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मघा नक्षत्र, शिव योग में कुश ग्रहणी सोमवती अमावस्या

भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं। इस दिन धार्मिक कामों के लिए कुश एकत्रित किया जाता है। इस बार यह तिथि 1 सितम्बर रविवार रात से 3 सितम्बर मंगलवार सुबह तक रहेगी। कुश के उपयोग...

Newswrap हिन्दुस्तान, शाहजहांपुरSun, 1 Sep 2024 11:24 AM
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भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा गया है। इस दिन वर्ष भर किए जाने वाले धार्मिक कामों तथा श्राद्ध आदि कामों के लिए कुश एकत्रित किया जाता है। एक सितम्बर रविवार की रात्रि 4.54 से 3 सितम्बर मंगलवार की सुबह 6.00 तक अमावस्या तिथि रहेगी। इसलिए इस बार सोमवती और भौमवती अमावस्या दोनों दिन पड़ने से इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। सनातन हिन्दू धर्म के अनेक धार्मिक देव-पित्रृ कार्यों में कुश का उपयोग आवश्यक रूप से होता है। इसलिए प्रत्येक गृहस्थ को इस दिन कुश का संचय अवश्य करना चाहिए। कुश के बने आसन पर बैठकर मंत्र जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाते हैं। कुश धारण करने से सिर के बाल नहीं झड़ते और छाती में आघात यानी दिल का दौरा नहीं होता, इसीलिए वेद ने कुश को तत्काल फल देने वाली औषधि, आयु की वृद्धि करने वाला और दुषित वातावरण को पवित्र करके संक्रमण फैलने से रोकने वाला बताया है।

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