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‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखकर योग पर करने होंगे शोध

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग की आवश्यकता पर एसएसजे विवि में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विशेषज्ञों ने योग और आध्यात्म के संबंध पर चर्चा की और इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखने की...

Newswrap हिन्दुस्तान, अल्मोड़ाMon, 28 April 2025 07:20 PM
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‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखकर योग पर करने होंगे शोध

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग करने की जरूरत है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखकर योग के अंतरविषयों पर शोध करना होगा। यह बात सोमवार को एसएसजे में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ पर विशेषज्ञों ने कही। सोमवार को एसएसजे विवि के योग विज्ञान विभाग की ओर से अर्थ गंगा: संस्कृति, विरासत व पर्यटन के तहत ‘योग विज्ञान एवं अध्यात्म विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में ऑनलाइन रूप से जुड़े सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि योग सनातन परंपरा व भारत की आध्यात्मिक चेतना को बाहर लाने का विशिष्ट प्रयास है। इस पुरातन योग परंपरा को आगे ले जाने के लिए कार्य किया जा रहा है। संयोजक डॉ. नवीन भट्ट ने कहा कि संगोष्ठी में आस्ट्रेलिया, चीन अफ्रीका आदि के योग से जुड़े हुए विद्वानों की ओर से विचार रखे जाएंगे। आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सुनील कुमार जोशी ने कहा कि योग अच्छाई को जोड़ने की यात्रा है। शरीर स्वस्थ है तो इंद्रियां स्वस्थ हैं। शरीर, इंद्रियां, मानसिक स्थिति और आत्मा के ठीक होने पर ही हम बेहतर तरीके से कार्य कर पाएंगे। उन्होंने आत्मा की शुद्धि व प्रसन्नचित व्यवहार में योग की उपयोगिता बताई। कहा कि योग को वैज्ञानिकता की दृष्टि से देखे जाने की जरूरत है। योग को लेकर अंतर विषयों में शोध भी होने चाहिए।

एक दूसरे से जुड़े हैं योग और आध्यात्म

एसएसजे विवि के पूर्व कुलपति प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने कहा कि योग और आध्यात्म एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। दोनों का भाव स्वयं से जुड़ना, स्वयं को तलाशना और स्वयं की खोज करना है। डॉ. रजनी नौटियाल ने कहा कि योग, विज्ञान व आध्यात्म की आज जरूरत है। प्रो. अनिल कुमार यादव ने कहा कि नियमों से पालन कर सभी को योग करने की जरूरत है।

ये रहे मौजूद

संगोष्ठी में एसएसजे विवि के कुलसचिव डॉ. डीएस बिष्ट, परीक्षा नियंत्रक डॉ. नंदन सिंह बिष्ट, परिसर निदेशक प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट, डीएसडब्ल्यू प्रो. शेखर जोशी, प्रो. मधुलता नयाल, प्रो. इला साह, प्रो. सुशील कुमार जोशी, सह संयोजक डॉ. लल्लन कुमार सिंह, डॉ. लक्ष्मी नारायण, प्रो. रिजवाना सिद्धिकी, प्रो. कंचन जोशी, डॉ. डीएस धामी, प्रो. देव सिंह पोखरिया, डॉ. विनोद नौटियाल, डॉ. पारूल सक्सेना, डॉ. मुकेश सामंत, डॉ. मनोज कुमार बिष्ट, प्रो भीमा मनराल, लियाकत अली खान, रजनीश जोशी, रेनू, डॉ. शैली, डॉ. तेजपाल सिंह, हेमलता अवस्थी, डॉ. गिरीश अधिकारी, डॉ. पूजा पांडे, रेनू तिवारी, भावना, डॉ. कालीचरण, डॉ. सीताराम, डॉ. सुनीता कश्यप, डॉ. कविता सिजवाली, मीना, रॉबिन हिमानी, भावेश पांडे, आशीष संतोलिया आदि रहे।

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