Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़way is clear to increase cost of electricity in UP the standards for fixing rates have changed arithmetic like this

यूपी में बिजली महंगी करने का रास्ता साफ, दरें तय करने के मानक बदले, ऐसा होगा अंकगणित

यूपी में बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया के बीच कुछ मानकों को बदल दिया गया है। इसका सबसे बड़ा नुकसान आम उपभोक्ताओं का होगा। अब कभी भी बिजली की दरों को महंगा किया जा सकेगा।

Yogesh Yadav लखनऊ, विशेष संवाददाताTue, 1 April 2025 10:31 PM
share Share
Follow Us on
यूपी में बिजली महंगी करने का रास्ता साफ, दरें तय करने के मानक बदले, ऐसा होगा अंकगणित

यूपी में बिजली की दरों को तय करने का मानक बदल दिया गया है। इससे अब बिजली महंगी करने का रास्ता भी साफ हो गया है। ऐसे में आम लोगों को महंगी बिजली का झटका मिलता रहेगा। राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा मंजूर बहुवर्षीय वितरण टैरिफ विनियमावली-2025 की अधिसूचना प्रदेश सरकार ने जारी कर दी है। फौरी तौर पर तो नहीं, लेकिन भविष्य में बिजली दरें बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है। नए मानकों के हिसाब से आकलन करने पर हर साल औसतन बिजली कंपनियों का 3500-4000 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं पर ज्यादा निकलेगा।

बिजली कंपनियों पर प्रदेश के उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये बकाया है। इसी बकाया राशि की वजह से बीते पांच साल से बिजली दरें नहीं बढ़ रही थीं। हालांकि अब बिजली दरें तय करने के मानक बदल दिए गए हैं। इससे हर साल कंपनियों का उपभोक्ताओं पर करीब 3500-4000 करोड़ रुपये बकाया निकलेगा, उसे 33,122 करोड़ रुपये से घटाया जाएगा। भविष्य में जब यह रकम शून्य रह जाएगी तब बिजली बिजली कंपनियों की अतिरिक्त रकम को बिजली दरों में इजाफा करके पूरा किया जाएगा।

ऐसा होगा नया 'अंकगणित'

बिजली कंपनियों ने साल 2025- 26 की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) लगभग एक लाख एक हजार करोड़ रुपये की नियामक आयोग में दाखिल की है। 70 हजार करोड़ रुपये की बिजली खरीद प्रस्तावित है। आरडीएसएस अनुमान के तहत वितरण हानियां 13.82% प्रस्तावित हैं। वहीं परिचालन, अनुरक्षण, रखरखाव व प्रशासनिक और सामान्य व्यय मदों में बिजली कंपनियों ने 11,800 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया है।

पुराने मानकों के आधार पर 11,800 करोड़ रुपये के दावे में 4,500 करोड़ रुपये तक कम हो सकते थे। हालांकि नए मानकों से यह कटौती 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की नहीं हो सकेगी। वर्ष 2024 -25 में बिजली कंपनियों ने एआरआर में इस मद में लगभग 10,789 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए थे जबकि पास 6,478 करोड़ रुपये ही किया गया था। वर्ष 2023 -24 के टैरिफ आदेश में बिजली दरें 10.67% वितरण हानियों पर तय की गई थीं, लेकिन वर्ष 2024- 25 में 13.09% पर बिजली दरें जारी की गई थीं। इस बार पावर कॉरपोरेशन ने वितरण हानियां 13.82% प्रस्तावित की हैं।

उपभोक्ता परिषद ने कहा, नहीं बढ़ने देंगे बिजली दरें

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि भले ही मानक बदल कर चोर दरवाजे से बिजली दरें बढ़ाने का रास्ता खोला गया हो, लेकिन उपभोक्ता परिषद इसे चुनौती देगा। बिजली दरें बढ़ने नहीं दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि जब पांच साल में वैधानिक तरीके से बिजली दरें नहीं बढ़ने दी गईं तो आयोग ने नियम बदल कर बिजली दरें बढ़ाने का रास्ता खोल दिया है।

निजी घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया ऐसा

अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण की प्रक्रिया के बीच बिजली कंपनियों के हित में जिस तरह से नियमों में बदलाव किया गया है, उसके पीछे निजी घरानों को लाभ पहुंचाने की मंशा है। पावर कॉरपोरेशन पूर्वांचल और दक्षिणांचल का निजीकरण कवायद में जुटा है। ऐसे में बिजली दरें तय करने के मानक कंपनियों के हित में बदलने से साफ लग रहा है कि न केवल पावर कॉरपोरेशन बल्कि नियामक आयोग भी बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने की हर संभव कोशिश कर रहा है। हालांकि न तो निजीकरण ही लागू होने दिया जाएगा और न ही इस फॉर्मुले से बिजली दरें ही तय करने दी जाएंगी।

अगला लेखऐप पर पढ़ें