बोले रामपुर : संसाधन और मानदेय बढ़े तो पूरी हों हमारी मांगें
Rampur News - रामपुर के सफाईकर्मी कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जैसे कि बिना सेफ्टी किट, पुरानी वर्दी और कम मानदेय। वे अपनी मांगों को लेकर प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं। कोरोना काल में उनकी अहम भूमिका के बावजूद...

शहर और गांवों में गंदगी साफ कर लोगों को स्वच्छ वातावरण देने वाले सफाईकर्मी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं लेकिन, उनकी परेशानी को अनदेखा किया जा रहा है। इस समय वे संसाधन उपलब्ध कराने और अपना मेहनताना बढ़ाने की मांगें उठा रहे हैं। रामपुर शहर में ये बिना सेफ्टी किट, फटे-पुराने दस्ताने और जूते पहनकर अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। 10 वर्षों से इन्हें वर्दी नहीं मिली है। पीएफ का पैसा तक इनके बैंक खाते में नहीं आ रहा है। उनका कहना है कि शहर में स्वच्छता की अलख जगाने वाले सफाई कर्मचारी ही उपेक्षित हैं। उन्होंने हिन्दुस्तान के साथ अपनी पीड़ा बयां की है। रामपुर शहर में कुल 43 वार्ड हैं। प्रत्येक वार्ड में 16 कर्मचारियों की तैनाती होने चाहिए लेकिन,शहर में 500 आउटसोर्स,करीब 160 संविदा और करीब 200 स्थायी सफाई कर्मी हैं। ये सफाईकर्मी बिना संसाधनों के अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभा रहे हैं। ठेके पर काम करने वाले सफाई कर्मचारी ने बताया कि सड़कों पर सफाई करने में दिक्कत नहीं होती है लेकिन, नाले साफ करने में तकलीफ होती है। कई बार जूते-दस्ताने न होते हुए भी नालों की सफाई करनी पड़ी। आउटसोर्सिग सफाई कर्मी ने बताया कि कई बार हाथ पंजी और ठेली भी नहीं मिलती है। सर्दी में सुबह वे सड़कों पर ठिठरते हुए काम करते हैं लेकिन, वर्दी दिलाने के लिए किसी ने पहल नहीं की। जिस दिन देर हो जाए तो उस दिन अफसर खरी खोटी सुनाते हैं। ठेका कर्मचारियों ने बताया कि मानदेय तक समय पर नहीं मिलता। एक माह का मानदेय दो माह में बैंक खाते में आता है। आठ हजार रुपये में क्या होता है। कई बार नगर पालिका के अफसरों से मानदेय बढ़ाने की गुहार लगाई लेकिन, आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। कर्मचारी संजीव ने कहा कि सुविधाओं की बात तो छोड़ दे, छुट्टी भी नहीं मिलती। रविवार को भी बुलाकर काम कराया जाता है। इससे घर के जरूरूी काम पूरे नहीं कर पाते हैं। हम तो सफाईकर्मी हैं। हमें गर्मी-सर्दी और बरसात में भी काम करना होता है लेकिन, मानदेय बढ़ाने, सुविधाएं देने के नाम पर अफसर उनकी बात अनसुनी कर देते हैं।
कोरोना काल में निभाई थी अहम भूमिका: कोरोना वायरस से बचाव के लिए स्वच्छता को ही सबसे बड़ा साधन माना गया था। सफाई कर्मचारियों के साथ ही लोग भी अपने घरों के आसपास सफाई का विशेष ख्याल रखते थे। नगरपालिका के सफाई कर्मचारी उस दौर में भी सुबह ही सड़कों पर अपने कर्तव्यों का पालन करने में जुटे रहे। हालांकि, उस दौर में लोगों को अपने परिवार में भी एक-दूसरे से बचाव करना पड़ रहा था। मगर, सफाई कर्मचारियों ने स्वच्छता के अभियान की गति को कम नहीं होने दिया।
