जलकुंभी से बनाए इको फ्रेंडली उत्पाद, नामी कंपनियों के प्रोडक्ट को दे रहे टक्कर
- यूपी के बरेली में भैरपुरा खुजरिया गांव की महिलाएं समूह बनाकर जलकुंभी से बास्केट, शोपीस, लैंपशेड, योगा मेट, पर्स और टेबल कवर जैसी खूबसूरत चीजें बना रही हैं जिनकी मांग बढ़ रही है।
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नदी-तालाब की दुश्मन कही जाने वाली जलकुंभी के उत्पाद बनाकर बरेली के भैरपुरा खजुरिया गांव की नारी शक्ति महिला स्वयं सहायता समूह ने सबको चौंका दिया है। बेकार माने जाने वाले जलकुंभी से उनके बनाए बास्केट, शोपीस, लैंपशेड, योगा मैट, पर्स और टेबल कवर जैसी शानदार चीजें किसी भी नामी कंपनी के उत्पाद को टक्कर दे रही हैं। इन इको फ्रेंडली उत्पादों की उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में मांग है। स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं 140 महिलाओं के लिए जलकुंभी आमदनी का साधन बन गया है।
एनआरएलएम और भोजीपुरा क्षेत्र पंचायत ने नारी शक्ति महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्यों को जलकुंभी के उत्पाद तैयार करने की ट्रेनिंग दिलवाई। असम से मास्टर ट्रेनर बुलाए गए। करीब तीन महीने तक महिलाओं को जलकुंभी को तालाब से निकालने से लेकर उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया। धीरे-धीरे महिला समूह के बने उत्पादों की मांग बढ़ती चली गई। इको फ्रेंडली योगा मैट, पर्स और टेबल कवर समेत तमाम शोपीस को खूब सराहना मिल रही है। बरेली के साथ ही लखनऊ, दिल्ली और उत्तराखंड के कई जिलों में महिला समूह जलकुंभी से बने उत्पाद सप्लाई कर रहा है। समूह की सदस्य मार्केटिंग का जिम्मा भी खुद ही संभाल रहीं हैं। बड़ी-बड़ी प्रदर्शनियों में जलकुंभी के उत्पादों के स्टॉल भी लगा चुकी हैं।
तालाब और नदियों को भी मिल रहा जीवन
तालाब और नदियों को बर्बाद करने में जलकुंभी की अहम भूमिका रहती है। जलकुंभी पैदा होने से पर्यावरण को नुकसान होता है। नदी और तालाबों को जलकुंभी निकलने के बाद नया जीवन मिल रहा है।
यूपी दिवस पर समूह को मिला सम्मान
जलकुंभी से उत्पाद तैयार करने वाले नारी शक्ति समूह की अध्यक्ष फरजाना को पिछले महीने यूपी दिवस पर सम्मानित किया गया। रसायन विज्ञान में एमएससी पास फरजाना समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।