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Nag Panchami 2024: नागपंचमी कब है? जानें भगवान शिव को जलाभिषेक करने का सबसे उत्तम मुहूर्त

  • Nag Panchami 2024 Date: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। इस दिन प्रमुख रूप से नागों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता के साथ ही भगवान शिव की पूजा करना अति उत्तम माना गया है।

Saumya Tiwari नई दिल्ली, एजेंसी/लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीTue, 2 July 2024 12:27 PM
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Nag Panchami 2024 Date in India: सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। आमतौर पर नाग पंचमी का पर्व हरियाली तीज के दो दिन बाद आता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नाग पंचमी का त्योहार जुलाई या अगस्त में आता है। इस दिन भगवान शिव के साथ ही नाग देवता की पूजा की जाती है। इस दिन स्त्रियां अपने भाई व परिवार की सुरक्षा की कामना करती हैं। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन भगवान शिव व नाग देवता की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिलने की मान्यता है।

नागपंचमी 2024 कब है: इस साल पंचमी तिथि 09 अगस्त 2024 को सुबह 12 बजकर 36 मिनट से प्रारंभ होगी और 10 अगस्त को सुबह 03 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। नागपंचमी का पर्व 09 अगस्त 2024, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन नाग देवता व महादेव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती है।

नागपंचमी 2024 शुभ मुहूर्त: नागपंचमी का पूजन मुहूर्त 09 अगस्त को सुबह 05 बजकर 46 मिनट से सुबह 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। इस दिन पूजन व भगवान शिव जलाभिषेक की शुभ अवधि 02 घंटे 40 मिनट की है।

नाग पंचमी पूजा विधि ( Nag Panchami Puja Vidhi)-

1. सांपों को इस त्योहार का देवता माना जाता है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है। उनके नाम हैं अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख।

2. चतुर्थी के दिन एक समय भोजन करें और अगले दिन यानि पंचमी को व्रत रखें। व्रत समापन के बाद पंचमी को रात्रि का भोजन किया जा सकता है।

3. पूजा के लिए लकड़ी के चौकी पर सांप की तस्वीर या मिट्टी की मूर्ति रखें।

4. नाग देवता पर हल्दी, सिन्दूर, चावल और फूल चढ़ाएं।

5. इसके बाद कच्चे दूध, घी, चीनी का मिश्रण मल के ऊपर स्थापित नाग देवता को अर्पित करें।

6. पूजा समाप्त होने के बाद नाग देवता की आरती करें।

7. आप किसी सपेरे को दान भी दे सकते हैं।

8. अंत में व्रती को नाग पंचमी कथा अवश्य सुननी चाहिए।

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