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अयोध्या की मिल्कीपुर सीट के लिए भाजपा प्रत्याशी का ऐलान, कौन हैं चंद्रभान पासवान

अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा ने भी मंगलवार को प्रत्याशी का ऐलान कर दिया। भाजपा ने यहां से चंद्रभान पासवान को मैदान में उतारा है। समाजवादी पार्टी पहले ही अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को यहां से प्रत्याशी घोषित कर चुकी है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानTue, 14 Jan 2025 09:28 PM
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अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा ने भी मंगलवार को प्रत्याशी का ऐलान कर दिया। भाजपा ने यहां से चंद्रभान पासवान को मैदान में उतारा है। समाजवादी पार्टी पहले ही अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को यहां से प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। भाजपा और सपा दोनों के लिए मिल्कीपुर सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है। अवधेश प्रसाद की तरह चंद्रभान पासवान पासी समाज से आते हैं। यहां पर 17 जनवरी तक नामांकन होगा। 18 को नामांकन पत्रों की जांच और 20 जनवरी तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। पांच फरवरी को वोटिंग और आठ फरवरी को रिजल्ट आएगा।

तीन अप्रैल 1986 को रुदौली के परसौली में जन्मे चंद्रभानु पासवान एम कॉम व एलएलबी डिग्री धारक हैं और पेशे से व्यवसायी हैं। रुदौली बाजार में उनका कपड़े का शोरूम है। पेपर के थोक कारोबारी भी हैं। खुद चुनाव न लड़ने वाले चंद्रभानु पासवान राजनीतिक परिवार से जुड़े हुए हैं।

अपनी पत्नी को 2015 में रुदौली पंचम व 2021 में रुदौली चतुर्थ से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जितवा चुके हैं। राजनीति में गहरी रुचि रखने वाले चंद्रभानु पासवान के पिता राम लखन पासवान तहसील रुदौली स्थित ग्राम सभा परसौली के चार बार प्रधान भी रहे। चंद्रभान पासवान के पिता राम लखन 2021 में चौथी बार ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए हैं।भाजपा ने इससे पहले 2017 और 2022 में गोरखनाथ को यहां से उतारा था। इस बार भी गोरखनाथ समेत आधा दर्जन नेता दौड़ में शामिल थे।

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लोकसभा चुनाव अयोध्या सीट सपा के हाथों हारने के बाद से भाजपा के लिए मिल्कीपुर सीट ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। मिल्कीपुर से सपा विधायक रहे अवधेश प्रसाद के ही अयोध्या से सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हुई है। अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के ठीक बाद हुए लोकसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद की जीत ने भाजपा को बड़ा झटका दिया था। यही कारण है कि सपा ने अवधेश प्रसाद को पीडीए का आईकन पेश करने की पूरी कोशिश की। लोकसभा में भी अवधेश प्रसाद को अखिलेश यादव अपने साथ सबसे आगे बैठाते भी रहे हैं।

भाजपा के लिए क्या चुनौतियां

अयोध्या मेंं चौतरफा विकास के बाद भी लोकसभा सीट हारने से भाजपा के लिए यह सीट अहम हो गई है। भाजपा की कोशिश है कि मिल्कीपुर उपचुनाव जीतकर वह एक तरफ अयोध्या लोकसभा सीट हारने का बदला लेना चाहेगी, दूसरी तरफ यह बताने की कोशिश होगी कि सपा को लोकसभा चुनाव में मिली जीत केवल एक तुक्का थी। लोगों को संविधान के नाम पर बहकाकर सपा ने लोकसभा चुनाव में यूपी की सीटें जीती थीं। यह सीट भाजपा के लिए कितनी अहम है, इसी से समझा जा सकता है कि खुद सीएम योगी ने यहां की बागडोर अपने हाथों में ले रखी है। लगातार वह यहां के दौरे भी कर रहे हैं। हालांकि भाजपा के लिए यहां जीत हासिल करना इतना आसान भी नहीं है। इस सीट पर भाजपा लगातार हारती रही है। यहां तक कि पिछले दो विधानसभा चुनावों में भाजपा की लहर के बाद भी यहां भाजपा हार गई थी।

पिछले दोनों उपचुनाव सपा ने जीते थे

सपा को इस बात से संतोष है कि उपचुनाव में जनता उसे ही जिताती है। 1995 के बाद से मिल्कीपुर में दो उपचुनाव हो चुके हैं और तीसरा अब होने जा रहा है। पहले दो में सपा ने जीत हासिल की थी। पहले उपचुनाव में सपा के यादव प्रत्याशी के आगे भाजपा के ब्राह्मण प्रत्याशी थे। उस वक्त कल्याण सिंह की सरकार थी लेकिन सपा विपक्ष में रहते हुए चुनाव जीत गई। दूसरी बार उपचुनाव 2004 में हुआ तब सपा की सरकार थी। तब भी सपा के रामचंद्र यादव उपचुनाव जीत गए और बसपा दूसरे नंबर पर रही। मिल्कीपुर सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में सपा के अवधेश प्रसाद के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई थी। इससे पहले नेता प्रसाद मिल्कीपुर सीट से विधायक थे। अब इस सीट पर भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर है।

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