बोले हरिद्वार : शिवालिक नगर के इस इलाके में पानी की लाइन तक नहीं
नगर पालिका शिवालिक नगर के वार्ड नंबर-7 में डेढ़ सौ से अधिक परिवारों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है। बीना एनक्लेव, फ्रेंड्स कॉलोनी और शिव धाम कॉलोनी में पाइपलाइन नहीं है। स्थानीय लोग अधिकारियों की...
नगर पालिका शिवालिक नगर के वार्ड नंबर-7 में डेढ़ सौ से ज्यादा परिवारों तक पीने का पानी नहीं पहुंच रहा है। इन तीन कॉलोनियों में पाइप लाइन तक नहीं बिछाई गई है। बीना एनक्लेव में 75, फ्रेंड्स कॉलोनी में 30 और शिव धाम कॉलोनी में करीब 50 परिवार निवास करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जल संस्थान और पेयजल निगम के अधिकारी एक दूसरे का कार्यक्षेत्र बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में स्थानीय लोगों की समस्या बढ़ती जा रही है। हरिद्वार से प्रवीण कुमार पेगवाल की रिपोर्ट...
नगर पालिका शिवालिक नगर के अस्तित्व में आने के बाद भी वार्ड-सात की तीन विकसित कॉलोनियों में लोगों के घरों तक पीने का स्वच्छ पानी नहीं पहुंचा है। पालिका की ओर से पाइप लाइन तक नहीं बिछाई गई है। इन कॉलोनियों में एक सिपाही से लेकर जिले के विभिन्न विभागों के अधिकारी और कर्मचारी निवास करते हैं। लोगों ने पैसे एकत्रित कर कई स्थानों पर समरसिबल लगवाया है। यही नहीं पैसे इकट्ठा करके इन लोगों ने एक बिजली कनेक्शन भी लिया है। इस संबंध में नगर पालिका या जिला प्रशासन को पत्राचार भी किया गया। इसके बाद भी अधिकारी कार्रवाई करने को राजी नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पालिका के अस्तित्व में आने से पहले वह यहां निवास कर रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से ग्रामीण इलाकों में महत्वपूर्ण जल जीवन मिशन और हर नल से जल योजना का लाभ मिल रहा। लेकिन वार्ड सात के लोगों को ऐसी किसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब कॉलोनियां विकसित हुई तब करीब 50 परिवार की आबादी थी। उस समय भी लोगों ने पानी की आपूर्ति के लिए एक निजी सबमर्सिबल का निर्माण किया था। धीरे-धीरे जनसंख्या में बढ़ी लेकिन लाइन नहीं डाली गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि गर्मियों में पानी की क्षमता कई गुना अधिक बढ़ जाती है। प्लोगों का आरोप है कि बार-बार कहने और शिकायत करने के बाद भी अधिकारी-कर्मचारी क्षेत्र में नहीं आते हैं।
सुझाव
1. वार्ड-सात में करीब डेढ़ सौ परिवार हैं। इसमें एक हजार से ज्यादा आबादी निवास करती है। योजनाबद्ध तरीके से पाइप-लाइन डालें और नए ट्यूबवेल स्थापित किया जाए।
2. उत्तराखंड पेयजल निगम और जल संस्थान दोनों मिलकर यह तय करें कि आखिर पाइप-लाइन या प्रस्ताव कौन बनाएगा। दोनों ही विभाग लोगों को एक-दूसरे का बताकर भ्रमित करते हैं।
3. आने वाले समय में गर्मी और बढ़ जाएगी। पानी की खपत अधिक होगी। पानी की व्यवस्था होगी तो लोगों को गर्मी में पानी की कमी से जूझना नहीं पड़ेगा।
4. नए ट्यूबवेल और पानी की टंकी बनेगी तो लोगों के घरों तक आसानी से पानी पहुंच सकेगा। उन्हें न तो बिजली का बिल देना होगा और न ही अलग-अलग सबमर्सिबल लगाने पड़ेंगे।
5. अधिकारियों को लोगों की समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए। पानी की समस्या मूलभूत सुविधाओं में शामिल होती है। पाइप-लाइन कब डलेगी और कब तक इस पर कार्य शुरू होगा स्पष्ट करना चाहिए। इससे उपभोक्ताओं को कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
