषयों की जननी कहा। इसके साथ ही अपनी मातृभाषा के महत्व को समझाते हुए अपनी मातृभाषा में ही सोचने-समझने और सपनों के साकार करने पर बल दिया। कुलपति ने डिजिटल युग में होने वाले कार्य और उसके लाभ और हानि पर भी प्रकाश डाला। पहले सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में महान मनोवैज्ञानिक पूर्व कुलपति प्रो गिरीश्वर मिश्रा थे। प्रो मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि टेक्नोलॉजी के लगातार इस्तेमाल से हमारी संज्ञानात्मक आवश्यकताओं का स्वरूप बदल रहा है। स्मृति में क्या रहेगा और क्या नहीं रहेगा, यह हमारा मोबाइल तय करता है। हमें अपने स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करने के लिए आत्म नियंत्रण के उपाय को अपनाना होगा। अहमदाबाद के ख्याति प्राप्त मनोविज्ञान लाइफ टाइम प्रोफेसर एस एल वाया ने विपश्यना तकनीकी को कल्याण के लिए महत्वपूर्ण बताया एवं इसे सभी जगह लागू करने पर जोर दिया। उन्होंने मनोविज्ञान का मुख्य कार्य दु:खों का अंत करना बताया। कहा कि हम जब कोई गलत कार्य करते हैं तो व्याकुल मन खुद ही हमें सजा देता है, जो कि बेचैनी घबराहट आदि के रूप में व्यक्त होता है, जो कि नौसर्गिक दंड है। भारतीय मनोविज्ञान संघ के अध्यक्ष प्रो तारिणी ने अपने संबोधन में मनोविज्ञान के शिक्षक और विद्यार्थियों को समाज के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया और अपनी चहादिवारी से बाहर आने का आह्वान किया। मौके पर स्मारिका वेल बीइंग एंड टेक्नोलॉजी का विमोचन किया गया। कुलसचिव प्रो रणविजय कुमार ने बाहर से आए आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सैकड़ों शिक्षक और शोधार्थी शामिल हुए। संचालन डॉ प्रियंका पाठक एवं डॉ वाचस्पति दुबे ने किया। सेमिनार में मीडिया प्रभारी अभिषेक तिवारी उर्फ गोलू की भी उपस्थिति रही। मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष एवं सेमिनार की संयोजक प्रो लतिका वर्मा ने देश के कोने-कोने से आए प्रतियोगियों का स्वागत एवं विश्वविद्यालय का परिचय एवं अपने सेमिनार का सार संक्षिप्त में बताया।

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