महाकुंभ में मशहूर रबड़ी वाले बाबा, कहां से आया यह ख्याल; बताया क्या है लक्ष्य
- Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 में तमाम संत-महात्मा पहुंचे हुए हैं। सभी लोग अपने-अपने ढंग से श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। इनमें से ही एक हैं नरेंद्र देव गिरी। नरेंद्र देव गिरी मेले में रबड़ी बाबा के नाम से मशहूर हैं।
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 में तमाम संत-महात्मा पहुंचे हुए हैं। सभी लोग अपने-अपने ढंग से श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। इनमें से ही एक हैं नरेंद्र देव गिरी। नरेंद्र देव गिरी मेले में रबड़ी बाबा के नाम से मशहूर हैं। वह नौ दिसंबर से महाकुंभ क्षेत्र में पहुंचे हुए हैं। उन्होंने बताया कि अल्लापुर बाघंबरी से उन्होंने रबड़ी बांटने का काम शुरू किया था, जो छह फरवरी तक चलेगा।
नरेंद्र देव गिरी, श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के श्रीमहंत हैं। उन्होंने बताया कि हर दिन हजारों लोग रबड़ी की सेवन करते हैं। रबड़ी बनाने के लिए हर रोज सुबह करीब आठ बजे कड़ाही चढ़ जाती है। कड़ाही चढ़ाने से पहले ईष्टदेव की पूजा की जाती है। सबसे पहले रबड़ी बनाने का ख्याल कहां से आया? इस सवाल के जवाब में नरेंद्र देव गिरी बताते हैं कि साल 2019 में यह विचार आया। उस साल कुंभ मेले में लोगों को खूब रबड़ी खिलाई। लोगों के जीवन में मिठास घोली। लोगों का आशीर्वाद है कि पहले नागा बाबा थे अब अखाड़े में श्रीमंत हैं। अखाड़े में पद भी बढ़ा। उन्होंने बताया कि श्रीमहंत अखाड़े का सबसे बड़ा पद होता है।
नरेंद्र देव गिरी बताते हैं कि रबड़ी बनाने के बाद सबसे पहले भगवान कपिलमुनि को इसका भोग लगाया जाता है। इसके बाद 33 कोटि देवी-देवताओं को यह रबड़ी चढ़ाई जाती है। उन्होंने कहाकि यह काम पब्लिसिटी के लिए नहीं किया जा रहा है। लोगों को खिला रहे हैं यह खुशी की बात है। लेकिन इसके पीछे प्रचार पाने का कोई मकसद नहीं है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या लोग भी इसके लिए दूध वगैरह भेजते हैं। इस पर नरेंद्र देव गिरी जी ने बताया कि यह हमारा अपना कर्म है। इसमें किसी का कोई सहयोग नहीं है। यह स्वयं के बल पर हो रहा है। मां भगवती, मां काली, आदिशक्ति इसको चला रही हैं। कोई खुद से दे दे तो अलग बात है। लेकिन न किसी से मांगना है और न ही चंदा करना है। यह सिर्फ सेवा भाव से किया जा रहा है।