Hindi Newsधर्म न्यूज़Bahula Chauth Chand Time 22 August 2024 moon rise today on Bhadrapada Sankashti Chaturthi

Today Moonrise Time: आज बहुला चौथ पर कितने बजे निकलेगा चांद, चंद्रदर्शन के बाद ही पूर्ण होता है व्रत

  • Bahula Chauth Moonrise Timing 2024: भादो कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ का व्रत रखा जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन जरूरी होता है। जानें आज चतुर्थी का चांद कितने बजे निकलेगा-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तानThu, 22 Aug 2024 10:57 PM
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Bahula Chauth Moonrise Time 2024: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ, भादवा चौथ या भादो चौथ के नाम से जानते हैं। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करना बहुत ही शुभ होता है। यह व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही पूर्ण माना जाता है। इस व्रत में गाय की पूजा-अर्चना करना भी अत्यंत शुभ माना गया है। इस साल बहुला चौथ 22 अगस्त 2024, गुरुवार को है।

चतुर्थी तिथि कब से कब तक-

चतुर्थी तिथि 22 अगस्त 2024 को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है जो कि 23 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट तक रहेगी।

हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी या बहुला चौथ के दिन चंद्रोदय का समय- आज 22 अगस्त 2024, गुरुवार को रात 08 बजकर 42 मिनट पर चंद्रदर्शन होंगे। भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा की पूजा करना शुभ होता है। चंद्रदर्शन के बाद ही यह व्रत पूर्ण माना जाता है।

बहुला चौथ पूजा विधि- इस दिन महिलाएं दिनभर उपवास रहकर शिव, पार्वती, गणेशजी के साथ बहुला गाय की प्रतिमा बनाकर फूल, भांग, बेलपत्र, दूब से पूजा-अर्चना करती हैं। चन्द्रोदय के बाद शिव-पार्वती व गणेशजी की पूजा कर चंद्रमा को फूल व दूध से अर्घ्य देकर पुत्र की दीर्घायु की कामना करती हैं।

बहुला चतुर्थी महत्व-

हिंदू धर्म के अनुसार, बहुला चौथ व्रत के प्रभाव से संतान को मान-सम्मान, धन व ऐश्वर्य मिलता है। निसंतान को संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह व्रत संतान के कष्टों को दूर करने वाला माना गया है।

बहुला चौथ कथा-

कथा है कि कृष्ण की सेवा में कामधेनु गाय बहुला नाम की गाय बनकर नंद बाबा के पास पहुंच गईं। एक बार कृष्ण बहुला की परीक्षा लेने के लिए उनके सामने सिंह रूप में प्रकट हुए। ऐसे में भी बहुला सिंह को देख कर बोलीं- ‘हे वनराज, अपने बछड़े को दूध पिला कर मैं आपका आहार बनने वापस आ जाऊंगी।’ बहुला ने सिंह को यह विश्वास दिलाने के लिए सत्य व धर्म की शपथ ली। फिर बहुला अपने बछड़े को दूध पिलाकर सिंह के पास वापस आईं, तो उनके धर्म और सत्य को देख कर कृष्ण वास्ताविक रूप में प्रकट हुए और कहा कि भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी के दिन तुम्हारी पूजा होगी। इस व्रत में गाय का दूध और उससे बने खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए।

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