शिकायतें
1. उत्तराखंड जल संस्थान और पेयजल निगम को कई बार शिकायत कर चुके हैं। बावजूद इसके अधिकारी मौके पर आने की जहमत तक नहीं उठाते हैं। यह गलत है। अधिकारियों को लोगों की बात सुननी चाहिए।
2. पीने के पानी की समस्या लोगों के लिए बाहर गंभीर बनी हुई है। क्योंकि पीने का पानी रोजमर्रा के कार्यों में शामिल है। पानी खाने, नहाने, पीने, कपड़े धोने आदि में प्रयोग किया जाता है। लोगों को पानी मुहैया कराना विभाग की जिम्मेदारी है।
3. पिछले कई साल से सुन रहे हैं कि जल्दी ही पानी की समस्या से निजात मिलने वाली है। लेकिन यह समस्या कब दूर होगी पता नहीं। शिकायत करके थक चुके हैं।
4. नगर पालिका के अस्तित्व में आने से पहले और आज में पहले जैसी स्थिति है। न तो ग्राम पंचायत के समय पानी मिल रहा था और न आज पालिका में होने के बावजूद लोगों को पानी मिल रहा है।
5. सर्दियों में तो किसी तरह पानी की आपूर्ति हो जाती है। लेकिन गर्मी में पानी की खपत सर्दी की अपेक्षा कई गुना बढ़ जाती है। अधिकारियों को गंभीरता से मामले में संज्ञान लेकर इस समस्या को दूर करना होगा।
क्षेत्र में एक हैंडपंप तक नहीं
लोगों का कहना है कि पानी की समस्या बड़ी है। नगर पालिका कॉलोनियों में पीने के पानी की पर्याप्त आपूर्ति के लिए कदम उठाए। पेयजल योजना से हैंडपंप तक यहां नहीं लगे हैं कि उससे पानी भर लिया जाए। हालात यह है कि बिजली जाने के बाद पानी एक-दूसरे के घरों से भरकर लाना पड़ता है। ट्यूबवेल भी उनके यहां नहीं है। ऊपर से गर्मी शुरू होने वाली है। पानी की गर्मी के पहले ही समस्या का समाधान निकालने की आवश्यकता है। अधिकारियों को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
हर घर से प्रति माह 250 रुपये होते हैं इकट्ठा
पालिका के वार्ड-सात में तीन कॉलोनियों के में रहने वाला हर परिवार प्रतिमाह 250 रुपये बिजली बिल एकत्रित करते हैं। बीते वर्ष यहां 200 रुपये इकठ्ठा होते थे लेकिन बिल बढ़ने के कारण बढ़ोतरी कर दी गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परेशानी पिछले 10 साल से ज्यादा झेलते हुए हो गए हैं। पांच साल पहले पालिका अस्तित्व में आई तब लोगों ने पाइप-लाइन डालने के लिए शिकायतें की गई। लेकिन किसी विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। हालात यह है कि लोगों ने अपने पैसे खर्च कर प्रत्येक मोहल्ले में सबमर्सिबल लगाएं। एक सबमर्सिबल को लगाने में करीब दो लाख रुपये खर्च आता है। मध्यम परिवार के लोग एक साथ इतना खर्च नहीं उठा सकते। इसलिए मोहल्ले वालों ने मिलकर सबमर्सिबल लगाया। इसका बिजली कनेक्शन में आने वाले बिल को लोग आपस में बांटकर जमा करते हैं।
10 साल से है पाइप लाइन डालने का इंतजार
स्थानीय लोगों की मानें तो इन क्षेत्रों के निवासियों को सरकारी पाइप लाइन से 10 वर्ष से अधिक का समय गुजर जाने के बाद भी पानी नहीं मिला। कारण है पालिका प्रशासन और जल संस्थान एवं पेयजल निगम ने पाइप लाइन डलवाकर ट्यूबवेलों से जोड़ना गंवारा नहीं समझा। इस बीच सभासदों ने कई प्रस्ताव पालिका को दिए। लोगों को हर बार पाइप लाइन डलवाने का आश्वासन दिया जाता है कि बोर्ड बैठकों में प्रस्तावों को स्वीकृति मिल जाएगी। हर बार वही ढाक के तीन पात। सभासदों के प्रस्ताव पास तो जाते हैं लेकिन नतीजा आज तक इन तीनों कॉलोनियों के निवासियों को सरकारी नल से पानी नहीं मिला।
