Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Temples, wells and idols found in Sambhal will be investigated, ASI team will arrive today for carbon dating

संभल में मिले मंदिर, कुएं व मूर्तियों की होगी जांच, कार्बन डेटिंग के लिए आज पहुंचेगी एएसआई की टीम

यूपी के संभल मिले मंदिर, कुएं और मूर्तियों की जांच होगी। कार्बन डेटिंग के लिए एएसआई टीम आज संभल पहुंचेगी। दरअसल, जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने एएसआई को पत्र भेज कर इसकी कार्बन डेटिंग करने का अनुरोध किया था।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, संभल, कार्यालय संवाददाता।Thu, 19 Dec 2024 07:28 AM
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संभल में पांच दिन पूर्व खग्गुसराय क्षेत्र में 46 साल बाद खुले प्राचीन कार्तिकेश्वर महादेव मंदिर, इसके पास में स्थित प्राचीन कुएं और इसकी खोदाई के दौरान मिली मूर्तियों की कार्बन डेटिंग के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम गुरुवार शाम संभल पहुंचेगी। शुक्रवार से शुरू होने वाली जांच में इनकी ऐतिहासिकता का पता लगाया जाएगा। जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने एएसआई को पत्र भेज कर इसकी कार्बन डेटिंग करने का अनुरोध किया था।

खग्गुसराय में बिजली चोरी अभियान के दौरान यह प्राचीन मंदिर और कुआं मिला था। मंदिर के कपाट 46 वर्ष बाद खोले गए थे। इसके पास ही पाटे गए कुएं की खोदाई के दौरान तीन देवी-देवताओं की खंडित प्रतिमाएं भी बरामद हुई थीं, जिनके पुरातन महत्व का पता अब तक नहीं चल सका है। मूर्तियां मिलने के बाद कुएं की खुदाई रोक दी गई थी।

जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने मंदिर और कुएं के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को पत्र लिखकर कार्बन डेटिंग जांच की मांग की थी। डीएम ने बताया कि एएसआई की टीम गुरुवार शाम संभल पहुंचेगी और शुक्रवार शाम को मंदिर, कुएं और मूर्तियों की कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया शुरू करेगी।

बता दें कि कपाट खुलने के बाद से ही मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए पहुंच रहे हैं। इस प्राचीन स्थल की पुरातनता और इसके ऐतिहासिक पहलू को लेकर लोगों की उत्सुकता बढ़ गई है। खोदाई के दौरान मिली तीन खंडित प्रतिमाओं की काल गणना और इनके निर्माण में उपयोग किए गए पत्थर तथा तकनीकी का भी अध्ययन करेगा।

क्या है कार्बन डेटिंग?

कार्बन डेटिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसके जरिए पुरातन वस्तुओं, मूर्तियों और संरचनाओं की उम्र का निर्धारण किया जाता है। यह जांच बताएगी कि कार्तिकेश्वर महादेव मंदिर और कुएं का निर्माण कितने वर्ष पूर्व हुआ था।

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