गले में नरमुंड, शरीर पर चिता भस्म और पिशाचों का तांडव, महाकुंभ में पहुंची महानिर्वाणी अखाड़े की पेशवाई
- महाकुंभ में गुरुवार को महानिर्वाणी अखाड़े की पेशवाई पहुंची। गले में नरमुंड, पूरे शरीर में चिता भस्म लपेटे नागा संतों ने सिर घुमाकर जब अपनी जटाओं को हवा में लहराया तो यह दृश्य देख लोग अचंभित हो उठे। मुख से मशाल में आग लगा और तांडव का नजारे ने लोगों को आकर्षित किया।
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महानिर्वाणी अखाड़ा भी गुरुवार को महाकुम्भ मेला क्षेत्र में प्रवेश कर गया। यूं तो महाकुम्भ क्षेत्र में प्रवेश करने वाला यह पांचवां अखाड़ा है पर गुरुवार को निकली इसकी पेशवाई में नागा संन्यासियों के करतब का जैसा नजारा देखने को मिला वैसा अब तक किसी अखाड़े की पेशवाई में नहीं दिखा। गले में नरमुंड, पूरे शरीर में चिता भस्म लपेटे नागा संतों ने सिर घुमाकर जब अपनी जटाओं को हवा में लहराया तो यह दृश्य देख लोग अचंभित हो उठे। मुख से मशाल में आग लगा और तांडव का नजारे ने लोगों को आकर्षित किया। नागा संतों का इस तरह का करतब पूरी पेशवाई के दौरान चलता रहा।
अभी तक जूना, अग्नि, आहवान, अटल और महानिर्वाणी अखाड़ा पहुंच चुका है। अभी चार जनवरी को पंचायती अखाड़ा निरंजनी, 6 को तपोनिधि आनंद अखाड़ा, 8 को निर्मोही अनि, दिगंबर अनि, निर्वाणी अनि, 10 को श्रीपंचायती अखाड़ा नया उदासीन, 11 को श्रीपंचायती अखाड़ा निर्मल, 12 को श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन आएंगे।
13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर पहले स्नान के साथ ही महाकुंभ का शुभारंभ हो जाएगा। इसके बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति का अमृत स्नान होगा। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या, 3 फरवरी को बसंत पंचमी, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का स्नान होगा।
13 अखाड़ों में से जिन चार अखाड़ों का मुख्यालय प्रयागराज में है, महानिर्वाणी उन्ही में से एक है। इसकी पेशवाई बाघम्बरी गद्दी के पास स्थित महानिर्वाणी वाटिका से निकली। सुबह जब सजधज कर अखाड़े के संत वाटिका से बाहर निकले तो सड़क के दोनों ओर खड़े श्रद्धालुओं का हुजूम उनकी चरण रज पाने के लिए आतुर दिखा। लोगों ने चरण रज को माथे से लगाया।
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अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती की अगुवाई में संतों की सवारी बक्शी बांध की ओर बढ़ी तो नजारा अद्भुत और अलौकिक हो गया। महिला महामंडलेश्वर समेत अखाड़े के लगभग 50 महामंडलेश्वर इसमें शामिल हुए। दो हाथी, ऊंट और घोड़े भी पेशवाई की शोभा बढ़ा रहे थे।
प्रसाद में दी गईं टॉफियां
पेशवाई के दौरान संत प्रसाद भी वितरित करते हैं। महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से प्रसाद स्वरूप टॉफी दी गई। रथ से संतों द्वारा फेंकी जा रही टॉफियों को श्रद्धालु पूरे भक्तिभाव से उठा रहे थे। महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत यमुनापुरी ने पूरे रास्ते पैदल चलकर पेशवाई का प्रबंधन देखा।
एक किलोमीटर का था संतों का काफिला
पेशवाई में कितने साधु संत थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका पहला सिरा बक्शी कला के रास्ते दारागंज निराला मार्ग पर मुड़ रहा था तो दूसरा सिरा एक किलोमीटर पहले बाघम्बरी मठ के पास था।