भद्रा से राखी बंधवाने को करना पड़ा इंतजार, डेढ बजे बाद मना रक्षाबंधन
पवित्र सावन मास के पूर्णिमा दिन सोमवार को रक्षाबन्धन व श्रावणी उपाकर्म जिले भर में मनाया गया। भद्रा होने के कारण भाइयों को राखी बंधवाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। दोपहर बाद शुभ मुहूर्त में बहनों ने...
पडरौना, निज संवाददाता। पवित्र सावन मास के पूर्णिमा दिन सोमवार को रक्षाबन्धन व श्रावणी उपाकर्म जिले भर में मनाया गया। दोपहर डेढ़ बजे तक भद्रा होने के कारण भाइयों को राखी बंधवाने के लिए भूखे पेट लंबा इंतजार करना पड़ा। इसके कारण दोपहर बाद रक्षाबंधन का पर्व शुभ मुहूर्त में मनाया गया। बहनों ने भाइयों के कलाई पर राखी बांध कर लंबी उम्र की कामना की तो भाइयों ने बहनों को उपहार आदि भेंट कर आजीवन सुरक्षा का भरोसा दिया।
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा 19 अगस्त दिन सोमवार को रात्रि 12.28 बजे तक रहा है। रविवार की रात 2.21 बजे से सोमवार को दिन 1.25 बजे तक भद्रा रहा। अतः भद्रा में रक्षांबधन का पुनीत पर्व नहीं मनाया जायेगा, क्यों कि भद्रा काल में रक्षाबन्धन का पुनीत पर्व वर्जित है। जैसे …भद्रायाम् द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा भद्रा में श्रावणी (उपाकर्म रक्षाबन्धन) व होलिका दहन नहीं होता, चाहे वह कहीं की भी भद्रा हो। अतः सोमवार की दोपहर 1.25 बजे के बाद रक्षाबन्धन का पुनीत पर्व शुभ मुहूर्त में मनाया गया। बहनों ने भाई को रक्षा बांधते समय भगवान श्री गणेश के साथ कुल देवी-देवताओं का ध्यान कर उनसे मंगल की कामना की प्रार्थना की। श्रावणी ( रक्षाबंधन ) का त्योहार सनातन धर्मियों के लिए वर्ष का प्रथम त्योहार है। इस दिन कुल पुरोहित अपने यजमान को तथा बहनें अपने भाई को रक्षा बांध व तिलक लगाकर चिरंजीवी व सर्वत्र विजयी होने की कामना की। बहनों ने भाईयों के लंबी उम्र की कामना की तथा मुंह मीठा कराया, तो भाइयों ने बहनों को उपहार आदि भेंट कर आजीवन सुरक्षा का भरोसा दिया।
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