बोले रामपुर : स्थायी बाजार मिले तो महकेगा फूलों का कारोबार
Rampur News - रामपुर में फूल विक्रेताओं को शादी और त्योहारों के मौसम में अच्छा मुनाफा होता है, लेकिन ऑफ सीजन में मांग कम होने और प्रशासनिक समर्थन की कमी के चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। स्थायी बाजार और उचित ऋण...

विवाह से लेकर त्योहार तक बाजारों में फूलों की खुश्बू ग्राहकों को अपनी ओर खींचती है तो फूल बेचने वाले अच्छा मुनाफा कमाते हैं, लेकिन इस कारोबार से जुड़े लोगों के सामाने कई चुनौतियां भी होती हैं। त्योहार और शादियों का सीजन कम होने पर मंदी व कम मांग के चलते फूल कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि उन्हें प्रशासन से पर्याप्त समर्थन नहीं मिलता। रामपुर जिले में स्थिर बाजार और अच्छी सुविधाएं मिले तो यह कारोबार और महकने लगेगा। फल विक्रेताओं की समस्याओं को समझना और उनके संघर्षों को जानना बहुत जरूरी है। फूलों का कारोबार देखने में भले ही आकर्षक लगे, लेकिन इसकी कड़ी मेहनत और संघर्ष को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सुबह-सुबह फूलों के व्यापारियों का मंडी या बगिया से फूल लाना, फिर उसे सड़क किनारे बेचने के लिए सजाना, यह सब एक दिनचर्या बन जाती है। इसके बावजूद, इन व्यापारियों को न तो स्थायी बाजार मिलता है और न ही उचित मूल्य, जो उनकी मेहनत का सही मूल्यांकन कर सके।
रामपुर में सड़क किनारे अस्थायी दुकानों और ठेलों से होने वाले कारोबार में एक स्थिरता की कमी होती है। इसके अलावा, ट्रैफिक पुलिस या नगर पालिका के अधिकारियों की कार्रवाई, जो इन्हें अक्सर परेशान करती है, इन व्यापारियों के लिए और भी तनावपूर्ण बन जाती है। जब गर्मी में फूल जल्दी खराब हो जाते हैं, तो नुकसान और भी बढ़ जाता है, क्योंकि इनका कोई सुरक्षित भंडारण या उपयुक्त व्यवस्था नहीं होती।
यहां जिला प्रशासन का महत्वपूर्ण रोल है। अगर एक स्थायी फूल बाजार या स्थान निर्धारित किया जाए, तो इन विक्रेताओं को एक निश्चित और सुरक्षित जगह मिल सकती है, जहां वे बिना डर अपने कारोबार को चला सकते हैं। साथ ही, अगर थोक व्यापारी और बिचौलिए फूलों के लिए उचित कीमतें दें, तो इन छोटे विक्रेताओं को भी उनका हक मिल पाएगा। इस समस्या के समाधान के लिए स्थानीय प्रशासन या व्यापारियों को एक साथ आकर कोई ठोस कदम उठाने चाहिए। इनकी मांग पूरी हो तो यह कारोबार और महकने लगेगा और कई लोगों की जीविका संसाधन बनकर उभरेगा।
दिल्ली और बरेली की मंडियों से मंगाए जाते हैं फूल: रामपर के बाजार में दिल्ली और बरेली की मंडियों से फूल मंगाए जाते हैं।
गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा, चंपा, मोगरा, सीतामणि घास, मल्टी स्टार, चांदनी, चमेली, गुलदाबरी, देसी गुलाब समेत अन्य फूलों की आपूर्ति होती है। इन फूलों की एक स्टिक की कीमत 10 रुपये से लेकर 100 रुपये तक भी है। यहां 200 रुपये से बुके शुरू होते हैं और करीब 15 सौ रुपये तक बुके मिलते हैं। अगर आप कार सजाना चाहते हैं तो 800 रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
