Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़BSP and ASP support Bharat Bandh Mayawati s party will take to the streets after eight years

भारत बंद को बसपा-सपा और आसपा का समर्थन, आठ साल बाद सड़क पर उतरेगी मायावती की पार्टी

  • एससी-एसटी के आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरोध में बुधवार को भारत बंद का आह्वान किया गया है। यूपी में मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी, अखिलेश की समाजवादी पार्टी और चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी ने समर्थन का ऐलान किया है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानTue, 20 Aug 2024 05:50 PM
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एससी-एसटी के आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरोध में बुधवार को दलित संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया गया है। यूपी में मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी, अखिलेश की समाजवादी पार्टी और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी ने समर्थन का ऐलान किया है। बसपा और आसपा सड़क पर भी उतरेंगी। बसपा आठ साल बाद सड़कों पर उतरने जा रही है। बहुजन समाज पार्टी ने करीब आठ साल पहले वर्ष 2016 में भाजपा नेता दयाशंकर सिंह द्वारा मायावती पर की गई अभद्र टिप्पणी के विरोध में राजधानी में जोरदार प्रदर्शन किया था। इसके बाद किसी भी मुद्दे पर पार्टी सड़क पर नहीं उतरी।

सपा की ओर से कहा गया है कि आरक्षण मुद्दे पर बुलाए गए भारत बंद को समाजवादी पार्टी का भरपूर समर्थन है। समाजवादी पार्टी के पदाधिकारी, कार्यकर्ता,संगठन और नेता भारत बंद में भाग लेंगे। समाजवादी पार्टी आरक्षण मुद्दे पर कल जागरूक भी करेगी। उत्तर प्रदेश के साथ अन्य राज्यों में भी समाजवादी पार्टी भारत बंद में हिस्सा लेगी।

मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं के नाम जारी संदेश में कहा है कि एससी-एसटी के पूर्व की आरक्षण व्यवस्था को बहाल करने के लिए केंद्र सरकार संविधान संशोधन की कार्रवाई करे। इसको लेकर बुधवार को इन वर्गों द्वारा ‘भारत बंद’ का आह्वान किया गया है। इसमें बसपा के लोग बिना कोई हिंसा के शांतिपूर्ण तरीके से शामिल होंगे। बसपा के राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर आकाश आनंद ने कार्यकर्ताओं के नाम अपील जारी करते हुए कहा है कि आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एससी व एसटी समाज में काफी गुस्सा है। 

फैसले के विरोध में हमारे समाज ने भारत बंद का आह्वान किया है। हमारा समाज शांतप्रिय समाज है। हम सबका सहयोग करते हैं। सबके सुख-दुख में हमारा समाज शामिल होता है, लेकिन आज हमारी आजादी पर हमला किया जा रहा है। इसलिए इसका शांतिपूर्ण तरीके से करारा जवाब देना है। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र और प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने भी कार्यकर्ताओं के नाम अपील जारी कर अनुशासित और संवैधानिक तरीके से बड़ी संख्या में भारत बंद में शामिल होने का आह्वान किया है।

दूसरी ओर भीम आर्मी व आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने सोशल मीडया एक्स पर लिखते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमिलेयर लगाने और वर्गीकरण करने का फैसला सुनाया है। यह फैसला संविधान के खिलाफ है। इसीलिए बुधवार को आयोजित भारत बंद में उनके कार्यकर्ता अनुशासन में रहकर भारत बंद में शामिल होंगे और जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन देंगे।

प्रयागराज में डा. अंबेडकर वेलफेयर नेटवर्क (डान) ने भी भारत बंद का समर्थन किया है। डान के संस्थापक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रामबृज गौतम ने बताया कि बुधवार को दोपहर 12 बजे से भारत बंद के आह्वान पर एक दिवसीय प्रयागराज बंद किए जाने के लिए सीएमपी डिग्री कॉलेज से इकट्ठा होकर शांतिपूर्वक लोकतांत्रिक ढंग से सुभाष चौराहे तक जूलूस निकालेंगे और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा जाएगा।

मेरठ में बसपा के केंद्रीय कोऑर्डिनेटर अतर सिंह राव और जिला प्रभारी मोहित पांचली ने बताया कि पार्टी की बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर भारत बंद में शामिल होंगे। पार्टी कार्यकर्ता जिला कार्यालय पर एकत्र होंगे। वहां से पैदल मार्च करते हुए कलक्ट्रेट पहुंचेंगे। आसपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र रछौती ने बताया कि पार्टी ने सभी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं भारत बंद में शामिल होंगे। बहुजन समाज दल (खोड़ावाल) समेत कई संगठनों ने समर्थन की घोषणा की है। वहीं, भारत बंद को सपा ने समर्थन दिया है। कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि इस मुद्दे पर पार्टी हाईकमान के आदेश का इंतजार है। संयुक्त व्यापार संघ के दोनों धड़ों के अध्यक्षों ने कहा है कि भारत बंद की कॉल को लेकर उनसे किसी संस्था या व्यक्ति ने संपर्क नहीं किया है। इसलिए भारत बंद में मेरठ बंद नहीं रहेगा।

कानपुर में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के आरक्षण में वर्गीकरण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दलित संगठनों में विरोध और समर्थन में सुर उठे हैं। 21 अगस्त को भारत बंद के आह्वान पर कुछ संगठनों ने समर्थन कर बंदी का एलान किया है तो कुछ संगठनों ने फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू करने की मांग का ज्ञापन प्रधानमंत्री को भेजा है।

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