जोशीमठ में ब्लास्टिंग को लेकर एनडीएमए सुझाव दे, भू-धंसाव से जुड़ी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट नैनीताल ने कहीं ये बातें
हाईकोर्ट नैनीताल ने जोशीमठ में हो रहे लगातार भू-धंसाव को लेकर पीसी तिवारी की जनहित याचिका में सुनवाई की। एनडीएमए जो सुझाव उत्तराखंड सरकार को देगी, सरकार उसे कोर्ट के समक्ष रखे।
हाईकोर्ट नैनीताल ने जोशीमठ में हो रहे लगातार भू-धंसाव को लेकर पीसी तिवारी की जनहित याचिका में सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने याची व एनटीपीसी से ब्लास्टिंग व निर्माण की समस्या को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के पास जाने के निर्देश दिए हैं। एनडीएमए जो सुझाव सरकार को देगी, सरकार उसे कोर्ट के समक्ष रखे।
सोमवार को एनटीपीसी की ओर से प्रार्थनापत्र देकर कहा गया कि उन्हें जोशीमठ में निर्माण कार्य व ब्लास्ट करने की अनुमति दी जाए। क्योंकि उनकी परियोजना जोशीमठ से 15 किमी दूर है। इसका विरोध करते हुए याची ने कहा कि एनटीपीसी की परियोजना 1.5 किलोमीटर दूरी पर है।
इसलिए इन्हें ब्लास्ट की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस पर कोर्ट ने दोनों से एनडीएमए के पास जाने को कहा है। मामले के अनुसार अल्मोड़ा निवासी उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी व चिपको आंदोलन के सदस्य रहे पीसी तिवारी ने 2021 में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें कहा था कि राज्य सरकार के पास आपदा से निपटने की सभी तैयारियां अधूरी हैं।
सरकार के पास अब तक कोई ऐसा सिस्टम नहीं है जो आपदा आने से पहले उसकी सूचना दें। वहीं उत्तराखंड में 5600 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाले यंत्र नहीं लगे हैं। उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रिमोट सेंसिंग इंस्टीट्यूट अभी तक काम नहीं कर रहे हैं। जिस वजह से बादल फटने जैसी घटनाओं की जानकारी नहीं मिल पाती।
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