सुरक्षा की जगह अपनों की जान ले रहे हैं लाइसेंसी असलहे
Gorakhpur News - गोरखपुर में लाइसेंसी असलहे अब परिवार के सदस्यों की जान लेने लगे हैं। पिछले दस साल में 56 हत्या के मामले लाइसेंसी असलहों से हुए हैं। हाल ही में दो घटनाओं में एक रिटायर्ड होमगार्ड ने अपने बेटे को गोली...

गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता। दस दिन के भीतर हुई यह दोनों घटनाएं बानगी मात्र हैं। इस तरह की घटनाओं की एक लम्बी फेहरिस्त है। हाल यह है कि खुद की रक्षा के लिए रखे जाने वाले लाइसेंसी असलहे अब अपनों की जान लेने लगे हैं। बात इतनी ही नहीं है। हत्या और हत्या के प्रयास के पिछले दस साल में 56 मामले इसी तरह के आए हैं जिसमें लाइसेंसी असलहों से इन्हें अंजाम दिया गया है। हालांकि आत्महत्या के आंकड़े इससे अलग है। अगर उन्हें भी जोड़ दें तो यह आंकड़ा 109 तक पहुंच जाता है। लाइसेंसी असलहे से आत्महत्या की दर्जनों घटनाएं हुई हैं चाहे वह गोरखनाथ क्षेत्र में एनआरएचएम से रिटायर्ड डॉक्टर की आत्महत्या हो या फिर कैंट में व्यापारी की दोनों के घर में आज भी मातम है।
केस-1 बड़हलगंज के चौतिसा में तीन मई 2025 की रात में रिटायर्ड होमगार्ड हरि नरायन यादव ने गुस्से में आकर अपने बड़े बेटे अनूप यादव और छोटी बहू सुप्रिया को गोली मार दी। बड़े बेटे की इलाज के दौरान मेडिकल कालेज में मौत हो गई जबकि छोटी बहू इलाज के बाद अपने घर चली गई। अपने ही बेटे की कत्ल में रिटायर्ड होमगार्ड जेल पहुंच गया। पुलिस ने बंदूक जब्त कर लिया। केस-2 12 मई 2025 की शाम को पिपराइच के जंगल पकड़ी गांव में 22 साल के नौजवान सौरभ सिंह ने अपने सीआरपीएफ से रिटायर्ड अपने दादा के लाइसेंसी बंदूक से खुद को गोली मार ली। सीआरपीएफ से रिटायर्ड दादा ने लाइसेंसी बंदूक रखते समय यह सपने में भी नहीं सोचा था कि यह बंदूक एक दिन उनके पौत्र की ही जान ले लेगा। पुलिस ने बंदूक को जब्त कर लिया है। पूर्व में सामने आई प्रमुख घटनाएं -उरुवा में पुराने विवाद को लेकर दो चचेरे भाइयों में कहासुनी हो गई। इसके बाद चचेरे भाई ने अपनी लाइसेंसी बंदूक से भाई को गोली मार दी। आखिरकार वह हो गए जिसके बारे में किसी ने सपने में भी नहीं सोच था। -मकान में हिस्सा न देना पड़े, इसके लिए मोहद्दीपुर में एक अधिवक्ता ने अपने सगे भाई को लाइसेंसी असलहे से गोलियों से भून दिया। भाई के हाथों भाई की हत्या से पूरा शहर सन्न रह गया था। -अम्बेश्वरी अपार्टमेंट में रहने वाले एक व्यापारी ने किसी बात पर गुस्से में आकर खुद को गोली मार ली। कुछ दिन तक इलाज चलने के बाद उसकी मौत हो गई। वह अपने पीछे पत्नी और बच्चों को छोड़ गया। बुजुर्ग समझ रहे हैं यह डर लाइसेंसी असलहे घर में भाई-भाई की जान न ले ले इस बात को बुजुर्ग भी अब बाखुकी समझ रहे हैं। यही वजह है कि एक दर्जन से ज्यादा ऐसे मामले हैं जिसमें बुजुर्गों ने घर की कलह को देखते हुए अपने नाम के असलहों को जमा रखना ही बेहतर समझा है। यही नहीं कुछ ने तो इसे बोझ मानते हुए निजात पाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। एसपी नार्थ जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने कहा, लाइसेंसी असलहों से हत्या और हत्या के प्रयास तथा आत्महत्या के कई वारदात सामने आए हैं। अपराध में इस्तेमाल इस तरह के असलहों को जब्त करने के साथ ही लाइसेंस को भी निरस्त कराया जा रहा है।
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