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Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़youth platoon of mulayam s house entered electoral battle 5 leaders of second generation in the fray

चुनावी जंग में उतरी मुलायम के घर की युवा पलटन, पहली बार दूसरी पीढ़ी के 5 नेता मैदान में 

मुलायम के घर की युवा पलटन अब चुनावी जंग में उतर पड़ी है। अब अखिलेश के नेतृत्व में अक्षय, धर्मेंद्र, डिंपल, आदित्य मैदान में उतर पड़े हैं। अक्षय के सामने पिछली बार की हार का बदला लेने की चुनौती है।

Ajay Singh अजित खरे, लखनऊTue, 9 April 2024 11:57 PM
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Lok Sabha Election 2024: भीतरी चुनौतियों से जूझने के बाद मुलायम के घर की युवा पलटन अब चुनावी जंग में उतर पड़ी है। अब अखिलेश के नेतृत्व में अक्षय, धर्मेंद्र, डिंपल, आदित्य मैदान में उतर पड़े हैं। अक्षय यादव के सामने अपनी पिछली बार की हार का बदला लेने की चुनौती है जबकि धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ उपचुनाव के नतीजे को पलटने का मौका है। पहली बार मैदान में उतर रहे आदित्य यादव के सामने खुद को साबित करना है तो बदायूं सीट छीनने की अपेक्षा भी पार्टी को है। कन्नौज की हार का बदला चुकाने को अखिलेश यादव खुद लड़ते हैं या परिवार के एक और युवा सदस्य तेज प्रताप यादव को उतारते हैं ,यह जल्द साफ होगा। 

आजमगढ़ : धर्मेंद्र यादव 
मुलायम के इस गढ़ को सपा पिछले चुनाव में हार गई थी तो अखिलेश ने इसे फतेह करने के लिए बसपा के कद्दावर नेता शाह आलम गुड्डू जमाली को साथ ले लिया। यहां अब धर्मेंद्र यादव प्रत्याशी हैं जिन्हें पहले बदायूं में उतारा गया था। मॉय यानी मुस्लिम यादव के समीकरण में गैर यादव ओबीसी को जोड़ कर सपा इस सीट पर फिर कब्जा चाहती है जिसे 2014 में मुलायम सिंह यादव व 2019 में अखिलेश यादव ने जीता था।
 
फिरोजाबाद : अक्षय यादव 
पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव के बेटे और अखिलेश यादव के चचेरे भाई अक्षय यादव संभवत: परिवार से एक मात्र उम्मीदवार हैं, जिन्हें पहले दिन से टिकट मिलना तय था और उस पार्टी को मंथन नहीं करना पड़ा। पिछली बार अपने भतीजे की हार का सबब बने शिवपाल यादव ने इस बार शुरुआत में ही अक्षय की उम्मीदवारी घोषित करने के साथ उसे जिताने का संकल्प भी लिया।
 
मैनपुरी : डिंपल यादव 
सांसद व सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने मुलायम के निधन से खाली हुई मैनपुरी सीट पर हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की थी। इस बार भी वह मैनपुरी से चुनाव लड़ रही हैं। पिछली बार वह कन्नौज से चुनाव हार गईं थीं। सपा सर्वाधिक मजबूत गढ़ो में मैनपुरी का नाम सबसे पहले आता है। मैनपुरी सीट आज तक भाजपा नहीं जीती और सपा यहां से सात बार जीती।

बदायूं : आदित्य यादव 
बदायूं ऐसी सीट है, जहां प्रत्याशी को लेकर पार्टी व परिवार में काफी ऊहापोह रहा। पहले तो यहां से धर्मेंद्र यादव का नाम तय हुआ, पर बाद में वह आजमगढ़ से प्रत्याशी हो गए और शिवपाल को बदायूं का टिकट दिया गया। पर शिवपाल अपने बेटे आदित्य को अपनी जगह बदायूं से लड़ाना चाहते थे। उनकी इच्छा को देखते हुए अखिलेश ने शिवपाल की जगह आदित्द यादव को प्रत्याशी बना दिया। अब आदित्य यादव को अपने पिता शिवपाल की प्रतिष्ठा को बरकरार रखना है, पिछली बार इस सीट से सपा की हार का हिसाब बराबर करने का भी उन पर दबाव होगा।
 
कन्नौज का सवाल अभी अनुत्तरित है
अखिलेश यादव के सामने कन्नौज के गढ़ को बचाना बड़ी चुनौती है। खुद अखिलेश ने अपने सियासी कैरियर की शुरुआत कन्नौज लोकसभा उपचुनाव जीत कर की थी। आम चुनाव व उपचुनाव मिला कर यह सीट सपा सात बार जीती है। मुलायम सिंह यादव एक बार,  अखिलेश यादव तीन बार जीते हैं। 2012 के चुनाव के वक्त यहां के उपचुनाव में डिंपल यादव निर्विरोध निर्वाचत हुईं थीं। उसके बाद 2014 में वह जीतीं। पर 2019 में वह हार गईं। अब अखिलेश यादव कन्नौज की प्रतिष्ठा बचाने को खुद लड़ते हैं या तेज प्रताप यादव को उतारते हैं? यह सवाल अभी तय होना बाकी है। तेज प्रताप मुलायम सिंह पौत्र व लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं। 

शिवपाल इस बार मैदान से रहेंगे बाहर
शिवपाल यादव पिछली बार सपा से अलग, अपनी प्रसपा पार्टी बना कर फिरोजाबाद से लड़े थे। यहां भाजपा ने अक्षय यादव को हराया और तीसरे स्थान पर रहे शिवपाल को जितने वोट मिले उससे कहीं कम के अंतर से सपा अपनी सीटिंग सीट हारी थी। अब शिवपाल ने टिकट लौटाकर बेटे को दिला दिया। माना जा रहा है कि अगर अखिलेश कन्नौज से चुनाव जीत कर सांसद बनते हैं तो पार्टी उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी दे सकती है। अभी अखिलेश खुद ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में सरकार को घेरते हैं।

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