Kushinagar Top 5 Places To Visit: बुद्ध की निर्वाण स्थली, जहां होते हैं दुनिया की अद्भुत संस्कृतियों के दीदार; कुशीनगर के टॉप 5 दर्शनीय स्थल
कुशीनगर में आपको जापान, चीन, भूटान, म्यांमार, कोरिया, श्रीलंका, कम्बोडिया, थाइलैंड सहित कई देशों की संस्कृति, निर्माण कला, ध्यान, आध्यात्म और चिकित्सा के सिद्धांत मूर्त रूप में दिखते हैं।

Kushinagar Top 5 Places To Visit: भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में आपको जापान, चीन, भूटान, म्यांमार, कोरिया, श्रीलंका, कम्बोडिया, थाइलैंड सहित कई देशों की संस्कृति, निर्माण कला, ध्यान, आध्यात्म और चिकित्सा के सिद्धांतों को मूर्त रूप में देखने का मौका मिलता है। पर्यटन के अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर चमकने वाली इस धार्मिक नगरी में ऐसा बहुत कुछ है जो आपकी आंखों के साथ-साथ मन को भी सुकून पहुंचाता है। तो यदि आप कहीं घूमने का मन बना रहे हैं तो एक बार प्राचीन बौद्ध स्तूपों और अलग-अलग देशों के खूबसूरत मंदिरों से सुसज्जित कुशीनगर के बारे में जरूर सोचें।
यह नगरी भगवान बुद्ध को समर्पित है। मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने यहीं अपनी देह त्यागी थी। इस वजह से इसे प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल माना जाता है। कुशीनगर, गोरखपुर से लगभग 53 किलोमीटर दूर है। कुशीनगर जिले का मुख्यालय पडरौना में है। पहले यह देवरिया में था। जिले के रूप में कुशीनगर का गठन 13 मई 1994 को हुआ। कुशीनगर के पूरब में बिहार, दक्षिण-पश्चिम में देवरिया, पश्चिम में गोरखपुर और उत्तर-पश्चिम में महाराजगंज स्थित है। कई पर्यटक नेपाल टूर के साथ-साथ कुशीनगर घूमने का भी प्लान बनाते हैं क्योंकि नेपाल से इसकी दूरी काफी कम है। आइए हम आपको बताते हैं कुशीनगर के टॉप 5 दर्शनीय स्थलों के बारे में-

महापरिनिर्वाण मंदिर-
यह मंदिर पूरी दूनिया में बौद्ध धर्मावलंबियों की श्रद्धा का केंद्र है। यह सबसे पवित्र बौद्ध मंदिरों में से एक है। यहां भगवान बुद्ध की 6.1 मीटर लंबी प्रतिमा लेटी हुई मुद्रा में है। यह प्रतिमा भगवान बुद्ध के निर्वाण (देह त्याग) के समय के काल को दिर्शाती है। इस प्रतिमा को चुनार के बलुआ पत्थर को काटकर बनाया गया था। बताया जाता है कि हरीबाला नाम के एक बौद्ध भिक्षु ने गुप्त काल के समय यह प्रतिमा मथुरा से यहां लाकर स्थापित की थी।
चाइनीज मंदिर-
यह कुशीनगर के सबसे आधुनिक मंदिरों में से एक है। यहां चीनी शैली में बनी बुद्ध की मूर्ति के दर्शन होते हैं। जानकारों के मुताबिक इस मंदिर में चीनी और वियतनाम वास्तुशिल्प की मिश्रित डिजायन का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर के अंदर लाफिंग बुद्धा की सुनहरी प्रतिमा बरबस ही पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींच लेती है। मंदिर के डिजाइन में जगह-जगह ड्रैगन का प्रयोग किया गया है। मंदिर परिसर में एक सुंदर बागीचा भी है जहां आप इत्तमिनान से बैठकर सुकून के कुछ पल हासिल कर सकते हैं।
इंडो-जापान-श्रीलंका मंदिर-
यह तीनों देशों के बौद्ध अनुयायियों के सहयोग से बना है। यहां भगवान बुद्ध की अष्टधातु की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा को जापान से लाया गया था। प्रतिमा को बनाने के लिए जापानी राजशाही ने वित्त पोषण दिया था। बताते हैं कि जापान से लाई गई प्रतिमा दो भाग में थी जिसे यहां स्थापना के समय जोड़ा गया।
रामाभार स्तूप-
मान्यता है कि महापरिनिर्वाण मंदिर से करीब सवा किलोमीटर दूर स्थित रामाभार स्तूप उसी स्थान पर बना है जहां 483 ईसा पूर्व भगवान बुद्ध को दफनाया गया था। पौराणिक कथाओं के मुताबिक इसका निर्माण भगवान बुद्ध के निर्वाण के समय कुशीनगर पर शासन करने वाले मल्ल शासकों ने कराया था।
सूर्य मंदिर-
इस गुप्तकालीन मंदिर में स्थापित प्रतिमा नीलम धातु से बनी है। मंदिर के दर्शन के लिए भारत के साथ-साथ म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका सहित अन्य देशों के पर्यटक भी आते हैं। यहां हर साल नवम्बर में सूर्य महोत्सव मनाया जाता है। यहां स्थापित सूर्य प्रतिमा की ऊंचाई करीब चार फीट है। बताया जाता है कि पहले इस प्रतिमा पर सात घोड़ों के रथ वाली सवारी थी लेकिन करीब ढाई दशक पहले मंदिर में हुई चोरी में प्रतिमा क्षतिग्रस्त हो गई और रथ और घोड़े काटकर चोर अपने साथ ले गए।

कैसे पहुंच सकते हैं कुशीनगर
हवाई मार्ग-कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा शुरू हो गया है। धीरे-धीरे यहां कई बौद्ध देशों से एयर कनेक्टिविटी बन रही है। इसके अलावा गोरखपुर एयरपोर्ट से कुशीनगर की दूरी 55 किलोमीटर है। यहां से दिल्ली, लखनऊ, मुंबई, कोलकाता और देश के कई अन्य प्रमुख शहरों के लिए फ्लाइट्स हैं।
सड़क मार्ग- कुशीनगर, गोरखपुर से करीब लगभग 53 किलोमीटर की दूरी पर है। गोरखपुर से कुशीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हुआ है। इसके इलावा महाराजगंज, बिहार और देवरिया से भी कुशीनगर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग एक बेहतर जरिया है।