बोले लोग
लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। घर की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए पानी की कमी के कारण लोग समस्या से जूझ रहे हैं। लोगों ने अलग से सबमर्सिबल लगाएं हैं। -पंडित गणेश शास्त्री लखेड़ा
सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर हर घर जल-हर घर नल पहुंचाने का दावा कर रही है। पालिका के वार्ड में क्या इस तरह की योजना को लागू करने का प्रावधान नहीं है। -कविता देवी
लोगों ने हर गली में एक-एक सबमर्सिबल लगाया है। जो प्रर्याप्त नहीं है। लोग पानी का बिल भरने को तैयार है। उन्हें पर्याप्त पानी तो मिले। इस समस्या पर काम होना चाहिए। -नितिन चौहान
पाइप लाइन के ज़रिए घरों में साफ पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी उत्तराखंड जल संस्थान की है। विभाग को नई पाइप लाइन डालनी चाहिए। यह मांग लंबे अरसे से हो रही है। -अंजली शर्मा
लोग सर्दियों में तो पानी की कम आपूर्ति में जैसे तैसे काम चला लेते हैं। लेकिन समस्या गर्मियों में विकट बन जाती है। पानी के लिए हाहाकार मच जाता है। अधिकारी इस पर काम तक नहीं कर रहे। -शुभम कुमार
क्षेत्र में पीने के पानी की सप्लाई नहीं है। इस समस्या को दूर करने के लिए कोई भी प्रयास नहीं कर रहा है। विभाग से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों को कहकर थक चुके हैं। -राकेश पाठक
कहने को तो हम पालिका का हिस्सा हैं, लेकिन बड़ी समस्या से निजात दिलाने में अधिकारी हीलाहवाली कर रहे हैं। पानी के लिए सबमर्सिबल के अलावा दूसरी व्यवस्था नहीं है। -विभोर
सबमर्सिबल से कई बार पीने के पानी की सप्लाई घरों तक नहीं आती है। उस समय समस्या बढ़ जाती है। इन कॉलोनियों में एक सिपाही से लेकर विभिन्न विभागों के अधिकारी भी निवास करते हैं। -अमित सैनी
पानी की समस्या छोटी नही है। अधिकारी लापरवाही छोड़ गंभीरता से पाइप लाइनों पर काम करे। पानी की आपूर्ति सुचारू होगी तो लोगों को सहूलियत मिलेगी। -संजय कुमार, पूर्व सभासद
चार कॉलोनियों में एक भी पाइप-लाइन नहीं है। इसमें सैकड़ों परिवार रहते हैं। जल संस्थान की तरफ से पानी पहुंचाने का प्रयास ही किया जाता है। यह सरासर गलत है। -हार्दिक सैनी
जिस समय यह कॉलोनी विकसित हुई थी उस समय में पचास लोगों की आबादी थी। आज आबादी बढ़कर एक हजार से ज्यादा हो गई। विभाग को इसमें ध्यान देना चाहिए। -हर्ष र्वधन
वार्ड में कही-कही पुरानी पाइप लाइन पड़ी है। लेकिन कई हिस्सों में तो पाइप लाइन तक डाली नहीं गई है। लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए भी पालिका कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। -सतेंद्र राठौर
बोले जिम्मेदार
पेयजल निगम के अधिशासी अभियंता राजेश गुप्ता का कहना है कि शिवालिक नगर वार्ड-सात के साथ ही अन्य कई लोगों की शिकायतें मिल चुकी हैं। इन शिकायतों को लेकर विभाग गंभीर है। लोगों की समस्या का समाधान जरूर होगा। जिस-जिस कॉलोनी में पाइप लाइन नहीं है वहां अधीनस्थ कर्मचारियों को मौके पर भेजकर जानकारी जुटाने के निर्देश दिए जाएंगे। इसके बाद सर्वे काराया जाएगा। सभी जगह से सर्वे रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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