गंदगी से बीमारी होने का खतरा: सफाई कर्मी बताते हैं कि जान जोखिम में डालकर वे शहर को स्वच्छ रखते हैं। सफाई के दौरान गंदगी से उन्हें बीमारी होने का खतरा सताता है लेकिन, नाले-नालियों में सड़ता कूड़ा-कचरा निकालते समय आने वाली दुर्गंध भी उन्हें परेशानी होती है।
वार्डों की संख्या बढ़ने से काम का भार : नगर पालिका परिषद के क्षेत्र का सीमा विस्तार कई साल पहले हुआ था। जिला मुख्यालय से लेकर शहर के चारों ओर के गांव अब शहरी क्षेत्र का हिस्सा बन चुके हैं। इसलिए आउटसोर्सिंग सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई लेकिन, शहर का क्षेत्रफल बढ़ने से सफाई कर्मियों का कम बढ़ गया है।
हर दिन निकलता है 15 टन से ज्यादा कचरा
रामपुर। शहर से हर रोज 15 टन से अधिक कचरा निकलता है। इसके निस्तारण के लिए कूड़ा निस्तारण प्लांट है,जो अभी चालू नहीं हुआ है। उधर, लोगों की लापरवाही सफाईकर्मियों के लिए बड़ी मुसीबत है। कई जगह व्यापारी दुकानों से निकलने वाला कूड़ा नालियों में डाल देते हैं। इससे नालियां चोक हो जाती हैं और गंदा पानी सड़कों पर बहने लगता है। हालांकि नगर पालिका के वाहन शहर में घूमकर कूड़ा एकत्रित करते हैं। गीला व सूखा कूड़ा के चेंबर बनेहंै।
26 दिन का मिलता मानदेय
सफाई कर्मचारियों ने बताया कि उनसे माह के 30 दिन कार्य कराया जाता है लेकिन,उन्हें मानदेय 26 दिन का ही दिया जाता है। इसमें भी नगर पालिका प्रशासन इसमें कटौती कर देता है। 8170 मानदेय से उन्हें परिवारों को पलाने में दिक्कतें होती हैं। रामपुर नगर पालिका के अलग ही नियम हैं। शासन से सभी कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाने का आदेश जारी किया है। टांडा और अन्य तहसील क्षेत्रों में सफाई कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाया गया है लेकिन,रामपुर नगर पालिका प्रशासन शासन का आदेश मानने को तैयार नहीं है।
मौसम के अनुकूल नहीं मिलती वर्दी
सर्दी,गर्मी और बरसात के अनुकूल सफाईकर्मियों को वर्दी नहीं मिलती है। कर्मचारियों का कहना है कि अगर मौसम के बदलाव से पहले ही उन्हें ड्रेस मिल जाए तो काम करने के दौरान उन्हें सहूलियत होगी। नगर पालिका प्रशासन वर्दी के नाम पर हल्के कपड़े की एक जैकेट देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेता है। इस पर लगी रेडियम पट्टी भी कुछ दिन में ही फीकी हो जाती है। कर्मचारी जालीदार जैसी जैकेट से सर्दी का मुकाबला कर रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारी आते हैं, तो मौके पर कार्यरत कर्मियों को एक भारी कपड़े की सूती जैकेट दे दी जाती है। सर्दी के लिए ऊनी पैट, शर्ट, कोट, मफलर, जूता नहीं मिलता है।
सुझाव एवं शिकायतें
1. हर माह की एक तारीख को कर्मियों के साथ बैठक कर उनकी समस्याएं सुना जाए और समाधान हो।
2. सफाई कर्मचारियों को दो माह की बजाय हर माह की एक तारीख को खाते में मानदेय के रुपये भेजे जाए।
3. ब्कर्मियों की सैलरी से कटने वाला पीएफ हर माह उनके खाते में जमा किया जाए। इससे पार्दशिता आएगी।
