अब मिल्कीपुर पर टिकीं निगाहें, मैदान में बसपा के न होने का किसे मिलेगा फायदा?
- बसपा सुप्रीमो मायावती ने विधानसभा की 9 सीटों का चुनाव परिणाम आने के बाद एलान किया है कि अब वह उपचुनाव नहीं लड़ेगी। इसीलिए मिल्कीपुर विधानसभा सीट से बसपा ने उम्मीदवार नहीं दिया है। वर्ष 2007 में आनंद सेन ने बसपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद के चुनाव में बसपा दूसरे और तीसरे नंबर पर रही है।
Milkipur Vidhan Sabha by election: यूपी की सियासत में अब मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर देशभर की निगाह लगी हुई है। बसपा का इस सीट पर प्रदर्शन बेहतर रहा है। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में वह यह सीट जीत भी चुकी है, लेकिन विधानसभा उपचुनाव में उसने उम्मीदवार न उतारने का फैसला किया है। बसपा के वाकओवर से दलित वोटों के बंटवारे में किसके हिस्से कितना वोट जाता है, यह देखने वाला होगा, लेकिन यह तय है कि दलित वोट ही यहां बेड़ा पार लगाएगा।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने विधानसभा की नौ सीटों का चुनाव परिणाम आने के बाद एलान किया है कि अब वह उपचुनाव नहीं लड़ेगी। इसीलिए मिल्कीपुर विधानसभा सीट से बसपा ने उम्मीदवार नहीं दिया है। वर्ष 2007 में आनंद सेन ने बसपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद के चुनाव में बसपा दूसरे व तीसरे नंबर पर रही है।
वर्ष 2022 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो बसपा को 40 हजार के आसपास वोट पाती रही है। वर्ष 2022 में चुनाव में बसपा को 14427 वोट मिले थे। वर्ष 2017 में 46027 व वर्ष 2012 में बसपा को 39566 मत मिले थे। यह आंकड़ा बताता है कि बसपा के उपचुनाव न लड़ने से उसे मिलने वाला मत भाजपा या सपा जिसके साथ जाएगा जीत का सेहरा उसके सिर बंधेगा।
ये है जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की बात करें तो मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर 1.25 लाख दलित मतदाता हैं। इसमें पासी 55 हजार के आसपास बताए जाते हैं। मुस्लिम 30 हजार, यादव 55 हजार, ब्राह्मण 60 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, वैश्य 20 हजार, कोरी 20 हजार, चौरसिया मतदाता 18 हजार के आसपास बताए जा रहे हैं।
- वर्ष 2022 मीरा देवी 14427 मत तीसरे स्थान
- वर्ष 2017 रामगोपाल कोरी 46027 मत तीसरे स्थान
- वर्ष 2012 में पवन कुमार 39566 मत दूसरे स्थान