Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Bareilly Balcony Farmer Ramveer Singh converts his three story house in a balcony farm by hydroponic farming

बालकनी में मिर्च, बैंगन, लौकी; रामवीर ने तीन मंजिला घर को ही खेत बना लिया, सवा लाख में सौ गज खेती

  • बरेली में बालकनी फॉर्मिंग के शौकीन रामवीर सिंह ने अपने तीन मंजिले घर को खेत बना लिया है। हाइड्रोपोनिक विधि की खेती में बिना मिट्टी और खाद के वो केमिकल फ्री साग-सब्जी उगा रहे हैं।

Ritesh Verma हिन्दुस्तान टीम, अंकित शुक्ल, बरेलीThu, 13 Feb 2025 05:44 PM
share Share
Follow Us on
बालकनी में मिर्च, बैंगन, लौकी; रामवीर ने तीन मंजिला घर को ही खेत बना लिया, सवा लाख में सौ गज खेती

बरेली में रामवीर सिंह के घर को देखकर हर कोई चौंक जाता है। हरियाली भरे तीन मंजिला घर में कहीं हरी मिर्च, कहीं हरी मिर्च तो लगी लौकी और कहीं बैंगन लगा हुआ है। ये सारी सब्जियां बिना मिट्टी के हाइड्रोपोनिक विधि से उगाई गई हैं। पूरी तरह से रसायनमुक्त खेती की मुहिम चला रहे रामवीर सिंह दूसरे लोगों को भी हाइड्रोपोनिक विधि से घर में ही खेती की ट्रेनिंग भी देते हैं।

पीलीभीत बाईपास पर रहने वाले रामवीर इलाके में हाइड्रोपोनिक विधि से खेती का सफल मॉडल बना चुके हैं। एमएससी पास रामवीर बताते हैं कि उनके चाचा को कैंसर हो गया था। कारण जानने पर पता चला कि यह केमिकल वाले खाद्य उत्पादों के कारण हुआ। इसके बाद उन्हें परिवार और समाज की सेहत को लेकर चिंता होने लगी। उन्होंने नौकरी छोड़ दी और वापस बरेली आ गए। वर्ष 2016 में उन्होंने हाइड्रोपॉनिक खेती शुरू की। उन्होंने दुबई में इस खेती को नजदीक से देखा था। कोलकाता और मुंबई के कुछ लोगों के सहयोग और इंटरनेट का सहारा लेकर उन्होंने अपने घर पर इस सिस्टम को खड़ा कर दिया।

ना खाद, न पेस्टीसाइड, पानी और न्यूट्रिएंट्स से पैदावार

हाइड्रोपोनिक विधि का उपयोग इजराइल में ज्यादा होता है। भारत के बड़े शहरों में भी यह तरीका अब गति पकड़ रहा है। इसमें पेस्टीसाइड या खाद का उपयोग नहीं होता। पौधे को जरूरी प्रकाश छत पर मिलता है। इसके अलावा नाइट्रोजन, फास्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर, कॉपर, जिंक, पोटेशियम जैसे 16 पोषक तत्व पानी में मिलाकर पौधे तक पहुंचाए जाते हैं। रामवीर बताते हैं कि शिमला मिर्च, ब्रोकली, फूल गोभी आदि के लिए जर्मन कंपनी के न्यूट्रिएंट्स मंगाते हैं, जो कि 320 रुपये प्रति किलो की दर से मिलते हैं। अन्य सब्जियों के लिए इफको के 150 रुपये प्रति किलो वाले न्यूट्रिएंट्स का उपयोग करते हैं।

ऐसे की जाती है हाइड्रोपोनिक खेती

रामवीर सिंह बताते हैं कि सौ वर्ग गज की छत पर करीब चार इंच मोटा 200 मीटर पीवीसी पाइप लगता है। इसमें निर्धारित दूरी पर छेद कर जालीदार गमले (नेटकप) लगाने की जगह बनाई जाती है। इनमें सैकड़ों पौधे लगाए जा सकते हैं। पाइप को ढलान के साथ एक दूसरे से जोड़ दिया जाता है। इसके बाद एक छोर से मोटर के जरिये पानी डाला जाता है जो सभी पाइप में होते वापस टैंक में आ जाता है। गर्मियों में दिन में दो बार जबकि सर्दियों में दो या तीन दिन में एक बार ऐसा किया जाता है। जड़ में पानी की नमी बनी रहे, ये देखना होता है। पाइप, पानी सप्लाई, पौधों के बास्केट और उसमें भरने के लिए नारियल का बुरादा आदि में करीब सवा लाख रुपये खर्च आता है।

छोटा हाइड्रोपोनिक खेती का सिस्टम महज 12 हजार में

हाइड्रोपोनिक खेती के लिए सौ पौधे का पाइप, स्टैंड आदि करीब 12 हजार रुपये में लग जाता है। बालकनी या छत के आकार के हिसाब से छोटे सिस्टम की मांग ज्यादा है। बरेली में तो सब्जियों से लदे उनके घर को देखने लोग आते ही हैं, बाहर भी उनकी ख्याति पहुंच रही है। बरेली, पीलीभीत के लोगों के घर में रामवीर ने हाइड्रोपोनिक सिस्टम लगवाने में मदद की है। लखनऊ में भी वह सौ से दो सौ वर्ग गज के मकानों में यह सिस्टम लगा चुके हैं।

अगला लेखऐप पर पढ़ें