ऑफ सीजन में लोन की किस्त जमा करना भी बड़ी चुनौती
रामपुर। फूल कारोबारियों का कहना है कि फूल कारोबार को यदि आगे बढ़ाना है तो बैंक से मिलने वाले ऋण की सीमा में भी इजाफा होना चाहिए। ऑफ सीजन में कमाई नहीं होने पर बैंक वाले किस्त जमा करने का अनावश्यक रूप से दबाव बनाते हैं। इस वजह से फूल कारोबारियों को काफी तकलीफ होती है। यदि फूल कारोबारियों को तीन लाख रुपये तक का लोन और सब्सिडी पर लोन मिलने लगे तो ऐसे कारोबारी जो अपना रोजगार बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें काफी मदद मिल सकेगी। फूलों का कारोबार करने के लिए अभी तक दस से 50 हजार रुपये तक ऋण मिलता है। इसकी धनराशि तीन लाख रुपये तक की जाए तो कारोबारियों की परेशानी कम हो जाएगी। नए और महंगे फूल भी आसानी से शहर में उपलब्ध हो जाएंगे। इससे लोगों को बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
दुकानों पर फूलों की खुश्बू खींचती है ग्राहकों का ध्यान
रामपुर। शहर में मिस्टनगंज बाजार, पुराना गंज और ज्वालानगर में फूलों का बाजार सजता है। सुबह होते ही फूलों की दुकानों में खुश्बू महकने लगती है। दुकानों के बाहर लटकी गुलाब की मालाएं हर राहगीर का ध्यान खींचती हैं। गुलाब के फूलों में लाल, गुलाबी, पीले, सफेद, हर रंग का गुलाब फूल मिल जाते हैं। गेंदे के फूल, भारतीय त्योहारों के अनिवार्य साथी, अपनी रंगों की आभा से पूरी दुकान को जगमगा देते हैं। दुकानों पर लिली के सफेद फूल जो शादी के मंडप से लेकर बड़े कार्यक्रम में प्रयोग किए जाते हैं। इनकी खुश्बू लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
ऑर्किड के नाजुक फूल विदेशी सौंदर्य का प्रतीक हैं। महंगे होने के बावजूद, इनकी मांग कभी कम नहीं होती। दुकानों पर चमेली के फूलों से पूरा वातावरण महक उठता है। मौसमी फूलों की आवक के साथ दुकान का रूप भी बदलता रहता है। बरसात में गेंदा, गुलाब, सर्दियों में गुलदाउदी और गर्मी में चमेली, हर मौसम अपने साथ नए रंग लाता है।
आर्टिफिशियल के चलन से फूलों की बिक्री पर असर
फूल कारोबारियों का कहना है कि इस समय बाजार में आर्टिफिशियल फूलों की खूब बिक्री हो रही है। इससे प्राकृतिक फूल का कारोबार करने वाले व्यापारियों के काम पर असर पड़ा है। पहले शादियों में घरों को फूलों से सजाया जाता था। इसके लिए घरों के बाहर विभिन्न प्रकार की प्रजाति वाले फूलों वाले गेट को लगाया जाता था। जब से आर्टिफिशियल फूलों का चलन बढ़ गया है तब से प्राकृतिक फूलों की तरफ लोगों का रूझान कम हुआ है। यदि बाजार से आर्टिफिशल फूलों का चलन कम हो तो यह कारोबार फिर महक उठेगा।
यह फूलों की नहीं, भावनाओं की दुकान