4. हर वार्ड में एक स्टोर होना चाहिए महिला कर्मचारी की पास के वार्डो में ड्यूटी लगाई जाए।
5. महिला कर्मचारी को बच्चों को स्कूल भेजना पड़ता है उनकी ड्यूटी आठ बजे के बाद लगाई जाए।
1. बिना सेफ्टी किट के सफाई के दौरान हर वक्त बीमारियों का खतरा बना रहता हैं।
2. हाजिरी लगाने पर कई बार गड़बड़ी की शिकायत मिलती है।
3. कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं दी जाती है। नगरपालिका अथवा स्वास्थ्य विभाग की ओर से शिविर भी नहीं लगाया जाता है ।
4. आउसोर्सिंग कर्मियों की 26 दिन का वेतन मिलता है जबकि काम 30 दिन लेते हैं। मानदेय भी समय से नहीं मिलता।
5. कर्मियों को सफाई किट, बरसात में रेनकोट, जाड़े में गर्म जैकेट नहीं मिलती है।
हमारी भी सुनें
सफाईकर्मियों को वर्दी, स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। कम मानदेय की वजह से परिवार को पालना मुश्किल हो रहा है। पालिका प्रशासन मांगों को अनसुना कर रहा है। -अमन कटारिया
एक जैकेट मिलती है। वह भी जालीदार है। यह सर्दी के लायक तो नहीं है। हर माह का मानदेय मिला है लेकिन, देर लगती है। मानदेय बढ़ाया जाए। इससे राहत मिलेगी। -सनी कुमार
सुबह से शाम तक काम करते हैं। सप्ताह में अवकाश नहीं है। हमें संविदाकर्मियों के बराबर कर मानदेय मिलता है। मानदेय बढ़ाया जाए तो सहूलियत होगी। -जोगेंद्र कुमार
8साल बाद तन्खाह एक हजार रुपये बढ़कर 9400 हुई है। इसे टांडा नगर पालिका ने लागू कर दिया है। रामपुर में भी जल्दी लागू हो। -आकाश बाबू
-कई साल से काम कर रहे हैं। वर्दी मिलती तो काफी अच्छा रहता। जो है उसी में काम करते हैं। सफाईकर्मियों के लिए संसाधनों का अभाव हैं। सुविधाएं बढ़ानी जरूरी हैं। -दिलीप
काम करते कई साल हो गए हैं। परिवार का खर्च चलाने लायक मानदेय नहीं मिलता है। बच्चों को पढ़ाना लिखाना कठिन हो गया है। सफाईकर्मियों के मानदेय बढ़ाया जाए। -अनिल राज
मानदेय समय से नहीं मिलता है। एक से लेकर दो माह तक इसका इंतजार करना पड़ता है। इससे हम लोगों को काफी दिक्कत होती है। इस व्यवस्था सुधारी जरूरी है। -रोहित
महीने में 30 दिन काम करते हैं। रविवार को भी ड्यूटी रहती है। कम से कम सप्ताह में एक दिन छुट्टी मिलती तो अच्छा रहता। इससे सफाईकर्मियों को राहत मिलेगी। -नवीन
सफाईकर्मियों को मानदेय बहुत कम मिलता है। बच्चों की फीस, घर का कुछ सामान ही आ पाता है। तनखाह को बढ़ाया जाना चाहिए। इससे हमारा मनोबल बढ़ेगा। -शिवम
शहर को साफ रखते हैं। घर के कपड़े में ही काम करना पड़ता है। स्वास्थ्य सुविधा भी नहीं है। इससे सफाईकर्मियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। -आशीष
सरकार ने वेतन बढ़ाया है लेकिन, रामपुर नगर पालिका प्रशासम बढ़ा हुआ वेतन नहीं दे रहा है। जबकि,पुराना वेतन भी काटकर दिया जाता है। इसे जल्द दिया जाए। -गोपाल
सफाई के लिए किट मिलनी चाहिए। बिना किट व उपकरण के सफाई करने में परेशानी होती है। सफाईकर्मियों की पीड़ा को पालिका प्रशासन अनदेखा करता है। - बंटी
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