देश को जल प्रबंधन का रास्ता दिखाएगी काशी
Varanasi News - आईआईटी बीएचयू और सीएसआईआर के सेंट्रल ग्लास ऐंड सिरेमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ने जल संसाधन प्रबंधन और सिरेमिक तकनीक में सहयोग का समझौता किया। यह साझेदारी जल संकट के समाधान, नवाचार और शोधकर्ताओं के...

वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। आईआईटी बीएचयू और काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के कोलकाता स्थित सेंट्रल ग्लास ऐंड सिरेमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीजीआरआई) मिलकर देश में जल संसाधन प्रबंधन का रास्ता तलाशेंगे। मौजूदा समय में वैश्विक जलवायु परिवर्तन के चलते पूरा विश्व अभूतपूर्व जल संकट के सामने खड़ा दिखाई दे रहा है। दोनों संस्थान इसके अलावा सिरेमिक और इससे जुड़ी तकनीक पर अध्ययन के लिए अपनी जानकारियां आपस में साझा करेंगे। इसके अलावा भविष्य के शोधकर्ताओं को प्रशिक्षत करने की दिशा में भी पहल की जएगी। दोनों संस्थानों के बीच शनिवार को समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। सिरेमिक के क्षेत्र में दोनों उन्नत संस्थानों के बीच यह समझौता सिरेमिक के क्षेत्र में नई तकनीकी के विकास में मददगार होगा।
शनिवार को आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. अमित पात्रा और सीएसआईआर-सीजीसीआरआई के निदेशक प्रो. बिक्रमजीत बसु ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस रणनीतिक साझेदारी का मुख्य उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान पहलों को प्रोत्साहित करना, वैज्ञानिक विचारों का आदान-प्रदान बढ़ाना और राष्ट्रीय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत करना है। हस्ताक्षर समारोह में प्रो. एनके मुखोपाध्याय, प्रो. एसके महतो, प्रो. प्रदीप कुमार रॉय, प्रो. चंदन उपाध्याय, आईआईटी खड़गपुर के प्रो. गौर गोपाल रॉय, आईआईटी कानपुर के प्रो. आशीष गर्ग सहित वरिष्ठ शिक्षाविद और शोधार्थी मौजूद रहे। आईआईटी के सिरेमिक इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष प्रो. आशुतोष कुमार दुबे ने बताया कि यह सहयोग दोनों संस्थानों में नवाचार के साथ भारत के वैज्ञानिक तंत्र में योगदान देने और उन्नत सिरेमिक और सामग्री विज्ञान के क्षेत्र में अगली पीढ़ी के शोधकर्ताओं को प्रशिक्षित करने की पहल करेगा। इस दौरान संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं और व्यावसायिक विकास कार्यक्रमों का विकास और क्रियान्वयन, शैक्षणिक प्रकाशन, अनुसंधान विश्लेषण और रिपोर्ट भी साझा की जाएंगी। आईआईटी बीएचयू के छात्रों को एसआईआर-सीजीसीआरआई के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में बीटेक समर इंटर्नशिप, एमटेक और पीएचडी शोध परियोजनाओं एवं प्रबंध के अवसर भी मिलेंगे। इन बिंदुओं पर होगा सहयोग - ग्लास एवं ग्लास-सिरेमिक्स - विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक सिरेमिक्स - संरचनात्मक सिरेमिक्स एवं मिश्रधातुएं - जल संसाधन प्रबंधन - अपवर्तक (Refractories) एवं उच्च तापमान सिरेमिक्स - सेंसर विकास - झिल्ली एवं पृथक्करण तकनीक - ऊर्जा सामग्री एवं उपकरण - जैव सामग्री एवं उपकरण - कार्यात्मक सिरेमिक्स एवं डिवाइसेज - पतली फिल्म तकनीक एवं संबद्ध सामग्री
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