बोले उरई: परचूनिए भी बेच रहे दवा.. इन पर रोक लगाइए
Orai News - उरई के मेडिकल स्टोर संचालक कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। जनरल स्टोरों पर बिना लाइसेंस दवाएं बेची जा रही हैं, जबकि मेडिकल स्टोरों की बिक्री प्रभावित हो रही है। ऑनलाइन दवा खरीदारी और जाम की समस्या ने...
उरई। दवा देकर दूसरों का दर्द तो दूर कर रहे पर हमारे दर्द की दवा किसी के पास नहीं है। शहर के मेडिकल स्टोर संचालक कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। यहां मेडिकल स्टोर से कम और जनरल स्टोर पर ज्यादा दवाएं बिक रही हैं। शायद ही कोई ऐसा जनरल स्टोर या परचून की दुकान हो जहां दवाएं न मिलती हों, एक्सपायर दवाएं कम दाम में वापस होती हैं। मेडिकल स्टोरों के आसपास सफाई न होने से कूड़ा पडा़ रहता है। इसके अलावा जाम से हमारी बिक्री प्रभावित होती है। शिकायतों के बाद भी हमारी समस्याओं पर विचार नहीं किया गया। मेडिकल स्टोर संचालकों की समस्याएं तो बहुत हैं पर इन्हें सुनने वाला कोई नहीं। ऐसे में व्यापार प्रभावित हो रहा है। अब तो घर चलाना तक कठिन लगने लगा है। शहर में 250 मेडिकल स्टोर चल रहेहैं, इसके बावजूद गली- मोहल्लों में परचूनों की दुकानों पर जमकर दवाओं की बिक्री हो रही है। इनके पास न तो लाइसेंस हैं और न ही प्रशिक्षित लोग, इसके बावजूद धड़ल्ले से कारोबार जारी है। मेडिकल स्टोर संचालकों ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से अपनी समस्याओं पर चर्चा की। शहर के शहीद भगत सिंह चौराहे पर स्थित मेडिकल स्टोर संचालक राहुल दुबे ने बताया कि जिले में लगभग 400 दवा की फुटकर दुकानें हैं। इसमें मुख्यालय उरई में ही 250 मेडिकल स्टोर संचालित हो रहे हैं। इन फुटकर दवा विक्रेताओं को सबसे ज्यादा प्रभावित गली-मोहल्लों में जनरल स्टोर और परचून की दुकानों पर बिक रही दवाएं कर रही हैं। विवेक गुप्ता बताते हैं कि ऑनलाइन दवा की खरीदारी से भी कारोबार पर असर पड़ रहा है। परचून की दुकानों पर बिना लाइसेंस के दवाओं की बिक्री हो रही है। मेडिकल स्टोर संचालक रामकुमार गुप्ता ने बताया कि 60 से 70 प्रतिशत तक डिस्काउंट देकर ब्रांडेड कंपनियों की अच्छी दवा की जगह बगैर गुणवत्ता वाली दवाएं बेचने से व्यापार चौपट हो रहा है। ऐसे में दवा की क्वालिटी गिर रही है तो वहीं मरीजों को भी गुणवत्ता युक्त दवाएं नहीं मिल रही हैं। मेडिकल स्टोर संचालक रवेंद्र कुमार ने कहा कि गली-मोहल्लों में बिना डिग्री वाले डॉक्टर बन कर परचून की दुकानों से मरीजों का इलाज कर रहे लोगों पर भी प्रशासनिक अधिकारियों को सख्ती कर तत्काल लगाम लगानी चाहिए।
कंपनियों के एकाधिकार पर लगे रोक
