ईरानी दुल्हन के प्यार में यूट्यूबर ने खोला पर्शियन कैफे, भगवान राम की तस्वीरों के साथ ईरानी कल्चर का भी नजारा
मुरादाबाद में ईरानी दुल्हन के लिए एक यूट्यूबर ने पर्शियन कैफे खोल दिया। दोनों मिलकर इसे चलाते हैं। कैफे में श्रीराम की तस्वीरों के साथ ईरानी कल्चर भी देखने को मिल जाएगा।
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यूपी के मुरादाबाद के लाइन पार का इलाका स्वाद के पुराने शौकीनों के लिए अलग ही अहमियत रखता है। हालांकि शहर में अब कई नए फूड जंक्शन और फूड स्ट्रीट विकसित हो गए हैं लेकिन अब भी इस इलाके में मिलने वाली मुरादाबादी दाल, समोसे, खस्ता और गर्मागर्म जलेबी कई शो रूम सरीखे आउटलेट के स्वाद को फेल करने वाली है। इसी इलाके के सर्वाधिक व्यस्त प्रकाश नगर चौराहे पर जायके का एक नया अड्डा जम रहा है। दरअसल यह कैफे एक अजब प्रेम कहानी का गजब मुकाम है। यह एक पर्शियन कैफे है लेकिन यह जानकर आप चौंक सकते हैं कि इसका नाम श्रीराम है।
पाकिस्तानी सीमा हैदर जिस दौर में अपने प्रेमी सचिन को पाने के लिए सारी सीमाएं लांघकर हिन्दुस्तानी सरजमीं पर पहुंचकर सोशल मीडिया की सनसनी बनी हुई थी, लगभग उसी समय ईरानी बेटी फाइजा और मुरादाबादी यूट्यूबर दिवाकर की प्रेम कहानी भी सोशल मीडिया पर जवां हो रही थी। इस प्रेमी युगल की सारी कोशिश बगावत से कहीं अधिक अपने परिवारों को इस अनूठे रिश्ते के लिए मनाने की थी। आखिरकार उन्हें सफलता भी मिली। दोनों की पहले ईरान में और फिर मुरादाबाद में हिंदू रीति से विधिवत शादी हुई। दोनों को एक हुए छह महीने से अधिक समय बीत चुका है। दो अलग देश, दो अलग धर्म, दो अलग तहजीब लेकिन अब उनके जीने का एक ही जरिया है, उनकी मोहब्बत। इसे परवान चढ़ाने के लिए उन्होंने एक नई कोशिश की है।
दो देशों के तिरंगे करते हैं स्वागत
श्रीराम पर्शियन कैफे बाहर से ही अनूठा लगता है। एक ओर भारतीय तिरंगा आपका दिल छूने की कोशिश करता है तो दूसरी ओर तीन ही रंगों वाला ईरानी झंडा कौतूहल जगाता है। सीढ़ियों से उतरकर जब आप कैफे के अंदर पहुंचते हैं तो पाक मुस्कुराहट वाली फाइजा और उनके हमकदम दिवाकर की गर्मजोशी अहसास कराती है कि आप किसी कैफे में नहीं बल्कि किसी अपने के सजे-संवरे ड्राइंग रूम में पहुंच गए हों।
दीवार पर टंगी भगवान श्री राम की तस्वीरों के साथ ही फारसी के कोट एक दूसरे में गड्डम होकर भरोसा, सौहार्द और मोहब्बत की जुबां हो जाते हैं। सीधे ईरान से मंगाई गई कई तरह की शुद्ध इरानी चायों के साथ देसी चाय का ब्लेंड भी इस कैफे को कैफे से कुछ अलग बनाता है। फाइजा चाय बनाती है तो दिवाकर उतने ही प्यार से परोसने की कोशिश करते हैं। दिवाकर की मानें तो यह देश का अपने तरह का पहला पर्शियन कैफे है जिसे कोई ईरानी महिला चला रही है।
अमर बनाना चाहते हैं ये प्रेम कहानी
फाइजा की जुबां पर अभी हिंदी पूरी-पूरी नहीं चढ़ी है लेकिन ईरानी चायों का नाम पूछो तो फर्राटे से बताती है..ईरानी चाय, नबात स्पेशल, तेहरानी मसाला, बेहस्त चाय, रोज चाय, केशर चाय एंड... फाइजा कुछ पल को ठहरती है... फिर हंस पड़ती है... और अदरक चाय। फाइजा और दिवाकर बताते हैं कि ये कैफे उनके प्यार की निशानी है। वह इसे भारत के अन्य शहरों ही नहीं ईरान में भी फैलाने का सपना देख रहे हैं। वे चाहते हैं कि ईरान में वे श्रीराम के नाम से भारतीय खाद्य पदार्थ परोसें। वह कहते हैं कि फारसी आर्यं थे और भारतीय भी आर्यं हैं, इसलिए श्रीराम और फारसी को एक साथ करके हुए श्रीराम पर्शियन कैफे खोला है। वह चाहते हैं कि उनके बहाने दो देशों की संस्कृति एक-दूसरे के करीब आए।