पंचायत भवन अब ग्राम सचिवालय कहलाएंगे, ओपी राजभर के विभाग की सीएम योगी ने की समीक्षा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को ओपी राजभर के पंचायती राज विभाग की समीक्षा की। इस दौरान ग्राम पंचायतें के कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ावा देने का निर्देश दिया। बड़ा फैसला लेते हुए पंचायत भवनों को अब ग्राम सचिवालय के नाम से संबोधित करने की भी घोषणा की।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को सुभासपा प्रमुख और कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर के पंचायती राज विभाग की समीक्षा की। बैठक में ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें और अधिक प्रभावी बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ग्राम सचिवालय की अवधारणा को नीति आयोग ने एक मॉडल के रूप में स्वीकार किया है। अतः प्रदेश के सभी पंचायत भवनों को अब ग्राम सचिवालय के नाम से संबोधित किया जाए। यह पंचायतीराज व्यवस्था को नई पहचान देने वाला परिवर्तन है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों के कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ावा दें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम पंचायतों की आत्मनिर्भरता ही प्रदेश के सतत विकास का आधार बनेगी। इसके लिए ग्राम स्तर पर कार्यरत सभी व्यवस्थाओं को सशक्त, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाना आवश्यक है। सरकार इसी दिशा में मिशन मोड में कार्य कर रही है।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की 57,695 ग्राम पंचायतों में ग्राम सचिवालय की स्थापना हो चुकी है, जो लोकतंत्र की अवधारणा को धरातल पर साकार करने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। उन्होंने निर्देश दिए कि इन सचिवालयों में स्थापित कंप्यूटरों के माध्यम से पंचायत गेटवे पोर्टल से जुड़ी समस्त धनराशियों का भुगतान हो, जिससे पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित हो।
डिजिटल पहलों की सराहना की
मुख्यमंत्री ने राज्य स्तरीय कॉल सेंटर, ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली, 10-सीटर कॉल सेंटर की स्थापना, ग्राम सचिवालय की जियोफेंसिंग और इंटरनेट कॉलिंग जैसी डिजिटल पहलों की सराहना करते हुए निर्देश दिए कि ग्राम सहायकों को 15 दिवसीय कंप्यूटर प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से दिया जाए। साथ ही ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों एवं जिला पंचायतों के कार्यों की निगरानी के लिए इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का अधिकतम उपयोग हो।
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और ग्राम संस्कृति का संवर्धन
मुख्यमंत्री ने अमृत सरोवरों के रखरखाव, वृक्षारोपण और सार्वजनिक कार्यक्रमों के आयोजन में ग्राम पंचायतों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि दौरान ड्रेनेज का पानी अमृत सरोवर या अन्य तालाबों में न पहुंचे। इसके लिए गांव के बाहर उचित निकासी की व्यवस्था की सुनिश्चित की जाए। तालाबों के पट्टे आवंटित करने की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से संपन्न की जाए और तालाबों को 3 से 5 वर्षों के लिए पट्टे पर दिया जाए और उससे प्राप्त राजस्व का उपयोग ग्राम विकास में किया जाए। उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि तालाब आवंटन, रखरखाव और उनके उपयोग के लिए पंचायती राज विभाग, राजस्व विभाग और मत्स्य विभाग को समन्वित कार्य योजना एक निश्चित बनाएं।
समय पर हो तालाबों की डिसिल्टिंग
मुख्यमंत्री ने कहा कि तालाब केवल जल स्रोत नहीं, बल्कि ग्राम्य संस्कृति के वाहक हैं। उनकी डिसिल्टिंग समय रहते कर ली जाए। रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था ग्राम सचिवालय, आंगनबाड़ी केंद्रों व प्राथमिक विद्यालयों में अनिवार्य रूप से हो।
ग्रामीण स्वच्छता को प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण स्वच्छता को प्राथमिकता देते हुए कहा कि सामुदायिक शौचालयों की नियमित सफाई और देखरेख सुनिश्चित हो तथा संबंधित कर्मचारियों को समय पर मानदेय दिया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 96,171 राजस्व ग्रामों में से 90,891 ग्राम ओडीएफ प्लस घोषित हो चुके हैं। शेष ग्रामों को शीघ्रता से इस स्थिति में लाया जाए। मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक के पूर्ण प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने तथा प्लास्टिक प्रबंधन इकाइयों के समयबद्ध निर्माण के निर्देश दिए।
इस संबंध में अधिकारियों ने उन्हें अवगत कराया कि 150 प्रस्तावित इकाइयों में से 89 पूर्ण हो चुकी हैं, जबकि 33 निर्माणाधीन हैं, जिन्हें समयबद्ध ढंग से पूर्ण कराया जा रहा है। उन्होंने गोबरधन योजना की प्रगति की जानकारी ली और अधिकारियों ने उन्हें अवगत कराया कि 75 जनपदों में से 73 में 115 गोबरधन प्लांट बनकर तैयार हो चुके हैं, जबकि शेष 2 जनपदों में 2 इकाइयां निर्माणाधीन हैं, जिन्हें शीघ्र पूर्ण कर लिया जाएगा।
गांवों में जीवन की सहजता बढ़ाने के लिए समेकित योजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार स्मार्ट विलेज की अवधारणा को प्राथमिकता दे रही है। इसके अंतर्गत ग्राम सचिवालय, कॉमन सर्विस सेंटर, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानें, उत्सव भवन, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, सीसीटीवी कैमरे और सोलर स्ट्रीट लाइट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे ग्रामीणजन के ईज ऑफ लिविंग में व्यापक सुधार आया है।
अंत्येष्टि स्थल उपयुक्त स्थान पर बनाएं जाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना लोगों को अपनी जड़ों से जुड़ने का एक अवसर प्रदान कर रही है, इस योजना के माध्यम से लोग विकास कार्यों में कुछ धनराशि व्यय कर प्रदेश के विकास में सहभागी बन रहे हैं। इस क्षेत्र में अच्छा कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि अंत्येष्टि स्थल उपयुक्त स्थल पर बनाएं जाएं ताकि अधिक से अधिक ग्रामजन के उपयोग में यह स्थल आ सकें।