सरकार उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली की सुविधा प्रदान करने के लिए एक खास योजना चला रही है। इससे लोग हर महीने आने वाले बिजली बिल से छुटकारा पा सकते हैं।
यह हादसा बस्ती के हर्रैया नगर पंचायत क्षेत्र के अंजाहिया मोहल्ले में रविवार तड़के करीब साढ़े तीन बजे के आसपास हुआ। हादसे की वजह शार्ट सर्किट बताई जा रही है। दम घुटने की वजह से पूजा नाम की महिला और उसके दो मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई।
एक तरफ पूर्वांचल विद्युत वितरण के क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को 500 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास करेंगे तो दूसरी तरफ निजीकरण की प्रक्रिया चल रही है। इसे लेकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सवाल उठाया है। पूछा है कि जब निजीकरण करना है तो नई योजना क्यों शुरू हो रही।
यूपी में बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया के बीच पावर कॉरपोरेशन और अलग-अलग बिजली कंपनियों में 17 डायरेक्टरों की नियुक्ति कर दी गई है। इन कंपनियों में पूर्वांचल और और दक्षिणांचल विद्युत वितरण कंपनियां भी हैं जिनका निजीकरण सबसे पहले होना है।
पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मी बुधवार को सड़क पर उतरे। उन्होंने शक्तिभवन के सामने जोरदार प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। साथ ही बिजली कर्मियों ने फील्ड हॉस्टल से शक्ति भवन तक विशाल रैली निकाली।
निजीकरण के खिलाफ लखनऊ में बिजली कर्मचारियों ने बुधवार को रैली निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया। रैली में कई राज्यों के बिजली कर्मचारी संगठनों ने नेताओं का जमावड़ा हुआ। बिजली कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने निजीकरण के बहाने आरक्षण छीनने की कोशिश का आरोप लगाया है।
बिजली के स्मार्ट मीटर का लगातार हो रहे विरोध के चलते पावर कंपनी ने बिहार के गांवों में एक जबरदस्त प्लान तैयार किया है। इससे आम लोगों में स्मार्ट मीटर को लेकर चल रहीं भ्रांतियां दूर की जाएंगी।
गया जिले में बिजली विभाग की लापरवाही से दो बच्चों की मौत हो गई। टूटे हुए 11 हजार वोल्ट के तार में बिजली दौड़ रही थी। कचरा बीनने वाले बच्चे तार की चपेट में आ गए। जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
यूपी में बिजली बिल भरना अब और आसान हो गया है। घर बैठे एप से ऑनलाइन भुगतान अब जिले और कनेक्शन नंबर से किया जा सकेगा। इसके लिए अब डिस्कॉम यानी बिजली कंपनी का चुनाव नहीं करना होगा।
यूपी में बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया के बीच कुछ मानकों को बदल दिया गया है। इसका सबसे बड़ा नुकसान आम उपभोक्ताओं का होगा। अब कभी भी बिजली की दरों को महंगा किया जा सकेगा।