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कानपुर में कोरियन तकनीक से बनेगा 155 एमएम तोप का गोला, आत्मनिर्भर भारत को मिलेगी मजबूती

  • कानपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में अब कोरियन तकनीक से 155 एमएम तोप का गोला बनेगा। ओएफसी में 100 करोड़ की लागत से शेल फोर्जिंग प्लांट बन रहा है। रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम एडब्ल्यूईआईएल के अधीन कानपुर की तीन ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां हैं।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, कानपुर, सुहेल खानSat, 8 Feb 2025 03:55 PM
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कानपुर में कोरियन तकनीक से बनेगा 155 एमएम तोप का गोला, आत्मनिर्भर भारत को मिलेगी मजबूती

अब कोरियन तकनीक से कानपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में 155 एमएम तोप का गोला बनेगा। ओएफसी में 100 करोड़ की लागत से शेल फोर्जिंग प्लांट बन रहा है। रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम एडब्ल्यूईआईएल (एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड) के अधीन कानपुर की तीन ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां आती हैं। एडब्ल्यूईआईएल प्रबंधन ने इंजीनियरों की टीम को कोरिया भेजा था जो वहां पर गोलों को बनाने वाली मशीनों और तकनीक को परखने गई थी। वहां से लौटने के बाद टीम ने प्रबंधन से रिपोर्ट साझा की है।

155 एमएम तोप का गोला 45 किमी दूरी तक मार करता है। प्लांट में शेल फोर्जिंग (बैरल के मुताबिक गोलों के खोल का निर्माण) होगी। अभी तक ऑर्डिनेंस में 105 और 125 एमएम गोलों का शेल बनता है लेकिन देश-दुनिया में रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर भारत के मिशन में आयुध निर्माणियों की भूमिका लगातार बढ़ रही है। भारतीय सेना के साथ मिडिल ईस्ट के देशों से हुए रक्षा सौदों के क्रम में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री कानपुर में अगले साल से 45 किमी दूरी तक मार करने वाली 155 एमएम तोपों के गोले बनने लगेंगे। अभी यहां 25 से 30 किमी मारक क्षमता वाली तोपों के गोले तैयार होते हैं।

नागपुर में बनते हैं 155 एमएम के गोले

अभी तक भारतीय सेना और विदेशों में ओएफसी की नागपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री अंबाझारी से 155 एमएम तोप के गोले मंगवाए जाते हैं। धनुष, पिनाक और हॉवित्जर सिस्टम वाली तोपें 45 किमी मार करती हैं और इसके गोले 155 एमएम आर्टिलरी के होते हैं। ओएफसी का शेल फोर्जिंग प्लांट 105 एमएम से लेकर 125 एममए क्षमता वाला है। हालांकि मांग के अनुरूप ओएफसी 130, 135 एमएम तक के गोले भी इन्हीं मशीनों से बना लेता है लेकिन एक आधुनिक फोर्जिंग प्लांट की जरूरत है। रक्षा मंत्रालय से 155 एमएम का गोला बनाने वाले फोर्ज प्लांट को मंजूरी मिलने के बाद पिछले साल प्लांट के बेसमेंट का उद्घाटन हो चुका है।

सऊदी अरब समेत मिडिल ईस्ट लेगा भारत से गोला

ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों में तैयार होने वाले गोला-बारूद की भारतीय सेना के साथ विदेशों में भी भारी मांग है। यूएई भारत से 155 एमएम तोप के गोले खरीदता है। 2017 और 2019 में संयुक्त अरब अमीरात ने 40 हजार और 50 हजार 155 मिमी तोप के गोले खरीदे थे। यह करीब 86 मिलियन डॉलर का ऑर्डर था। फरवरी 2024 में सऊदी अरब ने रियाद डिफेंस एक्सपो के दौरान भारत से 155 एमएम वाले गोले की खरीद को लेकर 225 मिलियन डॉलर का समझौता किया है।

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क्या है खासियत

155 एमएम राउंड का गोला आकार में काफी बड़ा होता है। इसमें डेटोनेटिंग फ्यूज, प्रोजेक्टाइल, प्रोपेलेंट और प्राइमर जैसे प्रमुख हिस्से होते हैं। हरेक गोला 155 मिमी या 6.1 इंच व्यास का होता है। एक का वजन 45 किलोग्राम होता है। यह दो फीट लंबा होता है। ऐसे गोलों का इस्तेमाल मुख्य रूप से हॉवित्जर सिस्टम में किया जाता है। कानपुर की फील्ड गन फैक्ट्री में 45 कैलिबर क्षमता की हॉवित्जर तोपें पिनाक और धनुष की बैरल बनती हैं। विदेशी हॉवित्जर तोपों के लिए एफजीके में अब 52 कैलिबर क्षमता की बैरल भी बनने लगी है।

सीएमडी एके मौर्या ने बताया कि ओएफसी में आधुनिक शेल फोर्जिंग प्लांट का निर्माण कराया जा रहा है। यहां पर आधुनिक मशीनों और तकनीक को परखने के लिए इंजीनियरों की टीम ने रिपोर्ट दी है, जिस पर काम किया जा रहा है। नए प्लांट में 155 एमएम तोप के गोलों का शेल कानपुर में बनेगा।

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