नई पीढ़ी के लिए साइलेंट किलर बन रहा उच्च रक्तचाप
Sambhal News - एक सर्वे में पता चला है कि हर तीन में से एक युवा उच्च रक्तचाप का शिकार है। 70% मरीजों को अपनी बीमारी की जानकारी नहीं होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि गलत खानपान और तनाव इसके प्रमुख कारण...

एक दौर था जब उच्च रक्तचाप यानी हाइपरटेंशन को उम्रदराज लोगों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब यह तेजी से युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है। स्वास्थ्य विभाग के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक हर तीन में से एक युवा उच्च रक्तचाप से पीड़ित है और हैरानी की बात यह कि 70% मरीजों को इसकी जानकारी तक नहीं होती। जिला अस्पताल के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर महीने लगभग 1000 मरीज उच्च रक्तचाप की जांच के लिए पहुंचते हैं, जिनमें औसतन 150 मरीज हाइपरटेंशन से ग्रस्त पाए जाते हैं। इनमें से बड़ी संख्या 35 से 45 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं की है।
उच्च रक्तचाप से हृदय रोग, स्ट्रोक, डिमेंशिया और किडनी की बीमारी जैसी कई बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। हाई ब्लड प्रेशर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रति वर्ष 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे मनाया जाता है। इस वर्ष अपने ब्लड प्रेशर को सही ढंग से मापें, नियंत्रित करें, लंबे समय तक जीवित रहें थीम के साथ वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे मनाया जा रहा है। जिला अस्पताल में उच्च रक्तचाप के हर महीने 1000 से ज्यादा मरीज पहुंचते हैं तो वहीं औसतन 150 मरीज हाइपरटेंशन के होते हैं। डाक्टरों ने बताया कि इलाज के दौरान हर तीसरे युवा में रक्तचाप बढ़े होने की समस्या सामने आ रही है। जिनकी उम्र 35 से 45 के बीच में है, वे इससे अधिक पीड़ित हैं। उच्च रक्तचाप को मेडिकल भाषा में हाइपरटेंशन कहा जाता है। डाक्टरों का मानना है कि गलत खानपान और अनियमित दिनचर्या की वजह से युवा शिकार हो रहे हैं। नॉर्मल ब्लड प्रेशर 120/80 से कम ही होता है। इससे कम लो ब्लड प्रेशर और अगर ज्यादा होता है तो हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है। 70 प्रतिशत मरीजों को नहीं होता पता विश्व हाइपरटेंशन दिवस पर जिला अस्पताल के सीएमएस डा. राजेंद्र सिंह ने बताया कि अधिकतर लोग खुद को फिट मानकर चेकअप नहीं कराते। इसी लापरवाही के चलते यह बीमारी साइलेंट किलर बन जाती है। युवा वर्ग में नमक और जंक फूड का अत्यधिक सेवन, देर रात तक जागना और तनाव इसकी प्रमुख वजहें हैं। उन्होंने बताया कि 70 प्रतिशत मरीजों को रक्तचाप की जानकारी ही नहीं है। कहा कि 30 फीसद लोगों में नमक का ज्यादा सेवन करने से उच्च रक्तचाप की समस्या है। नियमित व्यायाम करें और तनाव को नियंत्रित करें इस खतरनाक बीमारी को साइलेंट किलर नाम इसीलिए दिया गया है क्योंकि अधिकतर लोगों यह नहीं पता कि उन्हें ये बीमारी है। आजकल युवा व्यायाम से दूर है जिस कारण युवाओं में यह बीमारी बढ़ रही है। व्यायाम करने से काफी हद तक इससे बचा जा सकता है। टाइप टू डायबिटीज से पीड़ित हो रहे बच्चे आयुर्वेद चिकित्सक डा. नीरज बताते हैं कि हाइपरटेंशन के साथ बच्चों में टाइप टू डायबिटीज की समस्या भी सामने आ रही हैं। ऐसा गलत खानपान के कारण हो रहा है। उनका कहना है कि बच्चों को पैकेट बंद खाना से बचना चाहिए और फास्टफूड का सेवन नहीं करना चाहिए। खाने में जितना हो सके, पौष्टिक आहार को शामिल करें और हरी पत्तेदार युक्त सब्जियों का प्रयोग करने से शरीर स्वस्थ रहता है। बच्चों में सबसे ज्यादा टाइप वन डायबिटीज के मामले ज्यादा है। ये हैं कारण ●-अधिक मानसिक तनाव और लंबे समय तक बेचैनी। ●-नींद पूरी ना लेना। ●-धूम्रपान व शराब का सेवन करना। ●-सफेद नमक या तला भुना खाने खाना। -●व्यायाम ना करना व देर तक सोना। -●कंप्यूटर व मोबाईल पर ज्यादा समय देना। - आउटडोर स्पोर्ट्स न होना। - अकेलापन, मोबाइल की लत - फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन
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