ममता बनर्जी ने लिखा छठ गीत, बांग्ला कार्ड खेलने वालीं दीदी के महापर्व पर बदले सुर
- बड़ी संख्या में यूपी और बिहार के लोग पंजाब, महाराष्ट्र, एनसीआर, गुजरात के तमाम शहरों और बंगाल समेत देश भर में बसे हुए हैं। इन्हीं प्रवासियों को लुभाने की कोशिश ममता बनर्जी ने की है। उन्होंने बुधवार को कोलकाता के पोस्ता बाजार इलाके में संबोधित करते हुए बताया कि उन्होंने छठ के लिए गीत लिखा है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महापर्व छठ के लिए एक गीत लिखा है। बिहार, पूर्वी यूपी के कुछ जिलों में मनाए जाने वाले इस पर्व का अब पूरे देश में ही प्रचलन बढ़ा है। इसकी वजह यह है कि बड़ी संख्या में यूपी और बिहार के लोग पंजाब, महाराष्ट्र, एनसीआर, गुजरात के तमाम शहरों और बंगाल समेत देश भर में बसे हुए हैं। इन्हीं प्रवासियों को लुभाने की कोशिश ममता बनर्जी ने की है। उन्होंने बुधवार को कोलकाता के पोस्ता बाजार इलाके के व्यापार मंडल को संबोधित करते हुए बताया कि उन्होंने छठ के लिए गीत लिखा है।
गुरुवार को उनका लिखा यह गीत रिलीज होने वाला है। ममता बनर्जी ने कहा कि मेरे फेसबुक पेज पर भी छठ पूजा का यह गीत सुन सकेंगे। ममता बनर्जी ने कहा, 'मैं आप सभी लोगों को छठ पूजा की बधाई देती हूं। मैं इसके लिए एक गीत भी लिखा है। इस गीत का हर शब्द मैंने लिखा है। यदि इसमें कोई गलती हो तो मुझे माफ करिएगा। मैंने छठी मैया की आराधना में यह गीत लिखा है। आप जब छठ पूजा के लिए जाएंगे तो यह गीत सुनेंगे। कल आप लोग मेरा फेसबुक पेज भी देखिएगा।' अब तक बांग्ला अस्मिता की राजनीति करने वालीं ममता बनर्जी ने इस बार प्रवासियों को लुभाने की भी पूरी कोशिश की।
ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल एक मिनी इंडिया है। यहां सभी प्रांतों के लोग पूरी खुशहाली के साथ रहते हैं। पोस्ता बाजार के कारोबारियों को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि कोरोना काल में यहां लोगों के कारोबार को नुकसान हुआ। हम नहीं चाहते किसी की भी रोजी-रोटी पर असर पड़े। इसलिए हमने ऐसे कदम उठाए कि बाजार खुलें और चलें। ममता बनर्जी ने इस दौरान इशारे में ही भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि आप मुझे यहां जब भी जरूरत होगी पाएंगे। साल के 365 दिन हम यहां उपलब्ध रहेंगे। ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि हम तो कौवे की तरह हैं, जिसकी बोली भले ही कर्कश हो, लेकिन हर दिन सुनने को मिलती है।
उन्होंने कहा कि कौवे की बोली भले ही कर्कश होती है, लेकिन वह हर दिन मिलता तो है। लेकिन जिस कोयल की मीठी बोली है, वह तो कभी-कभार ही आती है। उन्होंने कहा कि बंगाल एक तरह से मिनी भारत है। यहां राजस्थान, बिहार, यूपी, मध्य प्रदेश समेत देश के सभी राज्यों के लोग हैं। लेकिन क्या आपको किसी की जाति और धर्म से कभी कोई परेशानी हुई है? या बंगाल में किसी ने इसे लेकर परेशानी पैदा की है। हमने यहां कभी नहीं पूछा कि आप क्या खाते हैं और क्या पहनते हैं और किस धर्म को मानते हैं। हमारे लिए सभी भारतीय हैं और मिनी इंडिया का हिस्सा हैं।
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