रामपुर। सड़क किनारे फूल बेचने वाले रजनीश का कहना है कि यह छोटी सी दुकान सिर्फ फूलों की ही नहीं, बल्कि भावनाओं की भी दुकान है। यहां हर फूल किसी की खुशी का साथी बनता है, किसी के दुख में ढांढस बनता है और किसी के प्रेम का पैगाम बन जाता है। फूलों की इस दुकान में जीवन के हर रंग शामिल हैं, बस उन्हें समझने की जरूरत है। दीपक फूल वाले दिल की बातें बयां करते हैं, वह कहते हैं कि फूल तो बहाना हैं, असल में यहां लोगों की भावनाएं बिकती हैं। उनकी इस बात में कितनी गहराई है। हर फूल एक कहानी है, हर माला एक संदेश है और हर खरीदार एक नया अध्याय, लेकिन हमारी कहानी के अध्याय को भी समझना होगा। हमारी परेशानियां प्रशासन को समझना चाहिए।
सुझाव एवं शिकायतें
1. फूल विक्रेताओं के लिए स्थायी जगह निर्धारित किया जाए।
2. सभी दुकानदारों के लिए पक्की दुकानें उपलब्ध कराई जाए।
3. सरकारी लोन लेने के लिए अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।
4. आसपास शौचालय और पार्किंग की व्यवस्था की जाए।
5. लोन की धनराशि को बढ़ाया जाए। इससे कारोबार करने में दिक्कत कम हो सकेगी।
1. फूल विक्रेताओं के लिए कोई स्थायी जगह नहीं है।
2. नगर पालिका, प्राधिकरण वाले कभी भी दुकानें हटा देते हैं।
3. सरकारी लोन लेने के लिए भटकना पड़ता है।
4. आसपास शौचालय और पार्किंग की व्यवस्था नहीं है।
5. पक्की दुकानें नहीं हैं, कभी भी हटा दिए जाते हैं। इस कारण कारोबार प्रभावित होता है।
हमारी भी सुनें
हमारी दुकान काफी पुरानी है, वर्षों से यहां फूल बेच रहे हैं। सरकार हमारे लिए स्थायी वेंडर जोन बनवाकर दे तो राहत मिले। -विक्की
पूरे बाजार में शौचालय की व्यवस्था नहीं है, खरीदारों के वाहन खड़े करने को पार्किंग व्यवस्था नहीं है। ऐसे में जाम की स्थिति बन जाती है।-भजन लाल यह बाजार वर्षों पुराना है, यहीं से परिवार के लिए रोजी रोटी चलाते हैं। कई बार पालिका वाले दुकानों को हटवा देते हैं। -महेंद्र कुमार
मैं 20 साल से यहां फूल बेचने का काम करता हूं। कभी दुकानों को नगर पालिका हटवा देती है। फूल बेचने वाले परिवार कैसे पालें। -रूप किशोर
फूल विक्रेताओं के पास अपनी दुकानें नहीं हैं। सड़क किनारे फूल बेचते हैं। बारिश और धूप में मुश्किल होती है। -विवेक कुमार
फूल बेचने वालों के लिए पक्की दुकान की व्यवस्था हो। सरकारी लोन मिलने की प्रक्रिया को आसान किया जाना चाहिए। -संजू
नगर का पहला बाजार है। अब तो चारों तरफ फूल बेचने वालों की दुकानें लग गई हैं। जाम के चलते बाजार का कारोबार प्रभावित हुआ है। -सूरज
पुश्तैनी काम है। करीब 30 साल से इसी मार्केट में फूल का कारोबार कर रहे हैं। पिछले कुछ समय से काम में मंदा चल रहा है। -सोनू
मार्केट में दस रुपये से लेकर 100 रुपये तक स्टिक मिलती है। शादियों पर ही काम मिलता है। सस्ती दरों पर ऋण मिलना चाहिए। -कल्लू सिंह
गुलाब, रजनीगंधा समेत 15 तरह के फूल मिलते हैं। जो दिल्ली से मंगाए जाते हैं। प्रशासन मदद करें तो कारोबार बढ़ेगा। -अनुज कुमाऱ
अब तो चारों तरफ फूल बेचने वालों की दुकानें लग गई हैं। जाम के चलते बाजार में कारोबार प्रभावित हुआ है। जाम की समस्या दूर हो। -ऋषि
हमारी दुकानें स्थायी हो जाएं तो बहुत अच्छा होगा। भविष्य की चिंता कम हो जाएगी। कारोबार करने में दिक्कत नहीं हो सकेगी। -कपिल कुमार
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