ज्ञानवापी: वुजूखाना सील है, सर्वे पर रोक नहीं, हिन्दू पक्ष की अदालत में दलील
वाराणसी में सिविल जज सीनियर डिविजन (फास्ट ट्रैक) युगल शंभू की अदालत में ज्ञानवापी को लेकर वर्ष 1991 से लंबित वाद में वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बहस की।
वाराणसी में सिविल जज सीनियर डिविजन (फास्ट ट्रैक) युगल शंभू की अदालत में ज्ञानवापी को लेकर वर्ष 1991 से लंबित वाद में वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बहस की। संपूर्ण परिसर के सर्वे की अर्जी पर उन्होंने मुस्लिम पक्ष इंतेजामिया, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की आपत्तियों के विरोध में दलील दी। अदालत ने उन्हें अपना अंतिम पक्ष रखने के लिए 16 अक्तूबर तक का समय दिया है। इस दिन वादमित्र की बहस पूरी हो जाएगी। इसके बाद कोर्ट आदेश सुरक्षित रख सकता है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वुजूखाना को संरक्षित करने का आदेश दिया था। लेकिन सर्वेक्षण या अन्य जांच के लिए कोई रोक-टोक नहीं है। राखी सिंह सहित अन्य के प्रकरण में कोर्ट कमीशन की कार्यवाही में वुजूखाने में शिवलिंग जैसी आकृति सामने आई। सुप्रीम कोर्ट ने वादी पक्ष के प्रार्थना पत्र पर उसे सुरक्षित रखने का आदेश दिया था। क्योंकि मुस्लिम पक्ष इस जगह वुजू करता था। इससे साक्ष्यों से छेड़छाड़ की आशंका थी। प्रशासन ने आदेश के अनुपालन में वहां जाने पर रोक लगा दी। लेकिन यह नहीं कि सीलकर वहां कोई जांच, सर्वेक्षण आदि करने को बाधित किया है। इसका सर्वे होना अतिआवश्यक है।
वादमित्र ने छह बिंदुओं पर दी दलील
वादमित्र ने छह बिन्दुओं पर दलील देते हुए कहा कि अंजुमन का यह तर्क गलत है कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार लोअर कोर्ट का आदेश अब प्रभावी नहीं है। हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के आदेश निरस्त नहीं किया है, सिर्फ यह कहा है कि एएसआई सर्वे की रिपोर्ट इसमें दाखिल किया जाए और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त सर्वे कराया जाए।
राखी सिंह केस में केवल आराजी संख्या 9130 का सर्वे हुआ है। जबकि अन्य आराजी 9131 और 9132 भी मुकदमे से जुड़ी है। इसलिए तीनों आराजी नंबर का सम्पूर्ण सर्वेक्षण एएसआई से करना जरूरी है। अतिरिक्त सर्वे सबंधित अर्जी स्वीकार किए जाने योग्य है।