Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Mahamuni Temple Myanmar collapsed earthquake from where the huge bell of Bhimsen Kasganj came

भूकंप में ढह गया म्यांमार का वह महामुनि टेम्पल, जहां से आया था यूपी के भीमसेन का विशाल घंटा

  • 28 मार्च को म्यांमार में आए भूकंप से सबकुछ तहस-नहस हो गया। सैकड़ो लोगों की जान चली गई। भूकंप का प्रकोप म्यांमार में मौजूद महामुनि टेम्पल पर भी पड़ा। वह भी क्षतिग्रस्त हो गया।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, कागसंजSat, 29 March 2025 08:38 PM
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भूकंप में ढह गया म्यांमार का वह महामुनि टेम्पल, जहां से आया था यूपी के भीमसेन का विशाल घंटा

28 मार्च को म्यांमार में आए भूकंप से सबकुछ तहस-नहस हो गया। सैकड़ो लोगों की जान चली गई। भूकंप का प्रकोप म्यांमार में मौजूद महामुनि टेम्पल पर भी पड़ा। वह भी क्षतिग्रस्त हो गया। ये वही टेम्प है, जहां से एंगलो वर्मी युद्ध के दौरान भारी बजनी घंटा लाकर यूपी के कासगंज लाया गया था। युद्ध में जीत होने के बाद ब्रिटिश आर्मी की ओर से लड़ने गए कासगंज के बहादुर भीमसैन घंटा को लेकर यहां आए थे। अब म्यांमार में आए भीषण भूकंप में म्यांमार का वह महामुनि पैगोड़ा (महामुनि टेम्पल) भी ढह गया है। मंदिर के ढहने के बाद की तस्वीरें सोशल नेटवर्किंग पर दिखाई देने से नदरई में रखे करीब 84 मन बजन के घंटे की यादें भी ताजा हो गई हैं।

कासगंज के गांव नदरई में मंदिर में पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बहादुर बाबा भीमसेन द्वारा युद्ध में जीत के बाद इनाम के रूप में मिले प्राचीन घंटे के इतिहास की बात होती हैं तो म्यांमार का वह महामुनि पैगोड़ा (महामुनि टेम्पल) का नाम जुड़ता है। अब आए भीषण भूकंप से म्यांमार का वह महामुनि पैगोड़ा भी ढहने की जानकारी सामने आ गई। इतिहासकार कहते हैं कि, एंगलो वर्मी युद्ध के पहले तक यह भारी घंटा महामुनि टेम्पल पर जब बजाया जाता था, तब म्यांमार पर कोई संकट आता था और इस घंटे को सतर्क होने का सूचक मान जाता था।

कर्नल गार्डनर की निजी आर्मी में रिसालदार थे भीमसैन

कासगंज। कासगंज से सटे गांव छावनी में ब्रिटिश हकूमत के दौरान कर्नल लिनियस गार्डनर की निजी आर्मी में नदरई गांव के रहने वाले बहादुर लड़ाके के रूप में भीमसैन रिसालदार थे। जिन्हें एंगलो वर्मी युद्ध में गार्डनर द्वारा युद्ध के लिए भेजा गया था। युद्ध को जीतने के बाद भीमसैन ने इनाम के रूप में म्यांमार के महामुनि पैगोड़ा मंदिर पर लगा यह प्राचीन घंटा मांगा था। जिसे खुश होकर उन्हें दे दिया गया था। इसे भीमसैन ने युद्ध जीतने की निशानी के रूप में लाकर गांव नदरई के अपने प्राचीन मंदिर में रख दिया था। तब से यह प्राचीन घंटा मंदिर की पहचान बढ़ाते हुए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

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