दवा इंडस्ट्री की प्रमुख समस्याओं को उठाते हुए मेडिकल स्टोर संचालक ने कुछ बड़ी और प्रमुख कंपनियों के एकाधिकार पर रोक लगाने की मांग की। कहा कि कंपनियों के बड़े-बड़े पैकेज और फॉरेन टूर डॉक्टरों को कुछ प्रमुख दवाएं लिखने के लिए मजबूर करते हैं। फिर यही कंपनियां उन दवाओं को एक-दो कारोबारियों और डॉक्टरों के माध्यम से उपलब्ध करवाती हैं। एकाधिकार के चलते अधिकांश मेडिकल स्टोर को वह दवाएं मिलती ही नहीं हैं। इसका असर व्यवसाय पर पड़ता है।
मेडिकल स्टोर पर डॉक्टर के बैठने पर लगाई जाए पाबंदी
दवा विक्रेता राजा ने कहा कि कुछ मेडिकल स्टोर के काउंटर पर डॉक्टर बैठने लगे हैं। ऐसे में मरीज को समझ नहीं आता कि वह क्लीनिक पर खड़ा है या मेडिकल स्टोर पर। कई रिटेलर अपनी मनमानी से मेडिकल स्टोर पर डॉक्टर को बैठा रहे हैं जहां से सेटिंग कर दवाएं बेची जा रही हैं। आलम यह है कि अगर डॉक्टर ने दवा लिख दी तो वह दवा पूरे शहर की परिक्रमा करने के बाद कहीं नहीं मिलेगी और घूम कर उसी मेडिकल स्टोर पर आना पड़ेगा। ऐसे में मरीजों से मनमाने पैसे दवा के नाम पर वसूले जा रहे हैं। ऐसे मेडिकल स्टोर पर डॉक्टरों के बैठने पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए।
जाम की समस्या से दिलाई जाए राहत
फुटकर दवा विक्रेताओ का सबसे बड़ा हब जिला अस्पताल गेट के बाहर है। यहां आस-पास एक दर्जन से अधिक मेडिकल स्टोर संचालित हैं। लेकिन मुख्य मार्ग पर सुबह से शाम तक दिन भर जाम की समस्या के कारण इसका असर दवा व्यापार पर भी पड़ रहा है। जिला प्रशासन जाम की समस्या से निजात दिलाए तो व्यापार करने में हो रही परेशानी काफी हद तक कम हो जाए।
लाइसेंस रिन्यूअल में पोर्टल बन रहा बाधा
फुटकर दवा विक्रेता पंकज का कहना है कि लाइसेंस रिन्यूअल की समस्या से हम लोगों को जूझना होना पड़ रहा है। इसमें सबसे ज्यादा समस्या पोर्टल की सुस्त रफ्तार के कारण हो रही है। पुराने पोर्टल से पेपर लिंक नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में दोबारा से नई प्रक्रिया से भी हम दवा विक्रेताओं को जूझना पड़ता है। जिससे व्यापार काफी हद तक प्रभावित होता है। संचालकों ने कहा कैंसर, टीवी और जीवन रक्षक दवाओं पर पांच प्रतिशत, अन्य दवाओं पर 12 प्रतिशत एवं खाद्य के दायरे में आने वाली दवाओं पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जा रहा है।
बोले मेडिकल स्टोर संचालक
शहर में गली मोहल्लों में संचालित मेडिकल स्टोर पर बिक रही अवैध दवाओं के कारोबार पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। जिससे हमारा कारोबार बढ़ सके।
- गौरव ददरया
मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस रिन्यूअल में आ रही समस्या का निस्तारण जल्द किया जाए, जिससे दवा व्यापार में में आ रही परेशानियों से निजात मिले।
- अवधेश निगम
लाइसेंस रिन्यूअल में पोर्टल की आ रही समस्या दूर की जाए तो काफी हद तक राहत मिलेगी, साथ ही जनरल स्टोर में बिक रही दवाओं की बिक्री पर रोक लगाई जाए।
- कमलेश
