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Karwa Chauth Vrat Katha: करवा चौथ व्रत में पढ़ी जाती है धोबिन वाली यह कथा, यहां पढ़ें

  • Karwa Chauth Vrat Katha: करवा चौथ व्रत में पूजन के समय व्रत कथा पढ़ने या सुनने का विधान है। इस व्रत को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक धोबिन की कहानी भी है। यहां पढ़ें धोबिन से जुड़ी करवा चौथ व्रत कथा-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तानSun, 20 Oct 2024 11:38 AM
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Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi: करवा चौथ व्रत पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व वैवाहिक जीवन में मधुरता लाने वाला व संबंधों को मजबूत करने वाला माना गया है। इस साल करवा चौथ व्रत 20 अक्तूबर 2024, रविवार को है। करवा चौथ के दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत करती हैं और शाम को चंद्रमा की पूजा व अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं। करवा चौथ व्रत में व्रत कथा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि व्रत कथा पढ़ने या सुनने के बाद ही व्रत पूर्ण होता है। करवा चौथ व्रत को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। यहां पढ़ें धोबिन व भगवान शिव-माता पार्वती से जुड़ी करवा चौथ व्रत कथा-

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पतिव्रता करवा धोबिन व्रत कथा-

पौराणिक कथाओं के अनुसार, करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित गांव में रहती थी। उसका पति बूढ़ा और निर्बल था। एक दिन जब वह नदी के किनारे कपड़े धो रहा था, तभी अचानक एक मगरमच्छ वहां आया, और धोबी के पैर अपने दांतों में दबाकर यमलोक की ओर ले जाने लगा। वृद्ध पति यह देख घबराया और जब उससे कुछ कहते नहीं बना तो वह करवा..! करवा..! कहकर अपनी पत्नी को पुकारने लगा।

पति की पुकार सुनकर धोबिन करवा वहां पहुंची, तो मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने ही वाला था। तब करवा ने मगर को कच्चे धागे से बांध दिया और मगरमच्छ को लेकर यमराज के द्वार पहुंची।

उसने यमराज से अपने पति की रक्षा करने की गुहार लगाई और बोली- हे भगवन्! मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर पकड़ लिए है। आप मगरमच्छ को इस अपराध के दंड-स्वरूप नरक भेज दें।

करवा की पुकार सुन यमराज ने कहा- अभी मगर की आयु शेष है, मैं उसे अभी यमलोक नहीं भेज सकता। इस पर करवा ने कहा- अगर आपने मेरे पति को बचाने में मेरी सहायता नहीं कि तो मैं आपको श्राप दूंगी और नष्ट कर दूंगी।

करवा का साहस देख यमराज भी डर गए और मगर को यमपुरी भेज दिया। साथ ही करवा के पति को दीर्घायु होने का वरदान दिया।

तब से कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत का प्रचलन में आया। जिसे इस आधुनिक युग में भी महिलाएं अपने पूरी भक्ति भाव के साथ करती है और भगवान से अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

भगवान शिव-पार्वती से जुड़ी कथा- पार्वतीजी ने भी शिवजी से प्रश्न किया था कि करवाचौथ व्रत क्यों रखा जाता है? उन्होंने बताया कि करवा चौथ का व्रत गृहस्थी में आने वाली बाधाओं को दूर करने वाला है। यह पित्त प्रकोप को भी समाप्त करता है। दूसरी कथा में श्रीकृष्ण जी द्रौपदी को एक कथा सुनाते हैं जिसमें बताया गया कि प्राचीन काल में एक धर्मपरायण ब्राह्मण के सात पुत्र और एक पुत्री थी। बड़ी होने पर पुत्री का विवाह कर दिया गया। कार्तिक की चतुर्थी को कन्या ने करवा चौथ का व्रत रखा। ब्राहाण कन्या ने 12 माह की चौथ सहित विधिपूर्वक पूरे दिन निर्जला उपवास किया। ऐसी किवदंती है कि व्रत के प्रभाव से उसके मृत पति को पुनर्जन्म मिला।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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