शहर के मुख्य मार्ग पर मेडिकल स्टोरों के सामने दिन भर लगने वाले जाम की समस्या से जिला प्रशासन निजात दिलाए तो व्यापार में परेशानी नहीं होगी।
- पूरनलाल
ऑनलाइन दवा की बिक्री होने से मेडिकल स्टोर संचालकों के सामने समस्या खड़ी हो गई है, इस पर सख्ती से रोक लगाई जाए, जिससे लोग डायरेक्ट मेडिकल स्टोर से दवा की खरीदें।
- रामकुमार गुप्ता
शहर में गली मोहल्लों में जनरल स्टोर और परचून की दुकानों पर पर बिक रही दवाओं को लेकर स्वास्थ्य विभाग इन पर छापेमारी कर सख्त कार्रवाई कर चेतावनी दे।
- रवेंद्र कुमार दीक्षित
शहर में चोरी छिपे नारकोटिक्स का काम कर रहे मेडिकल स्टोर संचालकों पर छापेमारी कर सख्त कार्रवाई के साथ जुर्माना लगाया जाए।
- प्रदीप गुप्ता
डॉक्टरों को मेडिकल स्टोर के काउंटर पर बैठाकर मनमानी कर रहे मेडिकल स्टोर संचालकों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
- महेंद्र राजपूत
70फीसदी तक डिस्काउंट देने वाले मेडिकल स्टोर दवाओं की गुणवत्ता से खिलवाड़ कर रहे हैं। जिसका असर दवा व्यापार पर पड़ रहा है।
- विवेक मिश्रा
शहर में चोरी छिपे नारकोटिक्स का अवैध कारोबार करने वाले मेडिकल स्टोर संचालकों के खिलाफ औषधि विभाग सख्त कार्रवाई करे।
- भगत सिंह निरंजन
सुझाव
1. मेडिकल स्टोर पर डॉक्टरों के बैठने पर स्वास्थ्य विभाग सख्ती से पाबंदी लगाए।
2. ज्यादा डिस्काउंट वाले बगैर गुणवत्ता दवा बेच रहे स्टोरों पर लगाम लगनी चाहिए।
3. जनरल स्टोर और परचून की दुकानों पर अवैध रूप से बिक रही दवाओं पर रोग लगाई जाए।
4. मुख्य मार्ग पर जाम की समस्या से निजात दिलाई जाए।
5. लाइसेंस रिन्यूअल में आ रही समस्याओं का जल्द समाधान किया जाए।
6. ऑनलाइन दवा की जगह मेडिकल स्टोर पर आकर मरीज अच्छी गुणवत्ता युक्त दवा खरीदें।
7. एकाधिकार वाली दवाओं की बिक्री को रोकने को विशेष रूप से प्रयास किए जाएं।
शिकायतें
1. ऑनलाइन दवा बिक्री से फुटकर दवा विक्रेताओं को व्यापार में परेशानी हो रही है।
2. गली-मोहल्लों में जनरल स्टोर और परचून की दुकानों में बिक रही दवाओं से कारोबार प्रभावित हो रहा है।
3. हैवी डिस्काउंट देने वाले मेडिकल स्टोर भी फुटकर दवा व्यापार को प्रभावित कर रहे हैं।
4. मेडिकल स्टोर पर डॉक्टरों को बैठाने वालों पर सख्ती बरती जाए।
5. लाइसेंस रिन्यूअल की समस्या से फुटकर दवा विक्रेताओं को जूझना पड़ रहा है।
6. मुख्य मार्ग पर दिन भर लगने वाले जाम की समस्या से दवा विक्रेता जूझ रहे हैं।
7. सभी तरह की दवाओं पर अलग-अलग टैक्स लगने से परेशानी बढ़ गई है।
बोले जिम्मेदार
बगैर लाइसेंस जनरल स्टोर या अन्य जगह से दवा बेचने वालों पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है। अगर शहर में कही पर भी जनरल स्टोर और परचून की दुकान पर दवा बिक्री की सूचना मिलता है तो कार्रवाई की जाएगी।
- देवयानी दुबे, ड्रग इंस्पेक्टर
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